तिलक होली का यह रोचक इतिहास!


हमीरपुर.विश्व के सबसे प्राचीन कटोच वंश के 481वें राजा महाराजा संसार चंद 300 वर्ष पहले तिलक होली खेलते थे। उस समय राजमहल में ही खास तरह के गुलाल को तैयार किया जाता था, जो आसानी से उतर भी जाता था। 

 
इस बात का खुलासा राष्ट्रीय शोध संस्थान नेरी की ओर से कटोच वंश के शासनकाल पर किए जा रहे शोध में हुआ है। हाल ही में हुए इस शोध में यह बात भी सामने आई है कि उस समय तीन दिन तक टीहरा के महलों में राजा और प्रजा दोनों गुलाल से तिलक होली खेलते थे। बाद में आम लोग इसे सात दिन तक मनाते थे। शोधकर्ता प्रो. आरसी शर्मा ने बताया कि उस समय भी तिलक होली का खास महत्व था।

टीहरा में दो छोटे-छोटे तालाबों के अवशेष भी मिले हैं, जो अलग से रानियों के लिए था। जिनमें रंगों को भर कर होली खेली जाती थी। यह बात भी सामने आई है कि पहले टीहरा गांव ही था, लेकिन 1795 में सुजानपुर अस्तित्व में आया। जहां अब राष्ट्रीय होली उत्सव मनाया जा रहा है। इस वर्ष 6 से 9 मार्च तक आयोजित होने वाले इस मेले का शुभारंभ मुख्यमंत्री प्रो. प्रेमकुमार धूमल करेंगे।

श्री कृष्ण की तर्ज पर खेली होली

शोध में यह बात भी सामने आई है कि संसार चंद भगवान श्रीकृष्ण के बाद होली खेलने में सबसे अव्वल माने गए हैं। यही कारण है कि 1795 को सुजानपुर में उन्होंने मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण करवाया था। जिसे उन्होंने जनार्दन पंडित को दान दिया था। अब सुजानपुर होली की शुरुआत इसी मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद होती है। यहां भी जनार्दन पंडित के वंशज ही पूजा करते हैं।

पंडित रविनंदन का कहना है कि यह परंपरा पिछले कई वर्षो से जारी है। सुजानपुर के सेवानिवृत प्रिंसिपल भुवनेश गुप्ता का कहना है कि उनके पूर्वजों ने उन्हें बताया था कि पहले टीहरा में ही होली खेली जाती थी। शोध में इनके विचार भी शामिल किए गए हैं। शोध में यह बात सामने आई थी कि कटोच वंश का इतिहास मंगोलिया से भी जुड़ा है। यही कारण था कि भारत में मंगोलिया के दूत ने सुजानपुर पहुंच कर वहां भी गंगा जल को पवित्र मानने की बात कही थी। कटोच वंश पर चल रहा शोध का कार्य जारी है।

भीम ने गुस्से में कर दिए हाथी के दो टुकड़े

रायपुर। जांजगीर के विष्णु मंदिर का आर्किटेक्चर वास्तु-कला का अनुपम उदाहरण है। यह मंदिर लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित है। इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में कल्चुरी राजा जाज्वल्य देव प्रथम ने करवाया था। मंदिर के कला स्वरूप में कल्चुरीकाल की मूर्ति कला के अदभुत उदाहरण देखने को मिलते हैं। मंदिर के अधूरा होने की वजह से इसे नकटा मंदिर भी कहा जाता है।
 
इसके निर्माण को लेकर कई रोचक दंत कथाएं हैं। एक दंत कथा के अनुसार जांजगीर का विष्णु मंदिर और पास के शिवरी नारायण मंदिर के निर्माण को लेकर प्रतियोगिता हो गई थी। इसमें एक निश्चित समय तक मंदिरों को बनना तय हुआ था।
 
भगवान नारायण ने घोषणा की थी कि इन दोनों मंदिरों में से जो सबसे पहले तैयार होगा, वे उसी में प्रवेश करेंगे। शिवरी नारायण मंदिर का निर्माण कार्य पहले पूरा हो गया और भगवान नारायण वहीं प्रविष्ट हुए। वहीं जांजगीर के इस मंदिर का निर्माण कार्य सदा के लिए अधूरा छूट गया।
 
