देवरिया.देवों की नगरी देवरिया में स्थित मां देवरही का इतिहास बहुत प्राचीनतम है और मां देवरही के दर्शन मात्र से ही भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है. देवरही देवी के नाम पर जिले का नाम ही देवरिया पडा. देवी मां के दर्शन मात्र से ही एक साथ माता काली, दुर्गा और सरस्वती के दर्शन हो जाते हैं. वैसे तो यहां हर समय भक्तों की भीड जमी रहती है, लेकिन क्वार और चैत्र माह में नवरात्र के दिनों में यहां भक्तों की भीड काफी बढ जाती है.
इतिहासकारों के अनुसार प्राचीन काल में एक स्थान पर खुदाई के दौरान देवी के दो चरण मिले. लोगों के बुलाने पर काशी के विद्वानों ने चरणों की पूजा माता देवरही के रुप में करने को कहा तथा माता के चरणों की विधि पूर्वक पूजा अर्चना करने के बाद उन्हे माता देवरही के रुप में स्थापित किया. तभी से यह धाम भक्तों के आस्था का केन्द्र बन गया.
शहर के विद्वानों के अनुसार जब भगवान भोले नाथ माता सती का शव लेकर मृत्यु लोक में घूम रहे थे कि भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उनके अंगों को खंडित करते जा रहे थे तथा उनके अंग देश के कई हिस्सों में गिरे. बताया जाता है कि माता सती का चरण देवरण्य में गिरा.
उन्हीं के नाम पर देवरही से देवरिया का नाम पडा. इस मंदिर की देखरेख लगभग 300 वर्ष से पैकेली के धनहारी महराज के निर्देश पर हो रहा है. लगभग दस एकड क्षेत्रफल में फैले इस मंदिर में उन चरणों की श्रद्धालु माता की पूजा अर्चना करते हैं. वहां तीन मुखवाली एक प्रतिमा भी स्थापित है.
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