मथुरा में यमुना तीरे रहने वाले देवराहा बाबा को एक चमत्कारी और अवतारी व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि जून सन् 1990 में समाधि पर जाने से पहले इस सिद्ध बाबा ने 500 साल तक अपना जीवन जीया था। उनका संभावित जन्म सन् 1477 में हुआ था।
इनसे पहले केवल तुलसीदास ने 500 साल तक अपना जीवन जीया था। पूरे जीवन निर्वस्त्र रहने वाले बाबा धरती से 12 फुट उंचे लकड़ी से बने बॉक्स में रहते थे। वह नीचे केवल सुबह के समय स्नान करने के लिए आते थे।
बाबा देवराहा खुद को भी एक अवतारी व्यक्त कहते थे। उनका कहना था कि वह किसी महिला के गर्भ से नहीं बल्कि पानी से अवतरित हुए थे। उन्होंने पूरे जीवन कुछ नहीं खाया। कुंभ के समय बाबा नदी किनारे प्रवास करते थे।
वहां अपने भक्तों के सर पर पैर रख कर आशीर्वाद दिया करते थे। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि उनके पिता जब बच्चे थे तो बाबा के चरणों में पूजा करते थे। उस समय भी बाबा की उम्र काफी अधिक थी। बाबा के भक्तों में राजीव गांधी का नाम भी शुमार था। यमुना के किनारे वृन्दावन में निवास करने वाले बाबा देवराहा 30 मिनट तक पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे। उनको जानवरों की भाषा समझ में आती थी। खतरनाक जंगली जानवारों को वह पल भर में काबू कर लेते थे।
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इनसे पहले केवल तुलसीदास ने 500 साल तक अपना जीवन जीया था। पूरे जीवन निर्वस्त्र रहने वाले बाबा धरती से 12 फुट उंचे लकड़ी से बने बॉक्स में रहते थे। वह नीचे केवल सुबह के समय स्नान करने के लिए आते थे।
बाबा देवराहा खुद को भी एक अवतारी व्यक्त कहते थे। उनका कहना था कि वह किसी महिला के गर्भ से नहीं बल्कि पानी से अवतरित हुए थे। उन्होंने पूरे जीवन कुछ नहीं खाया। कुंभ के समय बाबा नदी किनारे प्रवास करते थे।
वहां अपने भक्तों के सर पर पैर रख कर आशीर्वाद दिया करते थे। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि उनके पिता जब बच्चे थे तो बाबा के चरणों में पूजा करते थे। उस समय भी बाबा की उम्र काफी अधिक थी। बाबा के भक्तों में राजीव गांधी का नाम भी शुमार था। यमुना के किनारे वृन्दावन में निवास करने वाले बाबा देवराहा 30 मिनट तक पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे। उनको जानवरों की भाषा समझ में आती थी। खतरनाक जंगली जानवारों को वह पल भर में काबू कर लेते थे।
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