दूसरी दंत कथा के अनुसार मंदिर के निर्माण की जिम्मेदारी महाबली भीम को और दूसरे मंदिर की जिम्मेदारी विश्वकर्मा को दी गई थी। भीम के पास एक हाथी था, जो भीम का सामान उठाने में मदद करता था। मंदिर बनाते समय भीम के औजार जमीन पर गिर जाते थे, तब हाथी ही लाकर देता था। एक समय में औजार पास के तालाब में जाकर गिर गया तो हाथी औजार को बहुत प्रयास के बाद भी ढूंढ नहीं पाया और सुबह हो गई।
 
इस कारण मंदिर का निर्माण समय पर नहीं हो सका और भीम प्रतियोगिता हार गए। इस बात से नाराज होकर भीम ने हाथी के दो टुकड़े कर दिए। इस बात के प्रमाण स्वरूप मंदिर में आज भी भीम और हाथी की खंडित मूर्तियां मौजूद हैं।


इस मंदिर के पास भीमा तालाब मौजूद है। तालाब के निर्माण को लेकर एक रोचक एक दंत कथा महाबली भीम से जुड़ी हुई है। 
 
 
महाबली भीम ने अपने महाबल से तालाब का निर्माण पलभर में ही कर दिया था। भीम ने पांच बार फावड़ा चलाकर ही यह तालाब खोद डाला था।

होलिका दहन के साथ इस गांव में होता है कुछ अपशकुन!

महासमुंद.विकासखंड के 193 गांवों में से ग्राम मुढ़ेना ही एक ऐसा गांव है जहां होली नहीं जलाई जाती, और तो और हटरीबाजार भी यहां नहीं लगता। जिला मुख्यालय से करीब 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस गांव में होली के मौके पर न तो कोई फाग गाता है और न ही रासनृत्य। कुंवारी गांव धारणा के कारण आज भी यहां होलिका दहन वर्जित है। 
 
शौकिया तौर पर बच्चे गांव से बाहर जरूर नंगाड़ा बजा लेते हैं लेकिन फुहड़ता का प्रदर्शन वहां भी वर्जित है। इस संबंध में ग्राम मुढ़ेना के बड़े-बुजुर्गो का कहना है कि यह परंपरा हमारे पुरखों ने चला रखी है, जिसका पालन अभी तक यहां किया जा रहा है। संभव है इसके पीछे उनकी भावना कुछ और रही होगी लेकिन हमें सिर्फ यह बताया गया कि इस गांव का ब्याह नहीं हुआ है, इसीलिए यहां इसका चलन नहीं है।
 
करीब 70-75 वर्ष पूर्व नांदगांव के मालगुजार रोमपाल सिंह ने यहां होली के मौके पर चलने वाले पुरातन नृत्य कराया था, उसके बाद गांव में महामारी फैल गई थी और ग्रामीण इसका कारण उस नृत्य को मान रहे थे, तब से सभी बुजुर्गो ने होलिका दहन संबंधी क्रियाकलापों से पूरी तरह से तौबा कर रखी है। हालांकि जिस वर्ष की घटना बताई जाती है, उस वर्ष भी यहां होलिका दहन नहीं हुआ था, सिर्फ नृत्य का आयोजन कराया गया था।
 
हालांकि कोई भी ग्रामीण कुंवारी गांव की मान्यता क्यों बनीं हुई के बारे में ठीक से जानकारी नहीं दे पाए, सिर्फ उनके पूर्वजों द्वारा बताई गई जानकारी का ही हवाला दिया। यहां रंग-गुलाल से ही होली खेलते हैं। 
 
गांव के नौजवान अपने बुजुर्गो से जरूर सवाल-जवाब करते हैं। यहां के बुजुर्ग डेरहू केंवट बताते हैं कि वे अपने किशोरावस्था में होलिकादहन देखने और नंगाड़ा सुनने घोड़ारी जाया करते थे। अधिकांश सहपाठी भी घोड़ारी से ही फाग या होलिकोत्सव का आनंद उठाते रहे हैं लेकिन गांव में कभी भी होली का माहौल जम नहीं पाया। भले ही आज इसे अंधविश्वास का अमलीजामा पहनाया जा सकता है किंतु वन है तो जल है, जल है तो कल है की भावना होलिका दहन नहीं करने के पीछे स्पष्ट नजर आती है। लकड़ी की समस्या से यहां के ग्रामीण दो-चार होते रहे हैं।
 
