लाल चीटियां अपने घरौंदों को बचाने में बहुत माहिर होती हैं और जब कोई विदेशी उन पर हमला करता है तो उस शत्रु से बचाने के लिये वे बहुत समन्वित होकर आक्रामक तरीके से जवाब देती हैं।
नेचरविस्सेनशाफ्टेन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में उष्ण कटिबंधीय लाल चीटियों ओइकोफायला स्मेरैगदीना (लाल चीटियां या मटा) के व्यवहार के बारे में बताया गया है। ये चीटियां सामाजिक कीट कहलाती जो अपना घोंसला बनाने के लिये पेड़ के पत्तियों की एक तरह से सिलाई करती हैं। इसी खासियत की वजह से इन्हें वीवर चीटियां कहा जाता है।
ये लाल चीटियां उत्तरी आस्ट्रेलिया, भारत, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में पाई जाती हैं। इस अध्ययन से खुलासा हुआ है कि ये लाल चीटियां विरोधियों का पता लगाने के लिये अपनी यादों का सहारा लेती हैं। यह उसी तरह से है जैसे कि खेल प्रेमी एक दूसरे को टीम के रंग से पहचानते हैं। ये चीटियां दूर के लोगों की अपेक्षा अपने पड़ोसियों के प्रति ज्यादा आक्रामक होती हैं।
अध्ययन के अनुसार, अपने घरौंदों को बचाने में ये चींटियां बहुत माहिर होती हैं। उनकी कॉलोनियों पर जब हमला होता है या कोई शत्रु वहां पहुंचता है तो ये चींटियां बहुत ही समन्वित तरीके से हमले का जवाब देती हैं।
नेचरविस्सेनशाफ्टेन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में उष्ण कटिबंधीय लाल चीटियों ओइकोफायला स्मेरैगदीना (लाल चीटियां या मटा) के व्यवहार के बारे में बताया गया है। ये चीटियां सामाजिक कीट कहलाती जो अपना घोंसला बनाने के लिये पेड़ के पत्तियों की एक तरह से सिलाई करती हैं। इसी खासियत की वजह से इन्हें वीवर चीटियां कहा जाता है।
ये लाल चीटियां उत्तरी आस्ट्रेलिया, भारत, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में पाई जाती हैं। इस अध्ययन से खुलासा हुआ है कि ये लाल चीटियां विरोधियों का पता लगाने के लिये अपनी यादों का सहारा लेती हैं। यह उसी तरह से है जैसे कि खेल प्रेमी एक दूसरे को टीम के रंग से पहचानते हैं। ये चीटियां दूर के लोगों की अपेक्षा अपने पड़ोसियों के प्रति ज्यादा आक्रामक होती हैं।
अध्ययन के अनुसार, अपने घरौंदों को बचाने में ये चींटियां बहुत माहिर होती हैं। उनकी कॉलोनियों पर जब हमला होता है या कोई शत्रु वहां पहुंचता है तो ये चींटियां बहुत ही समन्वित तरीके से हमले का जवाब देती हैं।
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