![इस महाराजा ने कुत्तों के नाम कर दी थी करोड़ों की जमीन आज भी पटवारी के पास है रिकार्ड इस महाराजा ने कुत्तों के नाम कर दी थी करोड़ों की जमीन आज भी पटवारी के पास है रिकार्ड](http://i7.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/02/17/6171_alasingh.jpg)
चंडीगढ़। भगवान नामदेव की तरह गांव खानपुर के लगभग 800 परिवारों को कुत्तों में न सिर्फ भगवान नजर आता है, बल्कि वे तब तक खाना नहीं खाते जब तक कुत्ते भोग न लगा लें। पटियाला-चंडीगढ़ रोड पर स्थित गांव खानपुर में दशकों से कुत्तों की पूजा की जाती है। ये कोई आम कुत्ते नहीं, बल्कि करोड़ों की जायदाद के मालिक हैं। यहां कुत्तों का डेरा बना हुआ है जिसकी कई लगभग 160 बीघा जमीन यहां रहने वाले कुत्तों के नाम पर है।यह जमीन राजस्व रिकार्ड में आज भी कुत्तों के नाम ही है इस जमीन का यदि आज भी पता करना हो तो यह पटवारी के रजिस्टर में दर्ज है
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डेरे के महंत अजय गिरी बताते हैं कि पटियाला के संस्थापक बाबा आला को जब उक्त डेरे में गद्दीनशीन बाबा भगवान गिर जी की महानता का पता चला तो उन्होंने डेरे में जाकर बाबा से आशीर्वाद लिया।
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उन्होंने बाबा को डेरे के आसपास की कई हजार एकड़ जमीन दान में देनी चाही, लेकिन बाबा ने खुद अपने नाम पर जमीन लेने की बजाय बेजुबान कुत्तों के नाम जमीन करने को कह दिया ताकि बाद में उनकी गद्दी पर बैठने वाले महंतों के मन में जमीन को लेकर कभी लालच न आए। तब से लेकर आज तक यह जमीन कुत्तों के नाम चली आ रही है।
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डेरे में भगवान शिव का मंदिर स्थित है। कुत्तों को मिस्सी रोटी, लस्सी समेत स्वादिष्ट व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। महंत डेरे के चबूतरे पर खड़े होकर आयो..आयो की आवाज लगाते हैं और देखते ही देखते दूरदराज बैठे कुत्तों का झुंड वहां आ जाता है।
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महंत अपने हाथों से इन्हें भोग लगाते है। उसके बाद श्रद्धालुओं को लंगर बांटा जाता है। सुबह-शाम इनकी आरती की जाती है, जिसमें आसपास के दर्जनों गांवों के लोग कुत्तों से मन्नत मांगने आते हैं। इस दौरान लोग घरों से कुत्तों के लिए कई व्यंजन तक बनाकर लाते हैं। महंत अजय गिरी के अनुसार जमीन ठेके पर है और कमाई का सारा पैसा डेरे के सुधार व कुत्तों की सेवा में लगाया जाता है।
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