इसके निर्माण को लेकर कई रोचक दंत कथाएं हैं। एक दंत कथा के अनुसार जांजगीर का विष्णु मंदिर और पास के शिवरी नारायण मंदिर के निर्माण को लेकर प्रतियोगिता हो गई थी। इसमें एक निश्चित समय तक मंदिरों को बनना तय हुआ था।
भगवान नारायण ने घोषणा की थी कि इन दोनों मंदिरों में से जो सबसे पहले तैयार होगा, वे उसी में प्रवेश करेंगे। शिवरी नारायण मंदिर का निर्माण कार्य पहले पूरा हो गया और भगवान नारायण वहीं प्रविष्ट हुए। वहीं जांजगीर के इस मंदिर का निर्माण कार्य सदा के लिए अधूरा छूट गया।
दूसरी दंत कथा के अनुसार मंदिर के निर्माण की जिम्मेदारी महाबली भीम को और दूसरे मंदिर की जिम्मेदारी विश्वकर्मा को दी गई थी। भीम के पास एक हाथी था, जो भीम का सामान उठाने में मदद करता था। मंदिर बनाते समय भीम के औजार जमीन पर गिर जाते थे, तब हाथी ही लाकर देता था। एक समय में औजार पास के तालाब में जाकर गिर गया तो हाथी औजार को बहुत प्रयास के बाद भी ढूंढ नहीं पाया और सुबह हो गई।
इस कारण मंदिर का निर्माण समय पर नहीं हो सका और भीम प्रतियोगिता हार गए। इस बात से नाराज होकर भीम ने हाथी के दो टुकड़े कर दिए। इस बात के प्रमाण स्वरूप मंदिर में आज भी भीम और हाथी की खंडित मूर्तियां मौजूद हैं।
इस मंदिर के पास भीमा तालाब मौजूद है। तालाब के निर्माण को लेकर एक रोचक एक दंत कथा महाबली भीम से जुड़ी हुई है।
महाबली भीम ने अपने महाबल से तालाब का निर्माण पलभर में ही कर दिया था। भीम ने पांच बार फावड़ा चलाकर ही यह तालाब खोद डाला था।
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