फिर से जिंदा होगा मैमथ, इस बार भारतीय हथिनी से पैदा होगा


सियोल. द. कोरियाई और रूसी वैज्ञानिकों ने मंगलवार को नया वैज्ञानिक समझौता किया है। इसके प्रोजेक्ट के तहत वे हिमयुग में रहने वाले रोएंदार प्राणी 'मैमथ' (भीमकाय हाथी) का निर्माण करेंगे।
इसे बनाने के लिए वे भारतीय हथिनी की एग-सेल का प्रयोग करेंगे। मैमथ करीब 10 हजार साल पहले धरती पर विचरण करता था। यह समझौता नॉर्थ-ईस्टर्न फैडरल यूनिवर्सिटी, सहाका प्रांत के वैसिली विसिलियेव और द. कोरिया की सूआम बायोटेक रिसर्च फाउंडेशन के क्लोनिंग वैज्ञानिक ह्वांग वू-सक बीच हुआ है।
वू-सक 2005 में तब दुनिया की नजर में आए थे जब उन्होंने स्नूपी नामक कुत्ते को क्लोनिंग पद्धति से पैदा किया था।
साइबेरिया के पर्माफ्रॉस्ट में मैमथ के अवशेष मिले हैं। ये अवशेष बेहद सही हालत में हैं। मैमथ की कोशिकाओं को खोजकर उन्हें संभालकर रखा जाएगा। इसके बाद उससे तैयार ऊतकों से बिना क्षति पहुंचाए एक जीन (डीएनए) निकाला जाएगा। इसके बाद डीएनए को भारतीय हथिनी की प्रजनन कोशिकाओं से मिलाया जाएगा। इससे एक भ्रूण का निर्माण होगा। फिर इसे हथिनी के गर्भाशय में डाल दिया जाएगा। फिर पैदा होगा मैमथ का शावक।

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