जोधपुर. जोधपुर जिले की फलौदी तहसील के पीलवा और इससे सटे दर्जनों गांवों में सारे मकान एक मंजिल के हैं। लगभग 20 हजार घर और एक लाख आबादी वाले इस गांव में पिछले दो सौ साल में यहां किसी ने मकान में दूसरी मंजिल नहीं बनवाई।
वरिष्ठ नागरिक व श्रीबगतेश मेला कमेटी के अध्यक्ष हजारीमल राठी बताते हैं कि क्षेत्र के लोगों में लोक देवता बगतसिंह के प्रति अटूट आस्था है। उनका निधन 1862 में हुआ। उस वक्त वे अपने मकान की दूसरी मंजिल पर सो रहे थे।
स्थानीय लोगों की मान्यता है कि वे देवगति को प्राप्त हुए। समय बीतने के साथ उनकी प्रसिद्धि लोक देवता के रूप में क्षेत्र भर में फैल गई। हर पूर्णिमा को पीलवा में बगतसिंह की स्मृति में मेला लगता है। इसमें जोधपुर जिले के विभिन्न गांवों के साथ ही सांचौर, बाड़मेर, जैसलमेर व बीकानेर से भी सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं।
सरपंच भुवनेश्वर सिंह बताते हैं कि बगतसिंह के प्रति आस्था के कारण स्थानीय लोग दूसरी मंजिल के समानांतर भवन नहीं बनवाते। इसके लिए उन्होंने ग्राउंड फ्लोर के ऊपर निर्माण करवाना ही बंद कर दिया। क्षेत्र के लोग बताते हैं कि किसी ने अगर दो मंजिला मकान बना भी लिया तो कुछ समय बाद उसे गिराना पड़ा।
वरिष्ठ नागरिक व श्रीबगतेश मेला कमेटी के अध्यक्ष हजारीमल राठी बताते हैं कि क्षेत्र के लोगों में लोक देवता बगतसिंह के प्रति अटूट आस्था है। उनका निधन 1862 में हुआ। उस वक्त वे अपने मकान की दूसरी मंजिल पर सो रहे थे।
स्थानीय लोगों की मान्यता है कि वे देवगति को प्राप्त हुए। समय बीतने के साथ उनकी प्रसिद्धि लोक देवता के रूप में क्षेत्र भर में फैल गई। हर पूर्णिमा को पीलवा में बगतसिंह की स्मृति में मेला लगता है। इसमें जोधपुर जिले के विभिन्न गांवों के साथ ही सांचौर, बाड़मेर, जैसलमेर व बीकानेर से भी सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं।
सरपंच भुवनेश्वर सिंह बताते हैं कि बगतसिंह के प्रति आस्था के कारण स्थानीय लोग दूसरी मंजिल के समानांतर भवन नहीं बनवाते। इसके लिए उन्होंने ग्राउंड फ्लोर के ऊपर निर्माण करवाना ही बंद कर दिया। क्षेत्र के लोग बताते हैं कि किसी ने अगर दो मंजिला मकान बना भी लिया तो कुछ समय बाद उसे गिराना पड़ा।
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