बुजुर्गो के अनुसार कई किलोमीटर तक बैलगाड़ी से वन विभाग द्वारा प्रदाय किए जाने वाले जलाऊ चट्टा ही यहां चूल्हे का मुख्य श्रोत रहा है। जलाऊ चट्टा नहीं मिलने पर महानदी पर उगने वाले बेशरम, झांऊ प्रजाति के झाड़ी पर ही निर्भरता रही है। 
 
 
संभव है इस कारण से भी यहां के लोगों ने लकड़ी के महत्व को समझा होगा और प्रेरणा के लिए परंपरा बनाई होगी। ग्रामीण यह भी कहते हैं कि होलिका दहन के नाम पर अन्य गांवों में लकड़ी की चोरियां, ब्यारा में लगने वाले राचर, मकानों में लगने वाले दरवाजे, खिड़कियां चोरी की घटनाएं आम बात रही है किंतु कभी भी यहां इस तरह की हरकत नहीं हुई।
 
गांव में प्रवेश करते ही पत्थर से बने मकान नजर आएंगे, महानदी के तट पर स्थित होने के कारण फर्शी पत्थर खदान की बाहुलता ने यहां के जीवनशैली में बदलाव किया है। 
 
 
प्राय: सभी घर फर्शी-पत्थर के बने हुए हैं और अमीर-गरीब का भेद यहां नजर नहीं आता। ग्रामीणों के मुताबिक फर्शी-पत्थर में कोई सीपेज नहीं आता, इस कारण बाहर में लोग छबाई भी नहीं कराते, कई मकान सौ साल पुराना होने के बावजूद ज्यों का त्यों है। करीब दो 2 हजार की आबादी वाले इस गांव में निषाद और साहू समाज की अधिकता है। इसके अलावा सतनामी, ठाकुर, रावत व ध्रुव समाज के लोग भी निवास करते हैं। 200 के आसपास घरों की संख्या है, सभी घरों में फर्शी पत्थर नजर आएंगे।
 
होली में हुए नाचख् के बाद गांव में फैली थी महामारी
 
गांव के 80 वर्षीय थनवार साहू बताते हैं कि कुंवारी गांव की मान्यता के कारण यहां बाजार भी नहीं लगता। घोड़ारी या आसपास के गांवों में लगने वाले हाट-बाजार से ग्रामीण चलाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी उम्र 10-12 साल रही होगी तब यहां मालगुजार द्वारा होली के मौके पर नाच का आयोजन कराया गया था।
 
उस समय गांव में भंयकर बीमारी फैल गई थी, उसके बाद से तो गांव वालों ने किसी भी प्रकार के आयोजन से तौबा कर ली। उन्होंने जानकारी दी कि ग्राम पंचायत ने हटरी बाजार लगाने का प्रस्ताव पारित किया है किंतु अभी यहां बाजार भरना शुरू नहीं हुआ है। यदि बाजार लगता है तो इस पर परिस्थितियों को देखते हुए किसी को शायद ही आपत्ति होगी।
 
दुर्गा पूजा पर भी लगाया गया था गांव में प्रतिबंध
 
गांव के 70 वर्षीय पुनाराम साहू बताते हैं कि पहले गांव में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित भी नहीं की जाती थी। करीब 10-12 वर्ष पूर्व यहां के उत्साही नौजवानों ने इस दिशा में पहल किया और किसी ने विरोध नहीं किया, धीरे-धीरे दुर्गोत्सव का आयोजन क्वांर माह में प्रतिवर्ष होने लगा। 
 
 
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि नंगाड़ा गांव के बाहर बच्चे जरूर बजाकर मनोरंजन कर लेते हैं किंतु बड़े-बुजुर्ग आज भी उससे दूरी बनाए रखते हैं। इतना जरूर है कि होलिका दहन के दूसरे दिन रंग-गुलाल में लोग एक-दूसरे का अभिवादन जरूर करते हैं किंतु होली के मौके पर आम तौर पर होने वाले फुहड़ता यहां पूरी तरह से प्रतिबंधित है। श्री साहू ने बताया कि आजकल कुछेक बच्चे पुरानी परंपरा को भी तोड़ने में लगे हुए हैं।

Reduce Weight by Natural Ways


Obesity or overweight is a condition characterized by excessive deposition or storage of fat in adipose tissues. Over the years it has been a common problem all over the world.

