नीले रंग के शरीर वाले हैरतअंगेज लोग
19वीं सदी की शुरुआत का यह पोट्रेट कोई मजाक या फिर किसी कार्टून फिल्म का हिस्सा नहीं है। अमेरिका के कैंटकी में रहने वाले मार्टिन फूगेट का यह परिवार है। उनके सात बच्चों में से चार के चेहरे नीले थे। अब जाकर वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि ये वाकई सच था और ऐसा जेनेटिक म्यूटेशन की वजह से हुआ था।
मार्टिन फ्रांस से आए हुए एक अनाथ थे। अमेरिका में उन्होंने लाल बालों वाली गोरी महिला एलिजाबेथ स्मिथ से शादी कर ली थी। इनके संगम से जो जेनेटिक म्यूटेशन हुआ उसी का नतीजा था ये नीले चमड़ी वाले बच्चे। इस कंडीशन को मीथेमोग्लोबिनीमिया और आम भाषा में मेट-एच कहते हैं। इसमें खून में ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता घट जाती है। इसलिए इन लोगों के खून का रंग भी आम खून से गहरा हो जाता है।
फूगेट परिवार कैंटकी के दूर-दराज इलाके में रहता था। इसलिए इनका लोगों से मेलजोल भी कम था। ऐसे में परिवार बढ़ता गया और आगे चलकर आपस में शादियां होने से बीमारी फैलती गई। 1958 में इसी वंश के ल्यूके कॉम्ब्स अपनी पत्नी को लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ कैंटकी हॉस्पिटल आए तो यह मामला प्रकाश में आया था। यहां डॉक्टर्स का ध्यान उनकी बीमार पत्नी से ज्यादा उन पर था। तभी से इस पर रिसर्च चल रही थी। वैसे इससे उन्हें कोई नुकसान नहीं हो रहा था और इन लोगों का व्यवहार भी अच्छा था।
मार्टिन फ्रांस से आए हुए एक अनाथ थे। अमेरिका में उन्होंने लाल बालों वाली गोरी महिला एलिजाबेथ स्मिथ से शादी कर ली थी। इनके संगम से जो जेनेटिक म्यूटेशन हुआ उसी का नतीजा था ये नीले चमड़ी वाले बच्चे। इस कंडीशन को मीथेमोग्लोबिनीमिया और आम भाषा में मेट-एच कहते हैं। इसमें खून में ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता घट जाती है। इसलिए इन लोगों के खून का रंग भी आम खून से गहरा हो जाता है।
फूगेट परिवार कैंटकी के दूर-दराज इलाके में रहता था। इसलिए इनका लोगों से मेलजोल भी कम था। ऐसे में परिवार बढ़ता गया और आगे चलकर आपस में शादियां होने से बीमारी फैलती गई। 1958 में इसी वंश के ल्यूके कॉम्ब्स अपनी पत्नी को लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ कैंटकी हॉस्पिटल आए तो यह मामला प्रकाश में आया था। यहां डॉक्टर्स का ध्यान उनकी बीमार पत्नी से ज्यादा उन पर था। तभी से इस पर रिसर्च चल रही थी। वैसे इससे उन्हें कोई नुकसान नहीं हो रहा था और इन लोगों का व्यवहार भी अच्छा था।
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