राशि और सैक्स - कुम्भ राशि
Sign & Sex -Aquarius
जिस महिला के स्तन घड़े के समान विशाल स्तूपाकार, शक भरी बहुत पनियल आंखें हो तथा पुरूष का सिर घड़े के समान, दर्शन, ज्योतिष या गुप्त विद्याओं की बात कर रहा हो, नजरें बड़ी तीखी हो वह जातक कुम्भ राशि का होगा।सौरमण्डल में आकार घड़े (कुम्भ) के समान, माह फाल्गुन (फरवरी-मार्च), अंक 4 है। स्वभाव स्थिर, तत्त्व आकाश, शीर्षोदय उदय, लिंग पुरूष, दिषा उत्तर, जाति वैश्य, रंग रंग-बिरंगा, रहने का स्थान कुम्हार की जगह, शरीर का अंग घुटना, गुण तमोगुणी, प्रकृत्ति पित्त, रत्न कौस्तुभ और गोमेद, ग्रह शनि, अधिपति देवता यम / दुर्गा तथा आकार रेखा के समान है।इस राशि की महिलाओं के स्तन अत्यन्त विशाल होते हैं, उनकी इन्द्रिय घड़े के मुंह के समान गोल और काफी फेली हुई लगती है और पुत्रवती न होने के बावजूद एक बच्चे की मां के समान लगती है। इस राशि का पुरूष सामान्य कद काठी का और हल्का सा आकर्षक होता है। इसका पुरूषांग रेखा के समान एकदम सीधा होता है, अण्डकोष आवश्यकता से बड़े होते हैं। इस राशि के जातकों का स्खलन इतना अधिक होता है कि जंघाएं भीग जाती है। विशेष रूप से स्त्री मैथुन के समय इतनी गीली हो जाती है कि पुरूष को बार-बार पोंछना पड़ता है। फाल्गुन माह का स्वामी होने के कारण हर समय काम पीड़ित रहते हैं।इस राशि का कामोत्तेजना केन्द्र पिंडलियां / घुटने है। इनको उठाते सहलाते ही इनका ठंडापन समाप्त हो जाता है और शीघ्र स्खलित हो जाते हैं। इसे दिन में मैथुन करना सुखमय लगता है तथा पृष्ठ भाग कम प्रिय है, किन्तु कुम्हार के चाक की भांति यह चकरी लगा-लगाकर इस क्रिया को करता है। कामुकता होती है, किन्तु छलकते घड़े के समान धीमी गति से यह देर तक क्रीड़ारत रहता है। परायी स्त्रियों से इसके सम्बन्ध होते हैं, किन्तु वास्तविक प्रेम अपनी पत्नी को ही करता है। इसका तत्त्व आकाश होने से मैथुन के सम्बन्ध में नाना प्रकार की कल्पनाएं करता रहता है। उत्तर दिशा की ओर मुख करके मैथुन करने में ज्यादा सुख पाता है। इसका मैथुन ध्वनिमय होता है। जाति वैश्य होने के कारण साफ सफाई पसन्द हैं। इस राशि की महिला को बनाव-श्रृगांर बड़ा प्यारा होता है तथा रंग-बिरंगे कपड़े पसन्द करती है। मन्थर मैथुन इसे प्रिय है। चरम उत्तेजना और स्खलन के समय सीत्कारें अवश्य बिखेरती है। अपने पति को प्रगाढ़ प्रेम करती है और उसे पूरा सुख देती है। इस राशि की महिला बहुत कम परपुरूषगामी होती है। विवाह पूर्व अपनी चंचलता के कारण उनको अपयश मिल सकता है, किन्तु शरीर सम्बन्ध में यह सरलता से हाथ नहीं लगाने देती है। कुम्भ होने के कारण हर बात में वजन रखती है। सोच-समझकर कदम उठाती है। अपने घरेलु काम-काज में रूचि रखती है। इस राशि के पुरूष का स्खलन अधिक मात्रा में होता है। पूर्ण रूप से यह मैथुन करता है। गौर-वर्ण की स्त्रियों में सबसे ज्यादा रूचि रखता है। हल्का नीला रंग देखकर इसकी कामोत्तेजना बढ़ती है। शनिवार के दिन यह विशेष रूप से कामपीड़ित रहता है। इस राशि का विशिष्ट माह फरवरी-मार्च (फाल्गुन) है। मैथुन से पूर्व यह जातक अपनी पत्नी के शरीर के साथ सबसे ज्यादा प्यार करता है। इसके चुम्बन सबसे लम्बे और आलिंगन सबसे