पीर हैदर शेख


-श्रुति आधार पर- 

हैदर शेख साधना एक ऐसी प्रमाणिक साधना है जिसके प्रयोग से आप बड़े से बड़े भूत-प्रेत जिन्न और खवीस का इलाज कर सकते हैं ! फिर वो जिन्न चाहे विद्या धारी ही क्यों न हो ! जिन्न भी कई प्रकार के होते हैं ! एक मान्यता के अनुसार जिन्न आग से पैदा हुआ इन्सान है जबकि मानव शरीर मिट्टी से पैदा हुआ है ! जिन्न भी हमारी तरह ईश्वर की उपासना करते है पर जिस प्रकार सभी इन्सान ईश्वर को नहीं मानते उसी प्रकार कुछ जिन्न भी ईश्वर को नहीं मानते ! 


एक मान्यता के अनुसार जिन्न ज्यादातर मुसलमान होते हैं पर जिस प्रकार सभी मुसलमान इमान के पक्के नहीं होते केवल कुछ मुसलमान ही इस्लाम के मुताबिक चलते हैं ठीक उसी प्रकार जिन्न भी अच्छे बुरे दोनों प्रकार के होते हैं, जिन्न अक्सर सुन्दर औरतों पर मोहित हो जाते हैं और उनके साथ प्रेमी प्रेमिका का सम्बन्ध बना लेते हैं ! कई बार कुंवारी लड़की की शादी में भी रुकावट डाल देते हैं ! एक मान्यता के अनुसार यदि जिन्न के सामने आयत अल्कुरसी या आयतुल करीमा पढ़ दी जाये तो जिन्न भाग जाता है पर इन्हें भी पहले सिद्ध किया जाता है ! पंजाब का जिला मलेरकोटला जिन्नों का गढ़ माना जाता है क्योंकि यहाँ पर बाबा हैदर शेख की मजार है ! 

बाबा हैदर शेख का जन्म आज से लगभग 500 साल पहले हुआ था ! उनके बारे में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं !
 आज भी हर गुरुवार बाबा हैदर शेख की मजार पर मेला लगता है और हर मनोकामना पूरी होती है ! जिन्न आज भी बाबा हैदर शेख की मजार पर हाजरी देते हैं ! भूत प्रेत और जिन्न आदि कसर का इलाज भी यहाँ होता है ! यहाँ आने वाले लोगों को जिन्न परेशान नहीं करते और बाबा हैदर शेख की सिद्धि करने से जिन्नों की मदद मिलती है !
मान्यता के अनुसार उनसे संबंधित नीचे दिए गए मंत्र का विधिवत जाप करने से रोग से छुटकारा मिलता है कया हमेशा निरोगी बनी रहती है।
रोड़े शाह मलंग
घुते शाह मलंग,
मियां नूर शाह वली
देखां मियां मलेरकोटला वाले बाबा हैदर शेख
तेरी हाजरी का तमाशा।
इस मंत्र के जाप और अनुष्ठान का शुभारंभ शुक्लपक्ष में चंद्रमा के दर्शन के बाद उसी पखवाड़े के पहले गुरुवार की रात दस बजे के बाद किया जाता है। गुरु पूजन, गणेश पूजन और तेल के दीपक के प्रज्ज्वलन के बाद जाप प्रारंभ से पहले गोबर के जलते कंडे पर लोहवान और पीले चावल के मिश्रण की आहूति दी जाती है। जाप पूर्ण होने के बाद चावल के वितरित कर दिया जाता है। इस अनुष्ठान के कुल 41 दिनों तक करने से मनोवांछित साधना पूर्ण होती है।
इस प्रयोग के समय रोगी के उपस्थित होने पर इस मंत्र से 21 बार जल अभिमंत्रित कर उसपर छिड़कने के साथ-साथ हाथ में अभिमंत्रित काला धागा  बंध दिया जाता है।

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