मौत एक ऐसा शब्द है, जो दुख और गम का प्रतीक है। किसी इंसान का दुनिया से चले जाना उसके परिवारजनों और चाहने वालों के लिए काफी दुखदायी होता है। दुनिया की अलग-अलग सभ्यताओं और धर्मों में इंसान की मौत पर भांति-भांति के रीति-रिवाजों का चलन है।
कई पश्चिमी देशों में व्यक्ति की मौत के बाद समारोह आयोजित कर जश्न मनाया जाता है। यह जश्न इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि कुछ मान्यताओं के अनुसार इंसान को मौत के बाद सांसारिक दुखों से मुक्ति मिल जाती है। वहीं, दूसरी ओर कुछ धर्मों में मृत व्यक्ति को जलाया और दफनाया जाता है।
सामूहिक कब्र। इतिहास में कुछ बड़ी त्रासदियों और बीमारियों में मृत हुए लोगों की सामूहिक कब्रें देखने को मिली हैं। हिटलर के यातनागृहों में मारे गए लोगों को भी सामूहिक रूप से या तो दफना दिया जाता था या जला दिया जाता था।
मृत शरीर को खुला छोड़ देना। पश्चिमी देशों में यह तरीका चलन में नहीं है। तिब्बत की खुले आकाश में मृतकों को खुले छोड़ने की प्रथा दुनिया भर में चर्चित है। मृतक के परिजन शरीर के छोटे-छोटे टुकड़े भी करते हैं ताकि गिद्धों को उन्हें खाने में आसानी हो।
क्रायोनिक्स। क्रायोनिक्स एक कम तामपान में इंसान और जानवरों के शरीर को संरक्षित रखने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया है। अमूमन कुछ मृत शरीरों को इस उम्मीद से संरक्षित करके रखा जाता है ताकि भविष्य में उनके अंगों का उपयोग किया जा सके। अमेरिका में इसके लिए कानूनी अनुमति लेना जरूरी है। कई कानूनी मामलों में पोस्टमार्टम में देरी होने के मामले में भी शरीर को संरक्षित करके रखा जाता है।
नरभक्षण। इसे एंथ्रोपोफैगी के नाम से भी जाना जाता है। इतिहास में नरभक्षण के कई मामले पाए गए हैं और यदा कदा इसके मामले सामने आते हैं। अगर इंसान को खाने के लिए ही मारा जाता है तो इसे होमीसीडल कैनीबैलिज्म कहा जाता है और अगर इंसान की मौत के बाद उसे खाया जाता है तो इसे नैक्रो कैनीबैलिज्म कहा जाता है। दुनिया के सभी देशों में नरभक्षण जघन्य अपराध है।
शरीर के अवशेषों को अंतरिक्ष में भेजना। बीसवीं सदी के अंतिम वर्षों से यह तरीका काफी लोकप्रिय हो रहा है, जिसमें शरीर को जलाने के बाद बचे अवशेषों को कैप्सूल आकार की डिब्बी में रखकर अंतरिक्ष में पहुंचा दिया जाता है। वर्ष 2004 से अब तक करीब 150 मृतकों के अवशेषों को अंतरिक्ष में पहुंचाया जा चुका है। यह तरीका काफी महंगा होता है, इसलिए एक आम इंसान द्वारा इसका इस्तेमाल न के बराबर है।
ममी बनाना। ममी एक संरक्षित शव को कहते हैं संरक्षित करने के लिये उचित रसायनों का प्रयोग, अत्यन्त शीतल वातावरण, बहुत कम आर्द्रता, बहुत कम हवा आदि की तकनीकें अपनायीं जाती हैं। ममी बनाए जाने के अधिकांश उदाहरण मिस्र के इतिहास में पाए गए हैं।