Ayurveda describes eight types of bodies, which are considered bad. Out of the eight, the two that are widely explained are: very thin body and very fat body. It has been proved that out these two those who are very fat have most diseases and troubles. This is because the extra fat puts a strain on the heart, kidneys, liver and the joints such as the hips, knees and ankles. Over weight persons are susceptible to several diseases like high blood pressure, diabetes, arthritis, gout, liver and gall bladder disorders.
The chief cause of obesity or over-weight is often overeating, irregular eating habits and not following the rules of eating including improper mixing of food items in one meal.
 

Magic - fantasy duo

Every magician likes to involve a pretty girl in his magic tricks but it’s not often that the pretty girl is also a magician herself. This magic duo performs a stunning illusion during the World Magic Awards in 2009 that will leave you wondering exactly how they pulled this trick off.



भांग से भी ज्‍यादा नशा

सोशल नेटवर्किंग साइट्स की शुरुआत भले ही दूर बैठे लोगों को नेट पर मिलाने व बात करने का मौका देने के लिए हुई थी, लेकिन अब यह प्लैटफॉर्म नेट यूजर्स के लिए एक एडिक्शन बन चुका है। रिसर्च बताती है कि सोशल मीडिया का एडिक्शन सिगरेट और अल्कोहल से भी ज्यादा है।

हाल ही में हुए एक रिसर्च में कहा गया है कि  इसकी खातिर लोग अपनी नींद व सेक्स लाइफ तक की परवाह नहीं करते। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि  दूसरों के बारे में जानने व अपने अपडेट्स से उनको इंप्रेस करने की चाहत इस एडिक्शन की एक वजह है साथ ही यहां मिलने वाले कॉम्प्लिमेंट्स एक अलग ही कॉन्फिडेंस देते हैं। 
मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि इंट्रोवर्ट नेचर वाले लोगों में यह एडिक्शन ज्यादा देखने को मिलता है। दरअसल , रीयल लाइफ में वे ज्यादा सोशल नहीं हो पाने की वजह से वे वर्चुअल वर्ल्ड में अपनी प्रजेंस दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते। ऐसे नेचर वाले लोगों के लिए अजनबियों से दोस्ती करना कोई बड़ी बात नहीं होती।   अगर आप भी इसके एडिक्‍ट हो चुके हैं तो समय रहते संभल जाएं नहीं तो यह आदत आपकी जीवन शैली बिगाड़ देगा। 
स्रोत

The world's first flying car

The world's first flying car will make its debut at the New York International Auto Show.

Terrafugia's Transition Roadable Aircraft has taken years to develop. It has a 23-gallon gas tank and a range of 400 miles. It gives about 35 mpg on the road and burns roughly 5 gallons of gas per hour when it is at cruising speed in the air.

"The New York International Auto Show is a venue from which we can show the first practical street-legal airplane to the world while meeting the people who will be part of its commercial success in the years to come. New York is the perfect place to accomplish all of this," said Anna Mracek Dietrich, chief operating officer of Terrafugia.

About 100 orders have been received for the flying car which carries an anticipated starting price of $279,000 (£176,000).

Terrafugia spokesperson Steve Moscaritolo said that some of those orders come from people who want it for the "new toy" aspect, but the company has also taken orders from people who commute somewhere each weekend, or almost every day, and want to avoid parking headaches and security lines at the airport.

