राम की माता कौशल्या
कौशल्या रामायण की एक प्रमुख पात्र हैं। वे अयोध्या के राजा दशरथ की पत्नी और भगवान श्रीराम की माता थी। राम से जुड़े सभी ग्रंथों में उनकी माता यानी कौशल्या को अधिक चित्रित नहीं किया गया है। उनका सबसे पहला उल्लेख वाल्मीकि रामायण में पुत्र-प्रेम की चाह रखने वाली एक मां के रूप में मिलता है। केवल आनन्द-रामायण में कौशल्या के बारे में थोड़ा पढ़ने को मिलता है। इसमें दशरथ और कौशल्या के विवाह का वर्णन विस्तार से हुआ है। कुछ पुराणों में कश्यप और अदिति के दशरथ और कौशल्या के रूप में अवतार लेने की बात भी कही गई है। मानस ग्रंंथ में कौशल्या के चरित्र में उच्च बुद्धिमत्ता का भी चित्रण हुआ है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार रावण को यह पता था कि उसका विनाश अयोध्या के राज दशरथ और पत्नी कौशल्या से विष्णु अवतार रूप में जन्मी संतान से होगा। इस बात से घबराए रावण ने राजा दशरथ और कौशल्या के विवाह पूर्व ही उनको मारने की सोची। सबसे पहले रावण ने अयोध्या राज्य पर हमला कर राजा दशरथ को युद्ध में पराजित किया। युद्ध सरयू नदी के पास लड़ा गया और हार के समय राजा दशरथ को नदी की शरण लेनी पड़ी।अंतत: वह समुद्र में जा पहुंचे। इसके बाद रावण ने राजा दशरथ की होने वाली पत्नी कौशल्या को निशाना बनाया। रावण ने कोशल देश के राजा पर आक्रमण कर दिया। युद्ध में कोशल के राजा को हराकर रावण ने कौशल्या का अपहरण कर लिया। आकाशमार्ग से होते हुए रावण कौशल्या को लंका ले जा रहा था।
रास्ते में रावण ने कौशल्या माता को संदूक में बंद कर तिमिंगिल मछली को सौंप दिया। ऐसा करने का कारण कौशल्या को कैद और दुनिया से गुप्त रखने का था, लेकिन नियति ने कुछ और ही सोच रखा था। तिमिंगिल मछली का किसी अन्य विशाल मछली से युद्ध हुआ। जिसमें उसके हाथ से वह संदूक छूट गया। यह संदूक राजा दशरथ को समुद्र में मिल गया।
कौशल्या ने राजा दशरथ को पूरी कहानी सुनाई और दोनों जैसे-तैसे करकेअपने स्थान पर पहुंच गए।
कौशल्या ने राजा दशरथ को पूरी कहानी सुनाई और दोनों जैसे-तैसे करकेअपने स्थान पर पहुंच गए।
उधर रावण का आतंक और उसका अहं चरम पर पहुंच गया। उसे लग रहा था कि उसने अपने विनाशक के जन्मदाताओं को समाप्त कर दिया है। इसी बीच ब्रह्माजी ने आकाशवाणी कर रावण को बताया कि राजा दशरथ और कौशल्या का विवाह हो चुका है। और उसका नाश निश्चित है।