विटामिन सप्लीमेंट्स के खतरे


एक नई स्टडी ने मेडिकल जगत समेत आम लोगों में हलचल मचा दी है। इसके मुताबिक अधिक मात्रा में विटामिन सप्लीमेंट्स सेहत के लिए अच्छे नहीं हैं। इन्हें खाने से पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर तो महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।

 स्टडी में शामिल विशेषज्ञों के मुताबिक विटामिन सप्लीमेंट्स लेने के बजाय उनके प्राकृतिक स्रोत यानी फल-सब्जियों का सेवन करना ज्यादा सही है। अगर सप्लीमेंट्स लेने की जरूरत पड़े भी, तो विशेषज्ञ से सलाह-मशविरा के बाद बताई गई मात्रा में ही उनका सेवन करें।

विटामिन ए से फ्रैक्चर

दावा:विटामिन ए से दिल की बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। इसकी ज्यादा मात्रा से हिप फ्रैक्चर का खतरा भी बढ़ता है, खासकर महिलाओं में।
आधार: विटामिन ए के ज्यादा सेवन से शरीर द्वारा कैल्शियम को जज्ब करने की क्षमता प्रभावित होती है। इसका असर हड्डियों की सेहत पर पड़ता है।
जरूरी क्यों:विटामिन ए दृष्टि समेत शरीर के प्रतिरोधी तंत्र के लिए बहुत जरूरी है। ये ऊतकों को स्वस्थ रखता है। इसकी कमी से दृष्टिदोष बढ़ता है। बेहतर होगा बीटा केरोटिन युक्त मल्टीविटामिन खरीदें, जो एक ऑर्गेनिक कंपाउंड होता है।
प्राकृतिक स्रोत:गाजर, पालक, लाल मिर्च, टमाटर, नारंगी, आड़ू, अंडे और दुग्ध उत्पाद।
विटामिन बी 6 से अनिद्रा
दावा:विटामिन बी 6 का सेवन करने से न सिर्फ आधी रात को नींद खुल जाती है, बल्कि यह बेतरतीब सपनों का भी कारण है।
आधार: विटामिन बी 6 ट्रिप्टोफैन को सेरोटोनिन हार्मोन में बदलने में मदद करता है। यह हार्मोन नींद के चक्र को व्यवस्थित रखता है। इसके स्राव में गड़बड़ी से नींद की मात्रा में कमी आती है।
जरूरी क्यों: इसकी कमी से त्वचा, नाड़ी, म्यूकस मैंब्रेन और सकरुलेटरी सिस्टम प्रभावित होते हैं। ये ऊतकों के निर्माण के लिए भी जरूरी है।
प्राकृतिक स्रोत:पनीर, अंडे, मेवे, साबुत अनाज, बींस और फलीदार सब्जियां।
विटामिन सी से कैंसर
दावा:विटामिन सी के ज्यादा सेवन से डीएनए क्षतिग्रस्त होते हैं। इससे कैंसर और आर्थराइटिस की आशंका बढ़ती है।
आधार: 500 मिलीग्राम या इससे ज्यादा होने पर विटामिन सी प्रो-ऑक्सीडेंट बन जाता है। इससे कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होती हैं।
जरूरी क्यों: शरीर में इसकी कमी से त्वचा से जुड़ी समस्याएं सामने आती हैं। यही नहीं, हार्ट अटैक समेत रक्त वाहिनियों से जुड़ी अन्य परेशानियां भी सामने आती हैं। थकान ज्यादा महसूस होती है और बीमारी जल्दी-जल्दी घेरती है।
प्राकृतिक स्रोत:अमरूद, किवी, पपीता, नींबू, नारंगी और स्ट्रॉबेरी।
विटामिन डी से किडनी पर असर
दावा: विटामिन डी की अधिक मात्रा से किडनी और उसके ऊतक क्षतिग्रस्त होते हैं। इससे फ्रैक्चर होने की आशंका बढ़ती है।
आधार: विटामिन डी की अधिकता से खून और पेशाब में कैल्शियम का स्तर बढ़ता है। इससे किडनी में स्टोन बनते हैं।
जरूरी क्यों: इसकी कमी स्ट्रोक की आशंका बढ़ाती है। शरीर सही तरीके से काम नहीं करता, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापे की समस्या आ घेरती है। यही नहीं, इसकी कमी जोड़ों में दर्द देने समेत हड्डियों को कमजोर (ऑस्टियोपोरोसिस रोग) बनाती है।
विटामिन के से लिवर पर असर
दावा:विटामिन के कुछ एंटीऑक्सीडेंट्स के काम में रुकावट डालता है। इसके सेवन से कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। ज्यादा मात्रा एनीमिया, पीलिया और खून पतला होने की आशंका बढ़ाती है।
आधार:खून में इसकी ज्यादा मात्रा से लाल रक्त कोशिकाएं टूटने लगती हैं। इसकी परिणति लिवर की समस्या के रूप में सामने आती है।
जरूरी क्यों:यह हड्डियों को मजबूती देने समेत खून को गाढ़ा बनाए रखता है। इसकी कमी से ऑस्टियोपोरोसिस और ब्लीडिंग होने लगती है।

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