दुनिया में कुछ स्थान ऐसे हैं जहां मरना मना है, गैरकानूनी है। ऐसा लगता है कि हम किसी सदियों पुरानी परंपरा की बात कर रहे हैं। मसलन पांचवीं सदी में ग्रीस के डेलोस आईलैंड में धार्मिक स्थलों पर प्राण त्यागने की मनाही थी। आज के युग में भी ऐसा होता है।
सरपोउरेंक्स - फ्रांस
सरपोउरेंक्स में भी लोगों की मौत पर पाबंदी मेयर ने लगाई है। इसकी वजह ये है कि कोर्ट ने उन्हें मौजूदा कब्रिस्तान के विस्तार की अनुमति नहीं दी है। यहां के मेयर गेरार्ड लालैने (दूसरे) से एक कदम आगे निकले। उन्होंने मौत पर प्रतिबंध ही नहीं लगाया है, ऐसी गुस्ताखी करने वालों के सख्त सजा दिए जाने की बात कही है। अब वे ही जानें कि मर चुके आदमी को मौत की सजा या इससे भी सख्त कौन सी सजा देंगे। कुछ भी हो वहां की जनता इससे चिंतिंत है।
फालसिआनो डेल मासिको - इटली
इटली के छोटे शहर फालसिआनो डेल मासिको की कहानी कुछ अलग है। यहां अब लोगों को दफनाने की जगह ही नहीं बची है। गांव का सीमांकन 1964 में हुआ था। इसलिए पिछले दिनों मेयर ने सीमा के बाहर किसी को दफनाने पर पाबंदी लगा दी है। पुराने कब्रिस्तान को लेकर इनका पड़ोसी शहर से विवाद भी चल रहा है।मेयर नए कब्रिस्तान की व्यवस्था में लगे हैं, तब तक के लिए लोगों से मौत पर नियंत्रण करने को कहा गया है।
लॉन्गईयरबेन - नॉर्वे
नॉर्वे के स्वलबार्ड आईलैंड का छोटा-सा शहर है लॉन्गईयरबेन। इस शहर में सिर्फ एक छोटा-सा कब्रिस्तान है, जिसमें पिछले 70 साल से ज्यादा समय से किसी को नहीं दफनाया गया है। इसकी वजह ये है कि यहां शरीर डीकंपोज (गलना) नहीं होता है। वैज्ञानिक यहां से 1917 में महामारी में मरे लोगों के शरीर से इन्फ्लूएंजा के वाइरस भी निकाल चुके हैं। जैसे ही किसी की तबीयत ज्यादा बिगड़ती है, उसे हवाई या जलमार्ग से देश के अन्य हिस्सों में भेज दिया जाता है।
इत्सूकूशिमा - जापान
जापान में शिंटो धर्म के लोग इत्सूकूशिमा आईलैंड को पवित्र स्थल मानते हैं। यहां की पवित्रता कायम रखना उनका पहला मकसद है। यहां धार्मिक स्थलों के धर्मगुरु इस बात का खास ध्यान रखते हैं कि यहां कोई मौत न हो। 1878 से यहां के धार्मिक स्थलों के आसपास कोई भी मौत या किसी का जन्म नहीं हुआ है। गर्भवती महिला, बुजुर्ग या फिर गंभीर रूप से बीमार लोगों को यहां आने की इजाजत नहीं दी जाती है। इसमें ये कितने कामयाब हैं ये वे ही जानें।
सरपोउरेंक्स - फ्रांस
सरपोउरेंक्स में भी लोगों की मौत पर पाबंदी मेयर ने लगाई है। इसकी वजह ये है कि कोर्ट ने उन्हें मौजूदा कब्रिस्तान के विस्तार की अनुमति नहीं दी है। यहां के मेयर गेरार्ड लालैने (दूसरे) से एक कदम आगे निकले। उन्होंने मौत पर प्रतिबंध ही नहीं लगाया है, ऐसी गुस्ताखी करने वालों के सख्त सजा दिए जाने की बात कही है। अब वे ही जानें कि मर चुके आदमी को मौत की सजा या इससे भी सख्त कौन सी सजा देंगे। कुछ भी हो वहां की जनता इससे चिंतिंत है।
फालसिआनो डेल मासिको - इटली
इटली के छोटे शहर फालसिआनो डेल मासिको की कहानी कुछ अलग है। यहां अब लोगों को दफनाने की जगह ही नहीं बची है। गांव का सीमांकन 1964 में हुआ था। इसलिए पिछले दिनों मेयर ने सीमा के बाहर किसी को दफनाने पर पाबंदी लगा दी है। पुराने कब्रिस्तान को लेकर इनका पड़ोसी शहर से विवाद भी चल रहा है।मेयर नए कब्रिस्तान की व्यवस्था में लगे हैं, तब तक के लिए लोगों से मौत पर नियंत्रण करने को कहा गया है।
लॉन्गईयरबेन - नॉर्वे
नॉर्वे के स्वलबार्ड आईलैंड का छोटा-सा शहर है लॉन्गईयरबेन। इस शहर में सिर्फ एक छोटा-सा कब्रिस्तान है, जिसमें पिछले 70 साल से ज्यादा समय से किसी को नहीं दफनाया गया है। इसकी वजह ये है कि यहां शरीर डीकंपोज (गलना) नहीं होता है। वैज्ञानिक यहां से 1917 में महामारी में मरे लोगों के शरीर से इन्फ्लूएंजा के वाइरस भी निकाल चुके हैं। जैसे ही किसी की तबीयत ज्यादा बिगड़ती है, उसे हवाई या जलमार्ग से देश के अन्य हिस्सों में भेज दिया जाता है।
इत्सूकूशिमा - जापान
जापान में शिंटो धर्म के लोग इत्सूकूशिमा आईलैंड को पवित्र स्थल मानते हैं। यहां की पवित्रता कायम रखना उनका पहला मकसद है। यहां धार्मिक स्थलों के धर्मगुरु इस बात का खास ध्यान रखते हैं कि यहां कोई मौत न हो। 1878 से यहां के धार्मिक स्थलों के आसपास कोई भी मौत या किसी का जन्म नहीं हुआ है। गर्भवती महिला, बुजुर्ग या फिर गंभीर रूप से बीमार लोगों को यहां आने की इजाजत नहीं दी जाती है। इसमें ये कितने कामयाब हैं ये वे ही जानें।
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