प्रगाढ़ होंते हैं। मैथुन से पूर्व यह पत्नी को प्यार करके बहुत ज्यादा उत्तेजित कर देता है। इसको मैथुन के दौरान, पूर्व व अन्त में अश्लील वार्ता से सुख मिलता है। यह अपनी पत्नी से खुलकर फूहड़ शब्दों में तमाम बातें करता है। एकान्त स्थानों में मौका देखकर यह अश्लीलतम वाक्य लिखने में माहिर होता है अथवा गुप्त रोगों के चित्र बना देने में इसको बड़ा आनन्द आता है। इसके प्रेमपत्र सबसे अश्लील होते हैं। अपनी पत्नी के साथ सार्वजनिक प्रेम प्रदर्शन करता है। हाथ पकड़कर चलना, कन्धे पर हाथ रखना, कमर में सबके सामने हाथ डालना, निगाहें बचाकर यात्रा के दौरान उसके स्तन मर्दन कर देना साधारण बात है। अत्यन्त भोग-विलासी, कामुक, बनाव-श्रृगार में समय लगाने वाले और हमेशा सजे-संवरे रहना विशेष गुण होता है। स्वभाव से बेहद शक्की और तांक-झांक करने वाले होते हैं। मैथुन का कोई भी कुकर्म इनसे नहीं बचता। इस राशि का सम्भोग अत्यन्त घृणित और पतित होता है। वह सब सीमाएं पार कर जाता है। स्त्रियों का कामावेग अत्यन्त प्रचण्ड़ होता है। सबसे अधिक यौन रोग इस राशि के जातकों को होते हैं। सबसे अधिक समय तक 60/65 साल तक इस राशि के व्यक्ति सम्भोग करते हैं।इनका दाम्पत्य जीवन मैथुन पर आधारित है। सारा गुस्सा मैथुन की प्राप्ति के साथ हवा हो जाता है, इससे बड़े खुश रहते हैं। समाज के भय से यह विवाहिता को साथ रखते हैं, वरना कुम्हार के चक्के की तरह नयी-नयी मिट्टी गढ़ना कोई इनसे सीखे। अश्लीलता में इनको सबसे ज्यादा सुख मिलता है। दाम्पत्य जीवन प्रायः इसी कारण कटु, अर्थाभाव वाला होता है। पुरूष प्रायः दार्शनिक या ज्योतिषी जैसे होते हैं। इनका प्रेम धुमकेतु के समान पल में तोला, पल में माशा होता है। बड़ा दुःखद दाम्पत्य जीवन होता है। बीमारी, मासिक धर्म, पूरे गर्भ में भी पत्नी की नाना प्रकार की दुर्गति कर डालते हैं।सन्तान अत्यन्त कम और दुर्बल होती है। सन्तान के प्रति ममता कम होती है। इनके प्रेमपत्र निहायत दार्शनिक होते हैं और द्विअर्थी। इनका स्वभाव रसिक होता है। समाज में इसके बावजूद इनकी कुशाग्र बुद्धि और बड़बोलेपन के कारण सम्मान बना रहता है।
राशि और सैक्स - मकर राशि
राशि और सैक्स - मकर राशि
Sign & Sex - Capricorn
सौरमण्डल में अपने मगरमच्छ आकार के कारण इस राशि का नामकरण ‘मकर’ है। स्वामी ग्रह शनि, अंक 8 है। हस्तरेखा के अनुसार तर्जनी के तल में स्थित है। इसका माह माघ (जनवरी-फरवरी), चर राशि, तत्त्व पृथ्वी, पृष्ठोदय उदय, दिशा उत्तर, लिंग स्त्री, जाति शूद्र, तमोगुणी, रंग नीला काला, प्रकृति रात, ऋतु शिशिर, रत्न नीलम, आकार छड़ लगी खिड़की के समान, निवास जल, शरीर में अंग पैर तथा इसका केवल प्रथम भाग चतुष्पद है।इस राशि के जातक छरहरे, लम्बे, साधारण सुन्दर होते हैं। इस राशि के पुरूष की इन्द्रिय बेलनाकार होती है और स्त्री अंग खिड़कीनुमा, उसमें कई दरारें दीखती हैं। भगोष्ठ फेलने पर एक दरार दीखेगी, किन्तु सामान्य दशा में कई छिद्र दीखते हैं। स्तन बड़े और लटके होते हैं, किन्तु नितम्ब अत्यन्त उच्च और वृद्धावस्था तक कसावट भरे होते हैं। इस राशि की कामोत्तेजना का स्थल पैरों में है। विशेष रूप से पिंडलियों में, उनको कंधे पर उठाकर रखते ही