भूतहा द्वीप : करीब 1.6 लाख लोगों को यहां ज़िंदा जलाया गया था
इटली के प्रोवेग्लिया आईलैंड की तस्वीरों को देखकर इसकी तारीफ किए बिना नहीं रह सकते। फिर भी यहां की कहानी इसके विपरीत है। आज ये पूरी तरह वीरान है। उत्तरी इटली की वेनेटियन लगून्स में स्थित इस आईलैंड पर जाना प्रतिबंधित है। सिर्फ शराब की फसल के समय पर ही लोग यहां जाते हैं। मछुआरे भी इसके पास मछली पकड़ने नहीं जाते। उनके जाल में कई बार मरे इंसानों की हड्डियां फंसती हैं।
1960 के दशक में वहां की सरकार ने इसे एक प्राइवेट मालिक को बेचा था। वह यहां कुछ ही दिन रहा और ये जगह छोड़ गया। इसके बाद एक परिवार ने इसे हॉलिडे होम बनाने के लिए खरीदा लेकिन वे भी यहां सिर्फ एक दिन टिक सके। कहा जाता है कि उनकी बेटी का मुंह चिर गया था और उसे जोड़ने के लिए चौदह टांके लगाने पड़े थे। इस तरह ये खूबसूरत आईलैंड भूतहा बन गया। यह कहानी रोमनकाल से शुरू होती है।
कहते हैं उस समय प्लेग के मरीजों को यहां लाकर छोड़ दिया जाता था। सदियों बाद ब्लैक डैथ (काला बुखार) के समय भी आईलैंड का ऐसा इस्तेमाल जारी रहा। इससे मरने वालों को यहां लाकर एक साथ दफना दिया जाता था। इस बीमारी के मरीजों को यहां जिंदा जलाया भी जाता था। करीब 1.6 लाख लोगों को यहां जलाया गया होगा। आज भी यहां जमीन पर राख और मानव अवशेषों की परत जमी हुई देखी जा सकती है।
1922 में यहां मानसिक रोगियों का बड़ा अस्पताल बनाया गया, जिसमें बैल टॉवर भी था। यहां के डॉक्टर्स और नर्सो को कुछ भी असामान्य नजर नहीं आया लेकिन पागल मरीजों को यहां प्लेग के मरीजों के भूत नजर आते थे। बाद में डॉक्टर्स का भी ऐसा अनुभव रहा। इसके बाद भी सच की तलाश में गए लोग यहां से जिंदा लौटकर नहीं आ सके और ये आईलैंड हमेशा के लिए वीरान हो गया।
1960 के दशक में वहां की सरकार ने इसे एक प्राइवेट मालिक को बेचा था। वह यहां कुछ ही दिन रहा और ये जगह छोड़ गया। इसके बाद एक परिवार ने इसे हॉलिडे होम बनाने के लिए खरीदा लेकिन वे भी यहां सिर्फ एक दिन टिक सके। कहा जाता है कि उनकी बेटी का मुंह चिर गया था और उसे जोड़ने के लिए चौदह टांके लगाने पड़े थे। इस तरह ये खूबसूरत आईलैंड भूतहा बन गया। यह कहानी रोमनकाल से शुरू होती है।
कहते हैं उस समय प्लेग के मरीजों को यहां लाकर छोड़ दिया जाता था। सदियों बाद ब्लैक डैथ (काला बुखार) के समय भी आईलैंड का ऐसा इस्तेमाल जारी रहा। इससे मरने वालों को यहां लाकर एक साथ दफना दिया जाता था। इस बीमारी के मरीजों को यहां जिंदा जलाया भी जाता था। करीब 1.6 लाख लोगों को यहां जलाया गया होगा। आज भी यहां जमीन पर राख और मानव अवशेषों की परत जमी हुई देखी जा सकती है।
1922 में यहां मानसिक रोगियों का बड़ा अस्पताल बनाया गया, जिसमें बैल टॉवर भी था। यहां के डॉक्टर्स और नर्सो को कुछ भी असामान्य नजर नहीं आया लेकिन पागल मरीजों को यहां प्लेग के मरीजों के भूत नजर आते थे। बाद में डॉक्टर्स का भी ऐसा अनुभव रहा। इसके बाद भी सच की तलाश में गए लोग यहां से जिंदा लौटकर नहीं आ सके और ये आईलैंड हमेशा के लिए वीरान हो गया।
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