राशि और सैक्स - धनु राशि

राशि और सैक्स - धनु राशि
Sign & Sex- Sagittrious
यह पौष माह (दिसम्बर-जनवरी) की राशि है। सौर मंडल में इसका आकार अगला भाग तीर ताने पुरूष और पिछला भाग घोड़ा है। इसका ग्रह देवता बृहस्पति है। स्वभाव द्विस्वभाव, तत्त्व अग्नि, पृष्ठोदय उदय, दिशा उत्तर-पश्चिम, रंग सुनहला, निवास युद्ध स्थल, प्रथम भाग द्विपद और उत्तर भाग चतुष्पद, जाति क्षत्रिय है। शरीर में स्थान जंघा है। प्रकृत्ति कफ, सत्त्वगुणी, रत्न पुष्पराग, स्वाद मधुर, इन्द्रिय ज्ञान कान, आकार वृत्त के समान होता है।यह राशि मैथुन के सम्बन्ध में एकदम ‘युद्धस्थल’ है। हर तरह से मारकाट करती और अपने धनु से बराबर बाण बरसाती है। इसके अन्धाधुंध तीरों की मार से विपरीत पक्ष घबरा जाता है। इस राशि के जातक की जंघांए शेर की रान के समान बलिष्ठ होती हैं और रात्रिकालीन क्रिया पसन्द है। प्रायः सबसे अधिक समय इस राशि के जातक को लगता है। इसका अंग जंघां होने के कारण यहीं स्पर्श से इसका काम जाग्रत हो जाता है। इस राशि को पीले रंग से भी गहरी उत्तेजना मिलती है। उत्तर-पश्चिम दिशा में अपना रूख कर यह जातक विशेष सुख पाता है। स्त्री अंग धनुष की प्रत्यंचा के समान बांयी ओर ज्यादा चौड़ा फैला रहता है तथा जंघाएं अत्यन्त सुडौल-मजबूत होती है। पैर हवा में लहराकर या उठाकर की जाने वाली रतिक्रिया इस राशि की स्त्री को विशेष प्रिय होती है। द्विपद, चतुष्पद होने के कारण नाना प्रकार के सभी आसन बदलकर सुख लेना प्रिय है। मैथुनरत इस राशि का जातक पल पल में आसन बदलता है। स्तन गोल वृत्त के समान, किन्तु ढीले रहते हैं। पुरूष की जांघें शेर के समान बलिष्ठ होती है और काफी देर तक मैथुन करता है।रूप-रंग में प्रायः कद नाटा और वर्ण सुनहला होता है। सुनहले घुंघराले बाल इनकी विषेषता है। मांग कर खाना बड़ा पसन्द करते हैं। कान बहुत तेज हैं। दीवारों के पार की भी बात का पता कर लेते हैं। सन्तान पर्याप्त संख्या में उत्पन्न करते हैं। विपरीत लिंगी के प्रति प्रबल आकर्षण करते हैं, पर प्रेम निर्वाह ईमानदारी से करते हैं। इनका प्रेम एक बार हो जाने पर टूट या छूट पाना कठिन होता है। मैथुन को यह रणक्षेत्र बना देते हैं और हर तरह से वार करते हैं। इस राशि के पुरूष से स्त्रियां त्राहिमाम् करती है। इस राशि की स्त्री को संतुष्ट करना भी लोहे के चने चबाना होता है। अपने प्रेमी / पति से यह तीर के समान टकराती है और अपने हाव-भाव से हर पल चुनौती देती है। शरीर से प्रायः स्थूल होती हैं। परपुरूषगामी प्रायः नहीं होती, किन्तु असन्तुष्ट होने पर पति से नफरत करने लग जाती है तथा उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। सत्त्वगुणी होने के कारण इनके प्रेम-पत्र सात्त्विक और सर्वथा मामूली होते हैं। उनको पढ़कर प्रेमपत्र की संज्ञा नहीं दी जा सकती है। इस राशि की महिलाएं प्रायः दिसम्बर-जनवरी (पौष) में गर्भाधान करती हैं। सन्तान के प्रति इनमें गहरी ममता होती है और सबका ध्यान रखती हैं। समय के बड़े पाबन्द और हमेशा क्रियाशील होते हैं। इस राशि की महिला का गुप्त प्रेम प्रायः प्रकट नहीं होता हैं। मैथुन से पूर्व या मैथुन के समय अथवा पश्चात् इस राशि के जातक कोई क्रीड़ा नहीं करते हैं। हां, दन्त-नख का भी खूब प्रयोग करते हैं। वर्ण क्षत्रिय और स्वभाव क्रूर होने के कारण बहुत र्निभयता तथा र्निदयता के साथ व्यवहार करता है। जातक बड़ा कामुक और उत्तेजक मैथुन करता है। इसको गोपनीयता पसन्द नहीं हैं। स्वभाव इनका अग्नि तत्त्व होने के कारण उग्र रहता है, तथा मैथुन के मामले में हर समय ‘गरम’ रहता हैं। विवाह के बाद रात-दिन वह इसी में रूचि रखता है। कई-कई बार अपना धनु सम्भालता है। यह थकता नहीं है और होंठों से नाना प्रकार की ध्वनियां हुकांर के समान निकालता है, किन्तु इसके बावजूद दाम्पत्य जीवन निभ जाता है। अपनी राशि के गुण के कारण हर समय मैथुन के लिये तैयार हो जाते हैं। पुरूष को स्त्री के लिये, स्त्री को पुरूष के लिये तैयार होने में देर नहीं लगती और रूचि के साथ ‘रणभूमि’ में अपने-अपने हथियार ये वार करते हैं। शीघ्र विवाह करते हैं और तुरन्त बच्चा पैदा करते हैं।कर्मठता, क्रियाशीलता और समय की पाबन्दी के कारण इनका गृहस्थ जीवन आर्थिक संकटों में प्रायः नहीं पड़ता, साधारण सुखमय दाम्पत्य होता है।

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