एक अच्छा इंसान होने के बावजूद मुहम्मद उमर का शरीर कुछ ऐसा है कि लोग उन्हें घृणा की दृष्टि से देखते हैं। उमर अपना शरीर और लोगों का रवैया देखकर मानसिक रूप से परेशान रहते हैं। उमर का कहना है कि शरीर ऐसा है तो इसमें उनका क्या दोष?
62 साल के मुहम्मद उमर के पूरे शरीर पर ट्यूमर के अनेक गोले हैं। उनकी मां को सिर्फ हथेली पर इस तरह के गोले थे। बचपन में उमर ठीक थे लेकिन चौदह साल की उम्र से उनके शरीर पर भी ये गोले निकलने शुरू हो गए। मां उन्हें डॉक्टर के पास ले गई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
उमर को डॉक्टर ने कहा था कि वह अगर शादी करेंगे तो उनके बच्चों को भी यह बीमारी होने की संभावना रहेगी। उमर बहुत दिनों तक इस बारे में चिंतित रहे लेकिन आखिर में 45 साल की फरहात से उन्होंने प्रेम विवाह किया। फरहात भी उनसे प्रेम करती है। उसका कहना है कि वह समझ गई थी कि उमर अच्छे आदमी हैं। परिवार वालों ने फरहात को रोका लेकिन वह नहीं रूकी।
उमर रेलवे में लगेज एसिस्टेंट थे लेकिन उनके शरीर का ट्यूमर बढ़ने के बाद लोगों ने उन्हें काम देना बंद कर दिया और उनको नौकरी से निकाल दिया गया। उमर को उसके बाद किसी ने नौकरी नहीं दी। उमर कहते हैं कि अब लोग उन्हें देखने से भी कतराते हैं और यह स्थिति वह सह नहीं पाते। उनकी बीवी को घर चलाने के लिए स्कूल में नौकरी करनी पड़ी।
दोनों के चार बच्चे हुए। पहले तीन बच्चों को जब ट्यूमर नहीं हुआ तो उमर को लगा कि शायद सब ठीक रहेगा, लेकिन उनके सबसे छोटे बेटे के शरीर पर ट्यूमर निकलने शुरू हो गए हैं। उमर यह देखकर और भी दुखी रहते हैं।
बाप और बेटे दोनों की बीमारी देख चुके हैदराबाद के यशोदा हॉस्पिटल के डॉक्टर चिलुकुरी श्रीनिवास का कहना है कि उमर और उनके बेटे को हुई बीमारी लाइलाज है। इस बीमारी को न्यूरोफाइब्रोमेटोसिस (
62 साल के मुहम्मद उमर के पूरे शरीर पर ट्यूमर के अनेक गोले हैं। उनकी मां को सिर्फ हथेली पर इस तरह के गोले थे। बचपन में उमर ठीक थे लेकिन चौदह साल की उम्र से उनके शरीर पर भी ये गोले निकलने शुरू हो गए। मां उन्हें डॉक्टर के पास ले गई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
उमर को डॉक्टर ने कहा था कि वह अगर शादी करेंगे तो उनके बच्चों को भी यह बीमारी होने की संभावना रहेगी। उमर बहुत दिनों तक इस बारे में चिंतित रहे लेकिन आखिर में 45 साल की फरहात से उन्होंने प्रेम विवाह किया। फरहात भी उनसे प्रेम करती है। उसका कहना है कि वह समझ गई थी कि उमर अच्छे आदमी हैं। परिवार वालों ने फरहात को रोका लेकिन वह नहीं रूकी।
उमर रेलवे में लगेज एसिस्टेंट थे लेकिन उनके शरीर का ट्यूमर बढ़ने के बाद लोगों ने उन्हें काम देना बंद कर दिया और उनको नौकरी से निकाल दिया गया। उमर को उसके बाद किसी ने नौकरी नहीं दी। उमर कहते हैं कि अब लोग उन्हें देखने से भी कतराते हैं और यह स्थिति वह सह नहीं पाते। उनकी बीवी को घर चलाने के लिए स्कूल में नौकरी करनी पड़ी।
दोनों के चार बच्चे हुए। पहले तीन बच्चों को जब ट्यूमर नहीं हुआ तो उमर को लगा कि शायद सब ठीक रहेगा, लेकिन उनके सबसे छोटे बेटे के शरीर पर ट्यूमर निकलने शुरू हो गए हैं। उमर यह देखकर और भी दुखी रहते हैं।
बाप और बेटे दोनों की बीमारी देख चुके हैदराबाद के यशोदा हॉस्पिटल के डॉक्टर चिलुकुरी श्रीनिवास का कहना है कि उमर और उनके बेटे को हुई बीमारी लाइलाज है। इस बीमारी को न्यूरोफाइब्रोमेटोसिस (
Neurofibromatosis ) कहते हैं।
उमर अब कभी-कभी भीख भी मांगते हैं। उनका कहना है कि अगर लोग उसे काम नहीं देते तो फिर उनके पास घर के लिए कुछ पैसे जुटाने के लिए इसके अलावा कोई चारा नहीं है। उनके शरीर का ट्यूमर बढ़ता जा रहा है। आंखो के आसपास ट्यूमर के बड़े होने से दिखना कम हो गया है। गर्मी में पसीने से पूरे शरीर में खुजली होती है। बीवी फरहात उनका बहुत ख़याल रखती है।
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