06 जून 2012 को अद्भुत खगोलीय घटना घटने जा रही है । इस दिन सूर्य बिम्ब के ऊपर से शुक्र का पारगमन होगा अर्थात् शुक्र सूर्यबिम्ब के ऊपर से गुजरता हुआ दिखाई देगा । इस घटना को ‘भेदयुति’ (Conjunction) भी कहा जाता है । इससे पूर्व यह घटना 08 जून 2004 को हुई थी । 2012 के पश्चात् यह घटना 11 दिसम्बर 2117 अर्थात् 105.5 वर्ष पश्चात् होगी । यह अद्भुत खगोलीय घटना एक शताब्दी में दो बार ही होती है ।
ग्रहों की कक्षाएँ एक दूसरे को जिन बिन्दुओं पर काटती हैं, उन बिन्दुओं पर यदि ग्रहों का योग होता हो, तब पारगमन और ग्रहण जैसी घटनाएँ दृष्टिगोचर होती हैं । यद्यपि ये घटनाएँ तकनीकी दृष्टि से लगभग एक जैसी हैं, परन्तु द्रष्टा (अर्थात् देखने वाला Observer) के आधार पर इनमें भिन्नता होती है । यदि एक ग्रह के द्वारा दूसरे ग्रह का बिम्ब (Disc) पूर्णतः या आंशिक रुप से ढँक लिया जाता है, तब यह घटना ‘ग्रहण’ (Eclipse) कहलाती है और यदि एक ग्रह का बिम्ब तुलनात्मक रुप से इतना बड़ा हो कि दूसरे ग्रह के बिम्ब से वह आंशिक या पूर्णतः ढँका न जा सके, तो वह दूसरे ग्रह के बिम्ब के ऊपर से एक बिन्दु के रुप में चलता हुआ दिखाई देता है । यह घटना ‘पारगमन’ (Transit) कहलाती है । सूर्य बिम्ब के ऊपर से चन्द्रबिम्ब का गुजरना ‘ग्रहण’ कहलाता है, क्योंकि उस दौरान चन्द्रबिम्ब सूर्यबिम्ब के एक बड़े हिस्से को ढँकता है । दूसरी ओर, सूर्य बिम्ब के ऊपर से शुक्र या बुध का गुजरना ‘पारगमन’ कहलाता है, क्योंकि उस दौरान शुक्रबिम्ब या बुधबिम्ब सूर्यबिम्ब के एक बड़े हिस्से को ढँकता नहीं है, वरन् बिन्दु के समान गुजरता हुआ दिखाई देता है ।
पृथ्वी के सन्दर्भ में सूर्यबिम्ब के ऊपर से पारगमन की घटना अन्तःकक्षा वाले ग्रह (Inferior or Inner Planets) की ही सम्भव है । बुध एवं शुक्र अन्तःकक्षा वाले ग्रह हैं । इसलिए इनका ही पारगमन होता है ।
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ग्रहों की कक्षाएँ एक दूसरे को जिन बिन्दुओं पर काटती हैं, उन बिन्दुओं पर यदि ग्रहों का योग होता हो, तब पारगमन और ग्रहण जैसी घटनाएँ दृष्टिगोचर होती हैं । यद्यपि ये घटनाएँ तकनीकी दृष्टि से लगभग एक जैसी हैं, परन्तु द्रष्टा (अर्थात् देखने वाला Observer) के आधार पर इनमें भिन्नता होती है । यदि एक ग्रह के द्वारा दूसरे ग्रह का बिम्ब (Disc) पूर्णतः या आंशिक रुप से ढँक लिया जाता है, तब यह घटना ‘ग्रहण’ (Eclipse) कहलाती है और यदि एक ग्रह का बिम्ब तुलनात्मक रुप से इतना बड़ा हो कि दूसरे ग्रह के बिम्ब से वह आंशिक या पूर्णतः ढँका न जा सके, तो वह दूसरे ग्रह के बिम्ब के ऊपर से एक बिन्दु के रुप में चलता हुआ दिखाई देता है । यह घटना ‘पारगमन’ (Transit) कहलाती है । सूर्य बिम्ब के ऊपर से चन्द्रबिम्ब का गुजरना ‘ग्रहण’ कहलाता है, क्योंकि उस दौरान चन्द्रबिम्ब सूर्यबिम्ब के एक बड़े हिस्से को ढँकता है । दूसरी ओर, सूर्य बिम्ब के ऊपर से शुक्र या बुध का गुजरना ‘पारगमन’ कहलाता है, क्योंकि उस दौरान शुक्रबिम्ब या बुधबिम्ब सूर्यबिम्ब के एक बड़े हिस्से को ढँकता नहीं है, वरन् बिन्दु के समान गुजरता हुआ दिखाई देता है ।
पृथ्वी के सन्दर्भ में सूर्यबिम्ब के ऊपर से पारगमन की घटना अन्तःकक्षा वाले ग्रह (Inferior or Inner Planets) की ही सम्भव है । बुध एवं शुक्र अन्तःकक्षा वाले ग्रह हैं । इसलिए इनका ही पारगमन होता है ।
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