घरवाली..बाहर वाली

घरवाली ऐसी हो की

साड़ी से जो खुश हो जावे,पति सेवा बस ध्यान में लावे.
जींस टॉप से दूर रहे जो,पूज्य हैं आप ये कहे जो.
जितने चाहूँ उतने बच्चे जन दे,हर पल अपना तन मन दे.
सास ससुर को खीर खिलावे,मम्मी के वो पावं दबावे.
फ़ोन से मेरे दूर रहे, पैसों से मजबूर रहे.
भजन कीर्तन का शौक हो, चारदीवारी बस उसकी रौनक हो.
परपुरुष जिसको पाप लगे, उमदराज लोग बाप लगे.
चाय से लेकर भोजन तक सबका उसको ध्यान रहे.
शारीरिक भूख से सात्विक भूख तक सबका उसको सम्मान रहे.
फिगर से लैला ना भी लगे पर मन से वो सावित्री हो.
मजाक की बातें भाये जिसको थोड़ी सी कवियत्री हो.
मेरे लक्ष्य में जिसकी नैया पार लगे.
उसकी आँखों में धुन हो मेरी,बस मेरा वो प्यार लगे.
जिसके वंश में संस्कृति मन में संस्कार हो.
मेरे चरणों की दासी हो बस मेरा अधिकार हो.

बाहर वाली ऐसी हो की

जींस टॉप को खास कहे वो या उससे भी कपडे कम हों.
रिश्ते की ना बात करे वो, इमोशनल लफड़े कम हों.
फास्ट फ़ूड में मस्त रहे,मेरी बाँहों में पस्त रहे.
दारू सुट्टा जिसको भाये,जब भी बुलावूँ तब आ जाये.
अमीर बाप की बेटी हो,सब मेरे बिल देती हो.
सारी किस्म की फिल्में देखे,मेरे तन को खूब निरेखे.
फिगर हो जिसकी अच्छी खासी,बॉडी को बस दे शाबासी.
बिना शादी के साथ रहे,जो जी चाहे दिल खोल कहे.
फ्यूचर की जिसको चिंता न हो,मेरे नाकामी पे शर्मिंदा न हो.
हर बातो को कुल कहे,गधे को ब्यूटीफुल कहे.
दिन रात मस्ती दे ऐसी, गांजे की ऐसी की तैसी.हा हा हा हा हा हा हा

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