कम्पन के साथ ही कामोत्तेजना बढ़ जाती है और यह स्खलित हो जाता है। जाति से शूद्र और केवल प्रथम भाग चतुष्पद है, अतः इसे कंधे पर पैर रखे जाने वाला आसन ही सबसे प्रिय है। तत्त्व इसका पृथ्वी तथा निवास जल या वन होने से मैथुन शांत, किन्तु भरपूर होता है। विपरीत पक्ष को यह पूरा निगल जाता है। उत्तर की ओर मुख करके क्रिया में विशेष सुख पाता है। इसका मैथुन सारे शरीर में हलचल मचा देने वाला तथा पानी में मगरमच्छ के भागने की ‘छप-छप’ की ध्वनि से युक्त होता है। यह पृष्ठ भाग से सम्भोग करना पसन्द करता है। उनकी आंखों में चमक भी होती है। इस राशि के जातकों का व्यवहार बड़ा रहस्यमय होता है। प्रेम के मामले में प्रायः उदासीन रहते हैं। इनका प्यार पाने के लिये निरन्तर प्रयास करना पड़ता है। चर स्वभाव के कारण चंचलता होती है, और रात्रि में मैथुन करना विशेष प्रिय है। बिना खिड़की वाले कमरे या स्थान में मैथुन करतें समय इनको पूर्ण तृप्ति नहीं मिलती है। इस राशि का जातक अत्यन्त कामुक होता है। अपनी पत्नी के अलावा यह परायी स्त्री से अवश्य सम्बन्ध रखता है। इस राशि की स्त्री में कामोत्तेजना होती है, कामुक होती हैं किन्तु परपुरूष से सम्पर्क में कठिनता से आती है। इस राशि की स्त्री को सन्तुष्ट करने में पति को पसीना आ जाता है। जाति शूद्र होने से इसका मैथुन बड़ा अश्लील होता है। साफ-सफाई तो इसको पसन्द है, किन्तु इसमें भी घिनौनापन ज्यादा होता है। इस राशि का जातक मैथुन से पूर्व अपनी पत्नी को बेहद तंग करता है। कभी हाथ तो कभी मुख का प्रयोग करने पर विवश कर देता है। श्रृगांरप्रियता के कारण पत्नी का पूरा श्रृगांर करवाने के बाद ही यह क्रिया करता है। पत्नी को यह नित नये रूप में देखना पसन्द करता है। इस राशि के जातक का मन बड़ा रसिक होता है। प्रेमपत्र लिखने में सबसे ज्यादा आलस्य दिखलाते हैं। बड़ी मुश्किल से लिखते हैं। लिखाई की भाषा बड़ी रहस्यपूर्ण होती है, शेरो-शायरी का भरपूर प्रयोग होता है। अश्लीलता के चलते अपनी पत्नी को अश्लीलतम पत्र भी लिख देते हैं। पैरों में ज्यादा बल होने के कारण यह पैदल चलने से नहीं थकते। निवास जल में होने के कारण इनका मैथुन ठंडा होता है। तत्त्व पृथ्वी होने से यह व्यवहारिक होते हैं। स्वभाव इनका रहस्यमय होता है। इनका दाम्पत्य जीवन देख कर पता नहीं लगाया जा सकता की ये सुखी हैं या दुःखी।सन्तान इनके कम होती है। प्रेम सम्बन्ध कम होते हैं। रूढ़ियां और सामाजिक परम्परा तोड़ नहीं सकते। धर्मभीरू और अंधविश्वासी होते हैं। इस कारण प्रेम करने से डरते भी हैं और दिल से कमजोर होते हैं।इनके दाम्पत्य जीवन में आर्थिक समस्याएं अपने-आप सुलझ जाया करती हैं। जनवरी-फरवरी (माघ) गर्भाधान का समय होता है तथा शिशिर में यह थोड़ा कामातुर हो जाया करते हैं। रात का समय बेहद प्रिय है। 40 साल की उमर के पश्चात् सम्भोग में रूचि कम हो जाया करती हैं।