ट्रॉब्रिएंड आदिवासी
इस समुदाय में एक महिला जितने भी लोगों से चाहे संबंध रख सकती है। चाहे वो महिला शादीशुदा हो या ना हो। इतना ही नहीं, इस आइलैंड में रहने वाले आदिवासी अपने झगड़े भी मजेदार ढंग से सुलझाते हैं। यहां क्रिकेट के मैराथन गेम्स खेलकर झगड़े सुलझाए जाते हैं और इन खेलों में महिलाएं भी हिस्सा लेती हैं।
इन आदिवासियों की संस्कृति और उनकी परंपरा को कैमरे में कैद करने पहुंचे फोटोग्राफर एरिक लफार्ज ने बताया कि आदिवासियों की शादी से पहले या बाद में सेक्स को लेकर बहुत सामान्य दृष्टिकोण है। एरिक ने बताया कि यहां लड़कियों को बहुत ही कम उम्र में गर्भ निरोधकों के बारे बता दिया जाता है और कौमार्य का यहां जरा भी महत्व नहीं है।
पश्चिमी शिक्षा के बाद कितना बदलाव
स्थानीय आदिवासियों की मान्यता है कि लड़की के प्रेग्नेंट होने में पुरुष उसकी मदद जरूर करता है, लेकिन बच्चे का असली पिता ईश्वर है। इसलिए लड़की के बच्चे को उसके परिवार वाले ही पालते हैं। एरिक बताते हैं कि आज के दौर में यहां के बहुत से आदिवासी बच्चे स्कूल जाने लगे हैं और पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन यौन संबंधों को लेकर उनका रवैया अब भी वही है।
हालांकि, पश्चिमी शिक्षा ने कुछ आदिवासियों का नजरिया जरूर बदला है, लेकिन सभी का नहीं। यहां शादीशुदा जोड़े का रिश्ता यूरोपीय देशों जैसा नहीं है। ट्रॉब्रिएंड आइलैंड में आदिवासियों को अपनी पत्नी को यौन संबंध बनाने के बदले में कुछ उपहार देने पड़ते हैं।
यौन संबंधों के प्रति आदिवासियों के इस रवैये ने कई आदिवासियों को एचआईवी और एड्स की चपेट में ले लिया है। स्थानीय लोग इसे अलग नाम से जानते हैं। इसने कुछ समुदायों को तबाह कर दिया है। हालांकि, सिर्फ इस बीमारी के चलते इस आइलैंड के लोग अपनी जिंदगी जीने के तरीके में बदलाव लाने को राजी नहीं हैं।
आइलैंड में खुलेपन के बावजूद क्या हैं सीमाएं
आइलैंड में एचआईवी और एड्स तेज़ी से अपने पांव पसार रहा है, बावजूद इसके यहां विवाहपूर्व संबंध बनाने की परंपरा जारी है। एरिक बताते हैं कि सभी गांवों में बुकुमातुला नाम की खास झोपड़ियां बनी होती है, जो खासतौर पर अविवाहित किशोरों और किशोरियों के इस्तेमाल के लिए बनाई जाती हैं। इन इलाकों में कंडोम और गर्भनिरोधक दवाओं का अच्छा खासा चलन है।
हालांकि, आइलैंड में इतने खुलेपन के बावजूद कुछ सीमाएं भी हैं। यहां के गांवों की महिलाएं संबंध बनाने के लिए सिर्फ अपने समुदाय के पुरुषों का ही चुनाव करती हैं। किसी बाहरी व्यक्ति के साथ संबंध बनाने की आजादी नहीं है।
वहीं, विवादों को सुलझाने के लिए जब खेलों का आय़ोजन होता है, तो महिलाएं इसमें हिस्सा तो लेती ही हैं, साथ ही, इस आयोजन में वो अपने पारंपरिक पोशाक में नाचती-गाती भी हैं।
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