पटना। बिहार की सरजमीं ने कई शासकों को उत्पन्न किया, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और बुद्धि से ना सिर्फ बिहार बल्कि लगभग समूची दुनिया पर शासन किया। चंद्रगुप्त मौर्य हों या बिंदुसार, या फिर सम्राट अशोक, सभी ने जिद की और अपना नाम इतिहास में दर्ज कराया।
ऐसा ही एक शासक शेरशाह सूरी हुआ, जिसने अपनी ताकत और बुद्धि से ना सिर्फ भारत में बल्कि अफगान तक अपने शासन का विस्तार किया। शेरशाह सूरी का वास्तविक नाम फरीद खान था। वह पंजाब प्रांत के वैजवाड़ा (होशियारपुर 1472 ई. में) में अपने पिता हसन की अफगान पत्नी से उत्पन्न हुआ था। पिता हसन बिहार के सासाराम के जमींदार हुआ करते थे।
फरीद का शेरशाह नाम मिलने के पीछे भी एक अजीब किस्सा है। शेर खान ने बचपन में ही एक शेर को मार डाला था, इससे प्रसन्न होकर दक्षिण बिहार के सूबेदार बहार खान लोहानी ने शेरशाह को शेर खान की उपाधि दी और अपने पुत्र जलाल खान का संरक्षक नियुक्त किया।
जब बहार खान लोहानी की मृत्यु हो गई तो शेर खान ने अपने विवेक का इस्तेमाल किया और लोहानी की बेगम दूदू बेगम से निकाह कर लिया और वह दक्षिण बिहार का शासक बन गया। इस दौरान शेरशाह ने अपनी सेना में योग्य और विश्वासपात्र अफगानों की भर्ती की।
1529 ई. में बंगाल शासक नुसरतशाह को पराजित करने के बाद शेर खान ने हजरत आली की उपाधि ग्रहण की। 1530 ई. में उसने चुनार के किलेदार ताज खान की विधवा लाडमलिका से विवाह करके चुनार के किले पर भी अधिकार कर लिया।
सम्राज्यों पर अधिकार करने का सिलसिला यूं ही नहीं थमा। सूरी ने 1534 ई. में सुरजमठ के युद्ध में बंगाल शासक महमूद शाह को पराजित कर 13 लाख दीनार देने के लिए बाध्य किया। इस प्रकार शेरशाह ने अपने प्रारम्भिक अभियान में दिल्ली, आगरा, बंगाल, बिहार तथा पंजाब पर अधिकार कर एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। 1539 ई. में चौसा के युद्ध में हुमायूं को पराजित कर शेर खान ने शेरशाह की अवधारणा की तथा 1540 ई. में पुनः राजसिंहासन प्राप्त किया। उत्तर बिहार में पहले से ही हाकिम मखदूग आलम शासन कर रहा था। नुसरतशाह ने दक्षिण बिहार पर प्रभाव स्थापित करने के लालच में कुत्य खान के साथ एक सेना भेजी, परन्तु शेर खान ने उसे पराजित कर दिया। शेर खान धीरे-धीरे सर्वाधिक शक्तिशाली अफगान नेता बन गया। अगर शेरशाह सूरी ने ये जिद नहीं की होती तो वह भी अपनी पिता की तरह एक आम जमींदार होता।
ग्रैंड ट्रंक रोड यानी जीटी रोड शेरशाह सूरी के छह साल के शासन काल का ऐसा योगदान है जिसे इतिहास के पन्नों से कभी मिटाया नहीं जा सकता। इतिहासकार कहते हैं कि सड़क तो पहले भी थी लेकिन शेरशाह सूरी ने उसका पुनर्निर्माण करवाया और इसे यात्रा और व्यापार के योग्य बना दिया।
शेर शाह से जुड़ी मुख्य तिथियां
1472, शेर शाह सूरी का जन्म 1
522, बहार खान से जुड़ा 1
527 - 1528, शेर ख़ान ने बाबर की सेना में काम किया 15
34, शेर ख़ान ने बंगाल के राजा को किऊल नदी पर हराया अक्टूबर 1
537, शेर ख़ान ने बंगाल पर आक्रमण किया और गौर शहर को नेस्तनाबूद किया 1