दहन संस्कार। इस तरीके में इंसानी शरीर को लकड़ियों की सहायता से जलाकर नष्ट किया जाता है। दहन के बाद बची हुई अस्थियों और राख को पवित्र नदियों में बहा दिया जाता है। हिंदू सभ्यता में यह तरीका अपनाया जाता है। समय और ऊर्जा बचाने के लिए आजकल दहन के लिए इलेक्ट्रॉनिक बर्नर का उपयोग किया जाता है, जो कुछ ही घंटों में शरीर को सौ फीसदी नष्ट कर देता है।
कई पश्चिमी देशों में व्यक्ति की मौत के बाद समारोह आयोजित कर जश्न मनाया जाता है। यह जश्न इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि कुछ मान्यताओं के अनुसार इंसान को मौत के बाद सांसारिक दुखों से मुक्ति मिल जाती है। वहीं, दूसरी ओर कुछ धर्मों में मृत व्यक्ति को जलाया और दफनाया जाता है।
सामूहिक कब्र। इतिहास में कुछ बड़ी त्रासदियों और बीमारियों में मृत हुए लोगों की सामूहिक कब्रें देखने को मिली हैं। हिटलर के यातनागृहों में मारे गए लोगों को भी सामूहिक रूप से या तो दफना दिया जाता था या जला दिया जाता था।
मृत शरीर को खुला छोड़ देना। पश्चिमी देशों में यह तरीका चलन में नहीं है। तिब्बत की खुले आकाश में मृतकों को खुले छोड़ने की प्रथा दुनिया भर में चर्चित है। मृतक के परिजन शरीर के छोटे-छोटे टुकड़े भी करते हैं ताकि गिद्धों को उन्हें खाने में आसानी हो।
क्रायोनिक्स। क्रायोनिक्स एक कम तामपान में इंसान और जानवरों के शरीर को संरक्षित रखने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया है। अमूमन कुछ मृत शरीरों को इस उम्मीद से संरक्षित करके रखा जाता है ताकि भविष्य में उनके अंगों का उपयोग किया जा सके। अमेरिका में इसके लिए कानूनी अनुमति लेना जरूरी है। कई कानूनी मामलों में पोस्टमार्टम में देरी होने के मामले में भी शरीर को संरक्षित करके रखा जाता है।
नरभक्षण। इसे एंथ्रोपोफैगी के नाम से भी जाना जाता है। इतिहास में नरभक्षण के कई मामले पाए गए हैं और यदा कदा इसके मामले सामने आते हैं। अगर इंसान को खाने के लिए ही मारा जाता है तो इसे होमीसीडल कैनीबैलिज्म कहा जाता है और अगर इंसान की मौत के बाद उसे खाया जाता है तो इसे नैक्रो कैनीबैलिज्म कहा जाता है। दुनिया के सभी देशों में नरभक्षण जघन्य अपराध है।
शरीर के अवशेषों को अंतरिक्ष में भेजना। बीसवीं सदी के अंतिम वर्षों से यह तरीका काफी लोकप्रिय हो रहा है, जिसमें शरीर को जलाने के बाद बचे अवशेषों को कैप्सूल आकार की डिब्बी में रखकर अंतरिक्ष में पहुंचा दिया जाता है। वर्ष 2004 से अब तक करीब 150 मृतकों के अवशेषों को अंतरिक्ष में पहुंचाया जा चुका है। यह तरीका काफी महंगा होता है, इसलिए एक आम इंसान द्वारा इसका इस्तेमाल न के बराबर है।
ममी बनाना। ममी एक संरक्षित शव को कहते हैं संरक्षित करने के लिये उचित रसायनों का प्रयोग, अत्यन्त शीतल वातावरण, बहुत कम आर्द्रता, बहुत कम हवा आदि की तकनीकें अपनायीं जाती हैं। ममी बनाए जाने के अधिकांश उदाहरण मिस्र के इतिहास में पाए गए हैं।
