बर्फीली चट्टान ने नहीं इस 'शक्ति' ने डुबोया था टाइटेनिक को..!

उत्तरी अटलांटिक में बर्फीली चट्टान से टकराकर टाइटेनिक जहाज के डूबने में चांद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। खगोलविदों के अनुसार, साउथम्पटन से न्यूयार्क की अपनी पहली यात्रा पर निकले आलीशान जहाज टाइटेनिक के साथ उस खौफनाक हादसे का कारण 1400 साल में एक बार धरती के चांद के बेहद करीब आने की घटना रही।

डेली मेल अखबार के अनुसार, यह चांद के जीवन में एक बार होने वाली परिघटना थी जिससे 12 जनवरी 1912 को उंची समुद्री लहर उठी थी। इस कारण तीन माह पहले बर्फ की एक घातक चट्टान कमजोर पड़कर लेब्राडोर और न्यूफाउलैंड के तटों के उथले पानी से अलग हो गई और उसकी चपेट में आने से 14 अप्रैल 1912 को टाइटेनिक के साथ हादसा हो गया। इसमें करीब 1500 लोग मारे गए थे।

अध्ययन दल के नेता डोनाल्ड ओल्सन के अनुसार, ‘यह घटना 1400 साल से अधिक समय में धरती के सबसे करीब चांद के होने की थी और उसने धरती के समुद्रों पर लहरें पैदा करने की चांद की ताकत बढ़ा दी।’ आमतौर पर बर्फीली चट्टान अपनी जगह पर कायम रहती है और काफी अधिक पिघलने तक अथवा उंची लहरों से अलग होने तक तैरते हुए दक्षिण की दिशा में तेजी से नहीं तैरती हैं और इस प्रक्रिया में कई साल लग जाते हैं।

‘जब बर्फीली चट्टान दक्षिण की ओर यात्रा करती है, वह अक्सर लेब्राडोर और न्यूफाउलैंड के तटों पर उथले पानी में ठहर जाती हैं। लेकिन जब बहुत तेज लहरें उठती हैं तो वह तैरकर दक्षिण की ओर तेजी से जाने लगती हैं।’

ओस्लो ने कहा, ‘निसंदेह, दुर्घटना का वास्तविक कारण बर्फीली चट्टान से जहाज का टकराना रहा लेकिन चंद्रमा का घटना से जुड़ना दर्शाता है कि बड़ी संख्या में बर्फीली चट्टानें टाइटेनिक के रास्ते में आ गई।’

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