Catch a glimpse of the Terrafugia's Transition Roadable Aircraft in the images given below:

Top 10 Countries with Largest Facebook User 2011


Here are 10 countries with the largest facebook users in the world in 2011 (until December). Data show that Facebook users are not directly proportional to the population in a country. China, Pakistan, Bangladesh, Russia, Nigeria are the countries that enter the 10 most populous country in the world, but facebook users the numbers are very small. Facebook users in China is only about 500 thousand from more than one billion population. Even Japan, the state technology literacy and Internet literacy, only about 6 million people who use facebook than 127 million population. Indonesia in the second ranks as thecountry’s with largest facebook users in the world

माँ सरस्वती


सरस्वती माँ हमें विद्या और ज्ञान पाने के संदेश के अलावा जीवन-प्रबंधन के कुछ महत्त्वपूर्ण संकेत देती है, जिनका पालन कर हम अपना सर्वांगीण विकास कर सकते हं।
माँ सरस्वती के श्वेत वस्त्रों से दो संकेत मिलते हैं। पहला हमारा ज्ञान निर्मल हो, विकृत न हो। जो भी ज्ञान अर्जित करें वह सकारात्मक हो, महापुरुषों से सम्मत हो। दूसरा हमारा चरित्र उत्तम हो। विद्यार्थी-जीवन में कोई दुर्गुण हमारे चरित्र में न हो। वह एकदम निर्मल हो।
माँ सरस्वती कमल के फूल द्वारा यह संकेत देती हैं कि जैसे कमल का फूल पानी में रहता है परंतु पानी की एक बूँद भी उस पर नहीं ठहरती, उसी प्रकार चंचलता, असंयम, झूठ-कपट, कुसंग लापरवाही आदि बुराईयों को जीवन में स्थान न दो।
सरस्वती माँ के हाथ में स्थित सदग्रंथ हमें संदेश देता है कि जीवन को यदि महान बनाना हो तो जीवन शास्त्रानुसारी होना चाहिए। हाथ कर्म के सूचक हैं और सत्शास्त्र सत्यस्वरूप के। हमारे हाथों से वही कर्म हों जो भगवान को प्रसन्न करें। इसके लिए हम प्रतिदिन सत्शास्त्रों का स्वाध्याय करते रहें।
दूसरे हाथ में माला है। माला 'मनन' की ओर संकेत करती है। यह हमें हमारे मनुष्य जीवन के मूल उद्देश्य की याद दिलाती है कि परमात्मा के साथ अपने अमिट संबंध की स्मृति और भगवदज्ञान का मनन करने के लिए हमें यह मनुष्य जन्म मिला है। जो ज्ञान सदगुरू एवं सदग्रंथों से अर्जित कर रहे हैं, उसका मनन भी करते रहें। मेधाशक्ति व बुद्धि के विकास के लिए किन्हीं ब्रह्मज्ञानी महापुरुष से सारस्वत्य मंत्र की दीक्षा लेकर उसका जप करें।
दो हाथों से वीणा-वादन यह संकेत करता है कि जीवन एकांगी नहीं होना चाहिए। जैसे वीणा तो एक ही होती है परंतु उससे हर प्रकार के मधुर राग अलापे जाते हैं, उसी प्रकार हम अपनी सुषुप्त योग्यताओं को जगाकर जीवन में सफलता के गीत गुँजायें।
सात्त्विक संगीत एकाग्रता व यादशक्ति बढ़ाने में सहायक है। रॉक व पॉप म्यूजिक तामसी हैं, इनसे तो दूर ही रहना चाहिए। डॉ. डायमण्ड ने प्रयोगों से सिद्ध किया कि ऐसा संगीत बजाने वाले और सुनने वाले की जीवनशक्ति का ह्रास होता है। सच्चा संगीत वह है जो परमात्मा की स्मृति करा के उसमें शांत कर दे।
सरस्वती माता नदी के किनारे एकांत में बैठी हैं, यह इस बात का संकेत है कि विद्यार्जन के साथ-साथ अपनी दिव्य आध्यात्मिक शक्तियों को जगाने के लिए कुछ समय एकांत में बैठकर जप-ध्यान, उपासना-अनुष्ठान करना भी आवश्यक है। स्थूल अर्थ में प्राकृतिक, शांत, निर्जन स्थान में बैठना भी एकांत कहा जाता है। परंतु एकांत का वास्तविक अर्थ है 'एक में अंत' अर्थात् एक परमात्मा में सभी वृत्तियों, कल्पनाओं का अंत हो जाय वही परम एकांत है।
मनमाने ढंग के एकांत-सेवन में निद्रा-तंद्रा, तमस आदि के घेर लेने की सम्भावना रहती है। अतः अनेक विद्यार्थी छुट्टियों में अपने गुरुदेव पूज्य बापू जी के आश्रमों में जाकर सारस्वत्य मंत्र का अनुष्ठान करते हैं और अपने भीतर छुपी महान सम्भावनाओं के भंडार के द्वार खोल देते हैं।
माँ सरस्वती के पीछे उगता हुआ सूरज दिखाई देता है, जो यह संकेत करता है कि विद्यार्थी को सूर्योदय के पहले ही बिस्तर का त्याग कर देना चाहिए। सूर्योदय से पूर्व का समय 'अमृतवेला' कहलाता है। सुबह परमात्म-चिंतन में तल्लीन होकर फिर भगवत्प्रार्थना करके विद्याध्ययन करना सबसे उत्तम है।
माँ सरस्वती के निकट दो हंस हैं अर्थात् हमारी बुद्धि रचनात्मक और विशलेष्णात्मक दोनों होनी चाहिए। जीवन में जहाँ एक ओर दैवी सम्पदा का अर्जन कर महानता का सर्जन करना चाहिए, वहीं दूसरी ओर सुख-दुःख, राग-द्वेष आदि के आने पर उनके कारण, निवारण आदि का विश्लेषण भी करते रहना चाहिए। इस हेतु परमहंस (जीवन्मुक्त) पद को प्राप्त महापुरुषों के सत्संग-सान्निध्य में जाने की प्रेरणा भी ये हंस देते हैं। जैसे हंस दूध को पानी से अलग करके दूध को पी लेते हैं, वैसे ही विद्यार्थियों को अच्छे गुणों को लेकर दुर्गुणों को त्याग देना चाहिए।
विद्या की देवी माँ सरस्वती के निकट मोर है जो कला का प्रतीक है। हम विद्याध्ययन तो करें, साथ ही जीवन जीने की कला भी सीखें। जैसे-सुख-दुःख में सम रहना और विकारों के वेग में निर्विकारी नारायण की स्मृति करके भगवदबल से विकारों के चंगुल से बचे रहना। और यह कला आत्मा में जगे हुए महापुरुषों की शरण में जाने से ही सीखी जा सकती है।
इस प्रकार माँ सरस्वती का विग्रह विद्यार्थी-जीवन का सम्पूर्ण मार्गदर्शन करता है।

