बोतल का डिजाइन बदलकर कोका कोला हुआ था मालामाल
1915 में अमेरिका के बाजार में सभी शीतल पेय कंपनियों के बोतल एक ही जैसे दिखते थे इसलिए कोका कोला कंपनी ने खुद को बाज़ार में अलग दिखाने के लिए एक नए बोतल के बारे में सोचना शुरू किया।
कंपनी चाहती थी कि कोई उसे बोतल का ऐसा डिजाइन बनाकर दे, जिसे लोग अंधेरे में भी पहचान लें कि यह कोका कोला की बोतल है।
इस काम का जिम्मा लिया रूट ग्लास कंपनी ने। इसके डिजाइनर अर्ल आर डीन ने पहले कोका कोला का अर्थ खोजना शुरू किया। ईमेलिन फेयरबैंक्स मेमोरियल लाईब्रेरी के एक इंसाइक्लोपीडिया में उनको कोकोआ फल का चित्र मिला। उसी से प्रेरणा लेकर अर्ल ने बोतल को डिजाइन किया।
उस डिजाइन को अमेरिका में पेटेंट कराया गया। नए बोतल से कोका कोला को भविष्य में पहचान और पैसा, दोनों मिला।
कोका कोला की शुरूआतः-
8 मई 1886 को एक फार्मासिस्ट डॉक्टर जॉन पम्बर्टन ने सरदर्द को ठीक करने का एक सीरप बनाया। एक जग सीरप लेकर वह अटलांटा गए और वहां जैकब फार्मेसी में उसे कार्बोनेटेड वाटर के साथ मिलाकर बेचना शुरू किया। पम्बर्टन के बिजनेस पार्टनर फ्रैंक रॉबिंसन ने इस दवा का नाम रखा कोका कोला। यह कोका कोला पांच सेंट में एक ग्लास दिया जाता था। 1888 में पम्बर्टन की मौत हो गई और वह नहीं देख पाए कि उनकी खोज ने भविष्य में कितनी बड़ी सफलता पाई।
इसे बेचने का अधिकार 1891 में जब ग्रिग्स कैंडलर ने खरीद लिया तब उन्होंने इसे कंपनी का रूप दिया। ग्रिग्स इस कंपनी के पहले प्रेसिडेंट थे।
1894 में मिसिसीपी का एक दुकानदार जोसेफ ओ बाइदेनहार्न, इस शीतल सोडे से प्रभावित हुआ और उसने इसे बोतल में बंद कर बेचना शुरू किया।
ग्रिग्स कैंडलर को उसने इस बारे में बताया लेकिन कैंडलर ने कोका कोला को बोतल में बंदकर बेचने की योजना पर ध्यान नहीं दिया।
लेकिन, 1899 के बाद कोका कोला को बोतल में पैक कर पूरे अमेरिका में बेचा जाने लगा। कोका कोला नाम का नकल करके अन्य कंपनियां भी तब तक बाज़ार में उतर चुकी थी। सबके बोतल एक जैसे थे इसलिए असली कोका कोला ने अपने बोतल का अलग डिजाइन बनवाया और उसे पेटेंट करा लिया।
1915 के बाद 1930 तक आते-आते कोका कोला मल्टीनेशनल कंपनी में बदल चुकी थी और चालीस देशों में उसके प्लांट थे। द्वितीय विश्वयुद्ध ने इसके व्यापार को और आगे बढ़ाया। 21वीं सदी में 200 से अधिक देशों में व्यापार करने वाली यह विश्व की एक ताकवतर मल्टीनेशनल कंपनी बन चुकी है।
कंपनी चाहती थी कि कोई उसे बोतल का ऐसा डिजाइन बनाकर दे, जिसे लोग अंधेरे में भी पहचान लें कि यह कोका कोला की बोतल है।
इस काम का जिम्मा लिया रूट ग्लास कंपनी ने। इसके डिजाइनर अर्ल आर डीन ने पहले कोका कोला का अर्थ खोजना शुरू किया। ईमेलिन फेयरबैंक्स मेमोरियल लाईब्रेरी के एक इंसाइक्लोपीडिया में उनको कोकोआ फल का चित्र मिला। उसी से प्रेरणा लेकर अर्ल ने बोतल को डिजाइन किया।
उस डिजाइन को अमेरिका में पेटेंट कराया गया। नए बोतल से कोका कोला को भविष्य में पहचान और पैसा, दोनों मिला।
कोका कोला की शुरूआतः-
8 मई 1886 को एक फार्मासिस्ट डॉक्टर जॉन पम्बर्टन ने सरदर्द को ठीक करने का एक सीरप बनाया। एक जग सीरप लेकर वह अटलांटा गए और वहां जैकब फार्मेसी में उसे कार्बोनेटेड वाटर के साथ मिलाकर बेचना शुरू किया। पम्बर्टन के बिजनेस पार्टनर फ्रैंक रॉबिंसन ने इस दवा का नाम रखा कोका कोला। यह कोका कोला पांच सेंट में एक ग्लास दिया जाता था। 1888 में पम्बर्टन की मौत हो गई और वह नहीं देख पाए कि उनकी खोज ने भविष्य में कितनी बड़ी सफलता पाई।
इसे बेचने का अधिकार 1891 में जब ग्रिग्स कैंडलर ने खरीद लिया तब उन्होंने इसे कंपनी का रूप दिया। ग्रिग्स इस कंपनी के पहले प्रेसिडेंट थे।
1894 में मिसिसीपी का एक दुकानदार जोसेफ ओ बाइदेनहार्न, इस शीतल सोडे से प्रभावित हुआ और उसने इसे बोतल में बंद कर बेचना शुरू किया।
ग्रिग्स कैंडलर को उसने इस बारे में बताया लेकिन कैंडलर ने कोका कोला को बोतल में बंदकर बेचने की योजना पर ध्यान नहीं दिया।
लेकिन, 1899 के बाद कोका कोला को बोतल में पैक कर पूरे अमेरिका में बेचा जाने लगा। कोका कोला नाम का नकल करके अन्य कंपनियां भी तब तक बाज़ार में उतर चुकी थी। सबके बोतल एक जैसे थे इसलिए असली कोका कोला ने अपने बोतल का अलग डिजाइन बनवाया और उसे पेटेंट करा लिया।
1915 के बाद 1930 तक आते-आते कोका कोला मल्टीनेशनल कंपनी में बदल चुकी थी और चालीस देशों में उसके प्लांट थे। द्वितीय विश्वयुद्ध ने इसके व्यापार को और आगे बढ़ाया। 21वीं सदी में 200 से अधिक देशों में व्यापार करने वाली यह विश्व की एक ताकवतर मल्टीनेशनल कंपनी बन चुकी है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें