जिन्नों द्वारा बनाई गई पीर की दरगाह
यह मजार उत्तर प्रदेश के जिला मुज़फ़्फ़रनगर के गाँव सोरम में साग्रीब बाबा की मजार है जिसे लोग सोरम साग्रीब पीर और झाड़ू वाले पीर बाबा के नाम से भी जानते हैं।
ग्राम वासियों का कहना है कि 600 साल पुराने इस पीर को एक ही रात में जिन्नातों द्वारा बनाया गया था।
देश के कोने कोने से सभी धर्मों के श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए मन्नत मांगने आते हैं, यहाँ झाड़ू चढ़ाई जाती है। साग्रीब पीरबाबा की मजार पर दर्शन करने रोजाना हजारो लोग आते हैं।
मान्यता है कि इस इमारत का निर्माण इन्सानों द्वारा नहीं बल्कि अब से 600 साल पहले एक ही रात को साग्रीब बाबा के हुक्म से जिन्नादों ने किया था।
कई सौ वर्ष पहले इस गाँव में एक फकीर रहा करता था जिसे यहाँ के ग्रामीण साग्रीब के नाम से से जानते थे। लोगों का कहना है कि साग्रीब बाबा दीन-दुखियों की सेवा करते थे और खुदा के सच्चे रहबर थे, लोग उन्हें खुदा का फ़रिश्ता मानते थे। साग्रीब बाबा के पास रहने के लिए कोई भी घर आदि नहीं था इसलिए एक दिन खुदा ने ज़मीन पर अपने फरिश्ते को भेज कर साग्रीब बाबा के रहने के लिए इमारत बनाने को कहा। खुदा के फरिश्तों ने जिन्नादों को एक अदभुत इमारत बनाने को कहा और जिन्नादों ने एक ही रात में बहुत सुन्दर इमारत बनाकर खड़ी कर दी।
अगले दिन सुबह जब ग्रामीणों ने देखा कि गाँव के पास तालाब के किनारे जंगल में एक बेहद खूबसूरत इमारत खड़ी है, इस इमारत में खास बात यह है कि बाहर से देखने पर इमारत के तीन गुम्बद दिखाई देते हैं लेकिन अन्दर से देखने पर एक ही गुम्बद दिखता है।
इस इमारत में साग्रीब बाबा के साथ उनके भांजे की भी मजार है। इस मजार पर देश के कोने कोने से सभी धर्मो के श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए मन्नत मांगने आते हैं। यहाँ प्रसाद के रूप में इलाईची दाना, पतासे व झाड़ू चढ़ाई जाती है। पीर की मान्यता है कि किसी भी मनुष्य को कोर्ट कचहरी से बचना हो या फिर पारिवारिक विवाद या घरो में खटमल हो गए हो, या फिर किसी के शरीर पर मस्से हो गए हों तो कोई भी यहाँ सच्चे मन से मन्नत मांगता है तो उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।
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