Top 10 Famous People (Celebrities) Who Have Had Gastric Bypass Surgery

Weight loss.  It’s one of the most common New Year’s resolutions, the thorn in some of our sides, and the word that fights gluttony on a daily basis.  For some, the simple equation of taking in less calories than you burn on a daily basis usually works and yields visible results.  For others, however, more drastic measures have to be taken, and no we’re not talking about the hours-on-end exercising that contestants are put through on the ever-so-famous show The Biggest Loser.

For whatever reason, due to serious health risks, a true metabolic slowdown, or just mere convenience, people around the world have sought the help of weight loss surgery.  Nowadays there are several types of weight loss surgeries available including sleeve gastrostomy, gastric banding, duodenal switch, and of course gastric bypass, which remains the most commonly performed procedure around the world.
All judgment aside, below are 10 celebrities who have undergone gastric bypass surgery as a means to lose weight and inevitably live a healthier life:

10. Anne Rice

annerice
Anne Rice is a well-known writer, known for dabbling in erotica, Christian literature, and metaphysical gothic fiction.  In January 2003, Rice underwent gastric bypass surgery at a weight of 255 lbs.  Rice had been battling the weight roller coaster for years.  She tried using popular dieting programs such as Weight Watchers and the Diet Center, but she regained every pound she lost.
Due to her excessive weight Rice was suffering from a plethora of health conditions, including sleep apnea and Type 1 Diabetes.  In 1998, Rice went into a nearly fatal coma that was caused by her untreated diabetes, which left her insulin dependent.  In 2003, her husband died and it is said that he encouraged her to lose weight, possibly with the help of surgery, which then prompted her to undergo gastric bypass.
While she was able to lose 103 lbs. in 2004, Rice nearly died again, but this time the problem was attributed to her weight loss surgery.  She was diagnosed with bowel obstruction, which is a known complication of gastric bypass.  Today she has kept her weight off and has continued writing and publishing novels.