साधारण तौर पर इस राशि के जातक सेक्स के मामले में ठंड़े होते हैं, दाम्पत्य जीवन विशेष चहल-पहल वाला नहीं होता। चतुराई के साथ अपना काम बना लेते हैं। इस राशि की महिलाएं बहुत बातुनी होती हैं और जबान पर नियन्त्रण नहीं होता है। शान-घमंड नहीं होता है और अपनी गलती स्वयं स्वीकार कर लेती हैं। स्वभाव लगभग सौम्य होता है। इस राशि की महिला प्रायः एक-दो सन्तान के पश्चात् अपनी वास्तविक उम्र से अधिक की लगने लग जाती है। उसका शरीर जल्दी ढल जाता है। इस राशि की महिला को एकांत पसन्द है। दिन में आलस्य और रात्रि में अत्यन्त फुर्ती होती है। इस राशि के जातक सन्तान के प्रति लापरवाह होते हैं। इनका पत्नी प्रेम घटता-बढ़ता रहता है। मैथुन के समय बात करते रहने की आदत होती है। प्रायः गुप्त रोग हो जाते हैं, जिन्हें अपनी लापरवाही से बढ़ा लेते हैं। इस राशि का पुरूष निम्नस्तरीय महिलाओं में विशेष रूचि रखता है। नौकरानी, मेहरी, मजदूर, आदि स्त्रियों में रूचि रहती है। यह हमेशा अपना पौरूष बढ़ाना चाहता है और सब ठीक रहने पर भी नाना प्रकार से ऐसे चक्कर में पड़ा रहता है। कामवर्धक दवाएं इसे सबसे ज्यादा प्रिय होती है। इसके साथ-साथ रात में इसको नग्नावस्था में ही सोने की आदत होती है। इस राशि की पत्नी इसके प्रभाव में रहती है और इसके भयानक क्रोध से बेहद डरती है। कुल मिलाकर इसका सैक्स विकृत होता है।
Sign & Sex - Capricorn
सौरमण्डल में अपने मगरमच्छ आकार के कारण इस राशि का नामकरण ‘मकर’ है। स्वामी ग्रह शनि, अंक 8 है। हस्तरेखा के अनुसार तर्जनी के तल में स्थित है। इसका माह माघ (जनवरी-फरवरी), चर राशि, तत्त्व पृथ्वी, पृष्ठोदय उदय, दिशा उत्तर, लिंग स्त्री, जाति शूद्र, तमोगुणी, रंग नीला काला, प्रकृति रात, ऋतु शिशिर, रत्न नीलम, आकार छड़ लगी खिड़की के समान, निवास जल, शरीर में अंग पैर तथा इसका केवल प्रथम भाग चतुष्पद है।इस राशि के जातक छरहरे, लम्बे, साधारण सुन्दर होते हैं। इस राशि के पुरूष की इन्द्रिय बेलनाकार होती है और स्त्री अंग खिड़कीनुमा, उसमें कई दरारें दीखती हैं। भगोष्ठ फेलने पर एक दरार दीखेगी, किन्तु सामान्य दशा में कई छिद्र दीखते हैं। स्तन बड़े और लटके होते हैं, किन्तु नितम्ब अत्यन्त उच्च और वृद्धावस्था तक कसावट भरे होते हैं। इस राशि की कामोत्तेजना का स्थल पैरों में है। विशेष रूप से पिंडलियों में, उनको कंधे पर उठाकर रखते ही कम्पन के साथ ही कामोत्तेजना बढ़ जाती है और यह स्खलित हो जाता है। जाति से शूद्र और केवल प्रथम भाग चतुष्पद है, अतः इसे कंधे पर पैर रखे जाने वाला आसन ही सबसे प्रिय है। तत्त्व इसका पृथ्वी तथा निवास जल या वन होने से मैथुन शांत, किन्तु भरपूर होता है। विपरीत पक्ष को यह पूरा निगल जाता है। उत्तर की ओर मुख करके क्रिया में विशेष सुख पाता है। इसका मैथुन सारे शरीर में हलचल मचा देने वाला तथा पानी में मगरमच्छ के भागने की ‘छप-छप’ की ध्वनि से युक्त होता है। यह पृष्ठ भाग से सम्भोग करना पसन्द करता है। उनकी आंखों में चमक भी होती है। इस राशि के जातकों का व्यवहार बड़ा रहस्यमय होता है। प्रेम के मामले में प्रायः उदासीन रहते हैं। इनका प्यार पाने के लिये निरन्तर प्रयास करना पड़ता है। चर स्वभाव के कारण चंचलता होती है, और रात्रि में मैथुन करना विशेष प्रिय है। बिना खिड़की वाले कमरे या स्थान में मैथुन करतें समय इनको पूर्ण तृप्ति नहीं मिलती है। इस राशि का जातक अत्यन्त कामुक होता है। अपनी पत्नी के अलावा यह परायी स्त्री से अवश्य सम्बन्ध रखता है। इस राशि की स्त्री में