539, शेर ख़ान ने हुमायूं को चौसा में परास्त किया 1
540, शेर ख़ान ने हुमायूं को कन्नौज में परास्त किया मई 1
545, शेर शाह सूरी का निधन
ऐसा ही एक शासक शेरशाह सूरी हुआ, जिसने अपनी ताकत और बुद्धि से ना सिर्फ भारत में बल्कि अफगान तक अपने शासन का विस्तार किया। शेरशाह सूरी का वास्तविक नाम फरीद खान था। वह पंजाब प्रांत के वैजवाड़ा (होशियारपुर 1472 ई. में) में अपने पिता हसन की अफगान पत्नी से उत्पन्न हुआ था। पिता हसन बिहार के सासाराम के जमींदार हुआ करते थे।
फरीद का शेरशाह नाम मिलने के पीछे भी एक अजीब किस्सा है। शेर खान ने बचपन में ही एक शेर को मार डाला था, इससे प्रसन्न होकर दक्षिण बिहार के सूबेदार बहार खान लोहानी ने शेरशाह को शेर खान की उपाधि दी और अपने पुत्र जलाल खान का संरक्षक नियुक्त किया।
जब बहार खान लोहानी की मृत्यु हो गई तो शेर खान ने अपने विवेक का इस्तेमाल किया और लोहानी की बेगम दूदू बेगम से निकाह कर लिया और वह दक्षिण बिहार का शासक बन गया। इस दौरान शेरशाह ने अपनी सेना में योग्य और विश्वासपात्र अफगानों की भर्ती की।
1529 ई. में बंगाल शासक नुसरतशाह को पराजित करने के बाद शेर खान ने हजरत आली की उपाधि ग्रहण की। 1530 ई. में उसने चुनार के किलेदार ताज खान की विधवा लाडमलिका से विवाह करके चुनार के किले पर भी अधिकार कर लिया।
सम्राज्यों पर अधिकार करने का सिलसिला यूं ही नहीं थमा। सूरी ने 1534 ई. में सुरजमठ के युद्ध में बंगाल शासक महमूद शाह को पराजित कर 13 लाख दीनार देने के लिए बाध्य किया। इस प्रकार शेरशाह ने अपने प्रारम्भिक अभियान में दिल्ली, आगरा, बंगाल, बिहार तथा पंजाब पर अधिकार कर एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। 1539 ई. में चौसा के युद्ध में हुमायूं को पराजित कर शेर खान ने शेरशाह की अवधारणा की तथा 1540 ई. में पुनः राजसिंहासन प्राप्त किया। उत्तर बिहार में पहले से ही हाकिम मखदूग आलम शासन कर रहा था। नुसरतशाह ने दक्षिण बिहार पर प्रभाव स्थापित करने के लालच में कुत्य खान के साथ एक सेना भेजी, परन्तु शेर खान ने उसे पराजित कर दिया। शेर खान धीरे-धीरे सर्वाधिक शक्तिशाली अफगान नेता बन गया। अगर शेरशाह सूरी ने ये जिद नहीं की होती तो वह भी अपनी पिता की तरह एक आम जमींदार होता।
ग्रैंड ट्रंक रोड यानी जीटी रोड शेरशाह सूरी के छह साल के शासन काल का ऐसा योगदान है जिसे इतिहास के पन्नों से कभी मिटाया नहीं जा सकता। इतिहासकार कहते हैं कि सड़क तो पहले भी थी लेकिन शेरशाह सूरी ने उसका पुनर्निर्माण करवाया और इसे यात्रा और व्यापार के योग्य बना दिया।
शेर शाह से जुड़ी मुख्य तिथियां
1472, शेर शाह सूरी का जन्म 1
522, बहार खान से जुड़ा 1
527 - 1528, शेर ख़ान ने बाबर की सेना में काम किया 15
34, शेर ख़ान ने बंगाल के राजा को किऊल नदी पर हराया अक्टूबर 1
537, शेर ख़ान ने बंगाल पर आक्रमण किया और गौर शहर को नेस्तनाबूद किया 1
539, शेर ख़ान ने हुमायूं को चौसा में परास्त किया 1
540, शेर ख़ान ने हुमायूं को कन्नौज में परास्त किया मई 1
545, शेर शाह सूरी का निधन
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