दहन संस्कार। इस तरीके में इंसानी शरीर को लकड़ियों की सहायता से जलाकर नष्ट किया जाता है। दहन के बाद बची हुई अस्थियों और राख को पवित्र नदियों में बहा दिया जाता है। हिंदू सभ्यता में यह तरीका अपनाया जाता है। समय और ऊर्जा बचाने के लिए आजकल दहन के लिए इलेक्ट्रॉनिक बर्नर का उपयोग किया जाता है, जो कुछ ही घंटों में शरीर को सौ फीसदी नष्ट कर देता है।
अंगच्छेदन। इस तरीके में मृत व्यक्ति के अंगों को काटकर और अन्य तरीकों से शरीर से अलग किया जाता था। कुछ खास अवसरों पर यह तरीका अपनाया जाता था, लेकिन कुछ मौकों पर यह तरीका इंसान की मौत का कारण भी बनता था। आमतौर पर इस तरीके को सजा के तौर पर अपनाया जाता था। 19वीं शताब्दी के अंत में फांसी पर लटकाना, पानी में डुबाना और शरीर के चार टुकड़े करना सजा का आम तरीका होता था। समाज में अपराधों के प्रति डर पैदा करने के लिए कैदियों के शरीर का बुरी तरह से विच्छेदन किया जाता था और फिर शरीर के टुकड़ों को जला दिया जाता था। आमतौर पर सिर को सार्वजनिक जगहों पर टांग दिया जाता था, ताकि लोगों के मन में भय पैदा हो। पुराने समय में अंगच्छेदन कैथोलिक संतों के मृत शरीर का भी किया जाता था। ऐसा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किया जाता था।
विशेष चैंबर में दफनाना। यह तरीका मुस्लिम और ईसाई संप्रदाय की प्रथा से कुछ अलग है। इसमें मृत व्यक्ति को जमीन के अंदर सीधा नहीं दफनाया जाता, बल्कि विशेष चैंबर या कक्ष बनाकर उसमें रखकर दफनाया जाता है। दफनाने के बाद इस स्थान पर गुंबदनुमा संरचना बना दी जाती है, ताकि अगली पीढ़ी के लोग उस स्थान की पूजा कर सकें।
समुद्र में दफनाना। इस तरीके में मृतक के अवशेषों को ताबूत में रखकर समुद्र की गहराई में दफना दिया जाता है। कई संस्कृतियों में समुद्र में दफनाने की प्रथा प्रचलित है और यह तेजी से लोकप्रिय भी हो रहा है। परंपराओं के अनुसार यह तरीका शुरुआत में जहाज के कमांडिग ऑफिसर के मृत शरीर के साथ अपनाया जाता था।
दफनाना। इस तरीके में मृत शरीर को लकड़ी के ताबूत में रखकर जमीन में कुछ फुट गहराई में दफनाया जाता है। ईसाई और मुस्लिम संप्रदाय में मृतकों को दफनाया जाता है। यह पाया गया है कि इंसानों में ही मृतकों को दफनाया नहीं जाता, बल्कि चिंपाजी और हाथी भी अपने मृत साथियों को पेड़ों की पत्तियों और शाखाओं से ढंक देते हैं।
एक्वामेशन। शव को नष्ट करने का यह सबसे ईको फ्रेंडली तरीका है। इसमें शव को स्टेनलेस स्टील के बड़े पात्र जैसे यंत्र में रखकर उसे 90 डिग्री सेल्सियस गर्म खारे पानी में गलाया जाता है। इसमें शव को अच्छी क्वालिटी के उर्वरकों में बदला जाता है। इस तरीके से इंसानी शरीर के उर्वरकों में परिवर्तित होने में चार घंटे का समय लगता है।
टैक्सीडर्मी। टैक्सीडर्मी ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें मृत शरीर को किसी खास वजह से किसी म्यूजियम और शोध केंद्र में बचाकर रखा जाता है। अधिकतर मामलों में शोध के लिए शरीर को संरक्षित करके रखा जाता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें