घर की सफाई करते हुए पति-पत्नी को एक
पुरानी रिसीट मिली। यह रसीद उस जूते की थी जो 12 साल पहले मरम्मत के लिए
दिया गया था लेकिन जूता वापस लाना याद ही नहीं रहा।
'चलो, जाकर मालूम करते हैं, क्या पता मिल ही जाए।'
दूसरे दिन वे दुकान में पहुंचे। रसीद दिखाई। दुकानदार ने सिर हिलाया:'... फिर भी कोशिश करता हूं,'
कह कर वह दुकान के पीछे चला गया। कुछ देर बाद वह धूल से सना जूता ले आया।
पति पत्नी दोनों ने एक साथ कहा: 'हम तो उम्मीद छोड़ चुके थे।'
दुकानदार बोला: 'ग्राहक की संतुष्टि ही हमारी पूंजी है। खैर, इसे अगले हफ्ते आकर ले जाइएगा। हमारा कारीगर छुट्टी पर है।'
'चलो, जाकर मालूम करते हैं, क्या पता मिल ही जाए।'
दूसरे दिन वे दुकान में पहुंचे। रसीद दिखाई। दुकानदार ने सिर हिलाया:'... फिर भी कोशिश करता हूं,'
कह कर वह दुकान के पीछे चला गया। कुछ देर बाद वह धूल से सना जूता ले आया।
पति पत्नी दोनों ने एक साथ कहा: 'हम तो उम्मीद छोड़ चुके थे।'
दुकानदार बोला: 'ग्राहक की संतुष्टि ही हमारी पूंजी है। खैर, इसे अगले हफ्ते आकर ले जाइएगा। हमारा कारीगर छुट्टी पर है।'
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