गोरखपुर से 22 किलोमीटर दूर देवरिया रोड पर तरकुलहां देवी का मंदिर स्थित है। यह मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। यहां आस पास के जिलों सहित दूर-दराज से भक्त अपनी मन्नतें मांगने आते हैं।
यहां नारियल और बकरे का भेंट चढ़ाया जाता है। माना जाता है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है। उसको मां पूरी करतीं हैं। यहां नवरात्र के समय भारी भीड़ जमा होती है। मंदिर के पास ही माता के भक्त और स्वतंत्रता सेनानी बंधू सिंह का स्मारक भी है। बंधू सिंह गुरिल्ला युद्ध में माहिर योद्धा थे। माता के आशीर्वाद से अंग्रेजों में हड़कंप मचा दिया था। कई अंग्रेजों को धूल चटाकर मौत के घाट उतार दिया था। लेकिन कुछ मुखबिरों की गद्दारी के शिकार हो जाने से बंधू सिंह अंग्रेजों के हत्थे चढ़ गए।
मां के इस अनन्य भक्त को सात बार फांसी पर चढ़ाया गया। लेकिन मां की कृपा से सातों बार फंदा टूट गया। आठवीं बार मां से इस वीर शहीद ने अपने आंचल में छुपाने की मांग की तब जा कर आठवीं बार फांसी पर झूल पाए ये मां के लाल। आठवीं बार फांसी का फंदा खुद अपने हाथों से बंधू सिंह ने पहना और अंग्रेजों की साम्राज्यवादी नीतियों के भेंट चढ़ गए। तभी से भक्त माता के दर्शन के बाद बंधू सिंह की शहादत को सलाम करते हैं। माता का मंदिर और बंधू सिंह का यह स्मारक गोरखपुर की धरोहर हैं।
यहां नारियल और बकरे का भेंट चढ़ाया जाता है। माना जाता है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है। उसको मां पूरी करतीं हैं। यहां नवरात्र के समय भारी भीड़ जमा होती है। मंदिर के पास ही माता के भक्त और स्वतंत्रता सेनानी बंधू सिंह का स्मारक भी है। बंधू सिंह गुरिल्ला युद्ध में माहिर योद्धा थे। माता के आशीर्वाद से अंग्रेजों में हड़कंप मचा दिया था। कई अंग्रेजों को धूल चटाकर मौत के घाट उतार दिया था। लेकिन कुछ मुखबिरों की गद्दारी के शिकार हो जाने से बंधू सिंह अंग्रेजों के हत्थे चढ़ गए।
मां के इस अनन्य भक्त को सात बार फांसी पर चढ़ाया गया। लेकिन मां की कृपा से सातों बार फंदा टूट गया। आठवीं बार मां से इस वीर शहीद ने अपने आंचल में छुपाने की मांग की तब जा कर आठवीं बार फांसी पर झूल पाए ये मां के लाल। आठवीं बार फांसी का फंदा खुद अपने हाथों से बंधू सिंह ने पहना और अंग्रेजों की साम्राज्यवादी नीतियों के भेंट चढ़ गए। तभी से भक्त माता के दर्शन के बाद बंधू सिंह की शहादत को सलाम करते हैं। माता का मंदिर और बंधू सिंह का यह स्मारक गोरखपुर की धरोहर हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें