इसे अंध विश्वास कहें या जहरीले नाग से अधेड़ उम्र के छंगू लंबरदार की जन्मजात दुश्मनी, जहरीला नाग अब तक उसे 46 बार काट चुका है, लेकिन हरदम वह मौत के मुंह से बच निकलता है। जहरीले सांप के कहर से बचने के लिए वह हर साल नाग पंचमी को नागवंशीय रिवाज से नाग देवता की पूजा-अर्चना करता है, फिर भी उसे कोई राहत नहीं मिल रही।
यह किसी फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद के पनगरा गांव के शिवपुरा मजरे के रहने वाले 48 साल के छंगू लंबरदार उर्फ सिद्दीक खां की जिंदगी की हकीकत है। जब वह 25 साल का था, तब से एक जहरीला काला नाग उससे जाति दुश्मनी निभा रहा है। रात में देखा गया सपना, दिन में हकीकत में बदल जाता है और सरेआम नाग उसे तमाम लोग की मौजूदगी में खदेड़ कर काट लेता है। ताज्जुब की बात यह है कि सांप के जहर का असर किसी अस्पताल या अन्य गांव के ओझा कम नहीं कर पाते, सिर्फ उसके ननिहाल हुसैनपुर गांव का ओझा ही उसे होश में लाता है।
खासियत यह है कि दूर-दराज के इलाके में सांप काट भी ले तो वह जब तक हुसैनपुर नहीं पहुँच जाता, उसे बेहोशी नहीं आती है। नाग और छंगू के बीच 23 साल से चली आ रही जंग के पीछे उसका भाई शफीका अंधविश्वास को कारण मानता है। शफीका बताता है कि उसके पिता को जमीन में गड़ा धन मिला था। छंगू ने जिद कर उस धन को खर्च करना चाहा। सांप ने सपने में मना किया, लेकिन वह नहीं माना। तब से यह नाग सपने में आने के बाद दिन में उसे काट चुका है। ऐसा अब तक 46 बार हो चुका है।
वह बताता है कि सांप दूर-दराज इलाके में भी काटता है, पर ननिहाल हुसैनपुर पहुंचने तक जहर का उसके भाई पर कोई असर नहीं होता और अस्पताल या अन्य ओझा की झाड़-फूंक से ठीक नहीं होता, सिर्फ हुसैनपुर का एक ओझा ही ठीक करता है। उसने बताया कि शंकरगढ़ का सपेरा दिलनाथ दो बार घर से काला नाग पकड़ कर ले जा चुका है, फिर भी राहत नहीं मिली। वहीं छंगू लंबरदार बताता है कि अब वह सांप के काटने पर जरा भी भयभीत नहीं होता है, काटने से पहले सांप सपने में आता है।
वह बताता है कि सपेरों की सलाह पर वह सोने का सांप बनवा कर इलाहाबाद के प्रयागराज संगम में बहा चुका है और पिछले पांच साल से पूरे परिवार के साथ पनगरा गांव में सपेरा नासिर खां के घर जाकर नागवंशीय रिवाज से दर्जनों जहरीले सांपों की प्रत्यक्ष पूजा-अर्चना करता है, ताकि सांप के कहर से छुटकारा मिल सके, फिर भी छुटकारा नहीं मिल रहा है। सांप पकड़ने में माहिर नासिर का कहना है कि सांप बदले की भावना से काटता है। हो सकता है, कभी उसने सांप पर हमला किया हो। इसमें अंधविश्वास जैसी कोई बात नहीं है।
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