शनि-पीड़ा के लिए प्रभाव-पूर्ण उपासनाएँ
१॰ शनिवार, अमावस्या आदि दिनों पर 'शनि-मन्दिर' में जाकर आक-पर्ण (मदार के पत्ते) एवं पुष्पों की माला मूर्ति पर चढ़ाएँ । एक या आधा चम्मच तेल भी चढ़ाएँ । अब मूर्ति के सामने बैठकर शान्त-चित्त से निम्न मन्त्र, मूर्ति के भ्रू-मध्य या दाहिनी आँख पर त्राटक-पूर्वक प्रेम-भाव से, ११ बार जपें -
"नीलांजन समाभासम्, रवि-पुत्रं यमाग्रजम् ।
छाया-मार्तण्ड-सम्भूतं, तं नमामि शनैश्वरम् ।।"
अब सूर्य-भगवान् को गायत्री-मन्त्र से एक बार अर्घ्य दें या 'ॐ ह्रीं सूर्याय नमः' मन्त्र का यथा-शक्ति जप करें । 'शनि' सूर्य-पुत्र हैं । इस प्रकार पिता-पुत्र की उपासना लाभ-प्रद होती है ।
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