वटवृक्ष पर प्रकट हुए हनुमान


वटवृक्ष पर प्रकट हुए हनुमान


जालंधर. प्राचीन नौहरियां मंदिर गुड़ मंडी में स्थापित शिवलिंग 400 सालों के इतिहास को संजोए हुए हैं। यही कारण है कि यहां माघ माह में हवन-यज्ञ व शिवरात्रि पर्व पर सारा दिन पूजन और शिव का रुद्राभिषेक होता है। मंदिर में शिवलिंग के साथ-साथ बट वृक्ष भी प्राचीन है। इस वृक्ष पर हनुमान जी की मूर्ति भी प्रकट हुई है। 

कहा जाता है कि यह मूर्ति 100 साल बाद चोला छोड़ देती है। इसी बट वृक्ष पर नाग का जोड़ा रहता है। जब मंदिर में कोई न हो तो यह जोड़ा शिवलिंग के पास आ जाता है, लेकिन जब उन्हें कोई देख ले तो वे दूसरे ही पल लोप हो जाते हैं। यहां शिवलिंग से निकले प्रकाश की वजह से शिवलिंग पर स्वस्तिक चिन्ह (दो नेत्र) अंकित हो गए हैं। मंदिर से निकले प्रकाश व नेत्रों को देखने के लिए भक्तों का तांता लग गया था।

यह है मंदिर की महत्ता

पांच साल से मंदिर की सेवा कर रहे पुजारी वेद प्रकाश शास्त्री ने बताया कि माघ माह में रोजाना हवन यज्ञ व पूजन होता है। इसके अलावा शिवरात्रि पर सारा दिन पूजन होता है और भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है। मान्यता है कि मंदिर से सच्चे मन से किया गया पूजन कभी व्यर्थ नहीं जाता।

250 साल से पूर्वज कर रहे सेवा

मंदिर की संचालिका सम्पत्ति देवी ने बताया कि करीब अढाई सौ साल से उनके पूर्वज मंदिर की देखरेख कर रहे हैं। मंदिर का इतिहास तो 400 सालों से भी पुराना है। मंदिर में पहले-पहले शिवलिंग, हनुमान जी सहित राम दरबार की प्राचीन मूर्तियां होती थी।

मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था और तभी से वैसे का वैसा ही है। मान्यता है कि माघ माह में शिव की आराधना करने से सभी बिगड़े कार्य बन जाते हैं। मंदिर से ही सबसे पहली रामनवमी की शोभायात्रा निकालने की परंपरा शुरू की गई थी और उसके बाद दशहरा पर्व भी सबसे पहले मंदिर से ही शुरू किया गया था।





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