यहां 'कुत्तों' के नाम है 160 बीघा जमीन और करोड़ों की संपत्ति


यहां 'कुत्तों' के नाम है 160 बीघा जमीन और करोड़ों की संपत्ति


राजपुरा.पटियाला-चंडीगढ़ रोड पर स्थित गांव खानपुर के लोगों को कुत्तों में न सिर्फ भगवान नजर आता है, बल्कि वे तब तक खाना नहीं खाते जब तक कुत्ते भोग न लगा लें। इस गांव में दशकों से कुत्तों की पूजा की जाती है। 

ये कोई आम कुत्ते नहीं, बल्कि करोड़ों की जायदाद के मालिक हैं। यहां कुत्तों का ‘डेरा’ है जिसकी लगभग 160 बीघा जमीन कुत्तों के नाम पर है। डेरे के महंत अजय गिरी समेत किसी भी व्यक्ति को दिन के तीन टाइम कुत्तों को भोग लगाने से पहले कुछ भी खाने की इजाजत नहीं है। 

बाबा आला ने दी थी जमीन
डेरे के महंत अजय गिरी के मुताबिक पटियाला के संस्थापक बाबा आला इस डेरे में गद्दीनशीन बाबा भगवान गिर जी के भक्त थे। उन्होंने डेरे के आसपास अपनी कई हजार एकड़ जमीन दान में देनी चाही, लेकिन बाबा ने खुद अपने नाम पर करने की बजाए बेजुबान कुत्तों के नाम करने को कह दिया ताकि बाद में उनकी गद्दी पर बैठने वाले महंतों के मन में जमीन को लेकर कभी लालच न आए। तब से लेकर आज तक यह जमीन कुत्तों के नाम चली आ रही है।  

स्वादिष्ट व्यंजन चढ़ाए जाते हैं
कुत्तों को तीनों टाइम मिस्सी रोट, लस्सी समेत स्वादिष्ट व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। महंत डेरे के चबूतरे पर खड़े होकर ‘आयो.आयो’ की आवाज लगाते हैं और देखते ही देखते दूरदराज बैठे कुत्तों का झुंड वहां इकट्ठा हो जाता है। महंत अपने हाथों से इन्हें भोग लगाते है। इसके बाद श्रद्धालुओं को लंगर बांटा जाता है। सुबह-शाम इनकी आरती की जाती है। आसपास के दर्जनों गांवों के लोग कुत्तों से मन्नत मांगने आते हैं।

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