'अर्बन डेवलपमेंट' किसी भी देश के इकोनॉमिक डेवलपमेंट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन, शहर बनने के साथ ही वहां अत्यंत गरीबी हालत में जी रहे लोगों की गंदी बस्तियां भी विकसित होती हैं, जिसे स्लम्स कहा जाता है।
इन स्लम्स में रहना बहुत मुश्किल काम है। गंदगी के अंबारों के साथ तंग रास्तों वाले इन जगहों में रिसर्च करने पर यह पाया गया कि यहां रहने वाले लोगों की आय का मुख्य जरिया स्ट्रीट वेंडिंग, ड्रग डीलिंग, घरेलू कामकाज और वेश्यावृति है।
आजकल एक शब्द बहुत सुनने को मिल रहा है- स्लम फ्री सिटी। किस तरह से किसी शहर के स्लमीफिकेशन को रोका जाय, यह चुनौती है और इसपर योजनाएं बनाने की कोशिशें जारी हैं।
देखिए, भारत की दस गंदी बस्तियां-
बसंती स्लम कोलकाता
भलस्वा स्लम, दिल्ली
धारावी स्लम, मुंबई
इंदिराम्मा नगर, हैदराबाद
मेहबुल्लापुर स्लम, लखनऊ
नोचिकुप्पम स्लम, चेन्नई
परिवर्तन स्लम, अहमदाबाद
राजेंद्र नगर स्लम, बेंगलुरू
सरोज नगर स्लम, नागपुर
सतनामी नगर स्लम, भोपाल
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इन स्लम्स में रहना बहुत मुश्किल काम है। गंदगी के अंबारों के साथ तंग रास्तों वाले इन जगहों में रिसर्च करने पर यह पाया गया कि यहां रहने वाले लोगों की आय का मुख्य जरिया स्ट्रीट वेंडिंग, ड्रग डीलिंग, घरेलू कामकाज और वेश्यावृति है।
आजकल एक शब्द बहुत सुनने को मिल रहा है- स्लम फ्री सिटी। किस तरह से किसी शहर के स्लमीफिकेशन को रोका जाय, यह चुनौती है और इसपर योजनाएं बनाने की कोशिशें जारी हैं।
देखिए, भारत की दस गंदी बस्तियां-
बसंती स्लम कोलकाता
भलस्वा स्लम, दिल्ली
धारावी स्लम, मुंबई
इंदिराम्मा नगर, हैदराबाद
मेहबुल्लापुर स्लम, लखनऊ
नोचिकुप्पम स्लम, चेन्नई
परिवर्तन स्लम, अहमदाबाद
राजेंद्र नगर स्लम, बेंगलुरू
सरोज नगर स्लम, नागपुर
सतनामी नगर स्लम, भोपाल
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