कामोत्तेजना होती है, कामुक होती हैं किन्तु परपुरूष से सम्पर्क में कठिनता से आती है। इस राशि की स्त्री को सन्तुष्ट करने में पति को पसीना आ जाता है। जाति शूद्र होने से इसका मैथुन बड़ा अश्लील होता है। साफ-सफाई तो इसको पसन्द है, किन्तु इसमें भी घिनौनापन ज्यादा होता है। इस राशि का जातक मैथुन से पूर्व अपनी पत्नी को बेहद तंग करता है। कभी हाथ तो कभी मुख का प्रयोग करने पर विवश कर देता है। श्रृगांरप्रियता के कारण पत्नी का पूरा श्रृगांर करवाने के बाद ही यह क्रिया करता है। पत्नी को यह नित नये रूप में देखना पसन्द करता है। इस राशि के जातक का मन बड़ा रसिक होता है। प्रेमपत्र लिखने में सबसे ज्यादा आलस्य दिखलाते हैं। बड़ी मुश्किल से लिखते हैं। लिखाई की भाषा बड़ी रहस्यपूर्ण होती है, शेरो-शायरी का भरपूर प्रयोग होता है। अश्लीलता के चलते अपनी पत्नी को अश्लीलतम पत्र भी लिख देते हैं। पैरों में ज्यादा बल होने के कारण यह पैदल चलने से नहीं थकते। निवास जल में होने के कारण इनका मैथुन ठंडा होता है। तत्त्व पृथ्वी होने से यह व्यवहारिक होते हैं। स्वभाव इनका रहस्यमय होता है। इनका दाम्पत्य जीवन देख कर पता नहीं लगाया जा सकता की ये सुखी हैं या दुःखी।सन्तान इनके कम होती है। प्रेम सम्बन्ध कम होते हैं। रूढ़ियां और सामाजिक परम्परा तोड़ नहीं सकते। धर्मभीरू और अंधविश्वासी होते हैं। इस कारण प्रेम करने से डरते भी हैं और दिल से कमजोर होते हैं।इनके दाम्पत्य जीवन में आर्थिक समस्याएं अपने-आप सुलझ जाया करती हैं। जनवरी-फरवरी (माघ) गर्भाधान का समय होता है तथा शिशिर में यह थोड़ा कामातुर हो जाया करते हैं। रात का समय बेहद प्रिय है। 40 साल की उमर के पश्चात् सम्भोग में रूचि कम हो जाया करती हैं।साधारण तौर पर इस राशि के जातक सेक्स के मामले में ठंड़े होते हैं, दाम्पत्य जीवन विशेष चहल-पहल वाला नहीं होता। चतुराई के साथ अपना काम बना लेते हैं। इस राशि की महिलाएं बहुत बातुनी होती हैं और जबान पर नियन्त्रण नहीं होता है। शान-घमंड नहीं होता है और अपनी गलती स्वयं स्वीकार कर लेती हैं। स्वभाव लगभग सौम्य होता है। इस राशि की महिला प्रायः एक-दो सन्तान के पश्चात् अपनी वास्तविक उम्र से अधिक की लगने लग जाती है। उसका शरीर जल्दी ढल जाता है। इस राशि की महिला को एकांत पसन्द है। दिन में आलस्य और रात्रि में अत्यन्त फुर्ती होती है। इस राशि के जातक सन्तान के प्रति लापरवाह होते हैं। इनका पत्नी प्रेम घटता-बढ़ता रहता है। मैथुन के समय बात करते रहने की आदत होती है। प्रायः गुप्त रोग हो जाते हैं, जिन्हें अपनी लापरवाही से बढ़ा लेते हैं। इस राशि का पुरूष निम्नस्तरीय महिलाओं में विशेष रूचि रखता है। नौकरानी, मेहरी, मजदूर, आदि स्त्रियों में रूचि रहती है। यह हमेशा अपना पौरूष बढ़ाना चाहता है और सब ठीक रहने पर भी नाना प्रकार से ऐसे चक्कर में पड़ा रहता है। कामवर्धक दवाएं इसे सबसे ज्यादा प्रिय होती है। इसके साथ-साथ रात में इसको नग्नावस्था में ही सोने की आदत होती है। इस राशि की पत्नी इसके प्रभाव में रहती है और इसके भयानक क्रोध से बेहद डरती है। कुल मिलाकर इसका सैक्स विकृत होता है।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)