राशि और सैक्स - मिथुन राशि

राशि और सैक्स - मिथुन राशि
Sign & Sex - Gemini
इस राशि का ग्रह बुध माना गया है। अधिपति देवता विष्णु है। लिंग पुरूष है। राषि उभयोदय है, तत्व आकाश, स्वभाव द्विस्वभाव, रंग हरा, निवास गांव या शयन कक्ष आकार त्रिभुज, दिशा दक्षिण पूर्व है। ऋतु शरद रत्न पन्ना प्रकृत्ति पित्त स्वाद अम्ल और मिश्रित रक्त और वीर्य धातु मूत्र मिश्र संज्जक है। वेद अथर्ववेद जाति वैश्य है। खगोल विज्ञान के अनुसार बुध को सूर्य का निकटतम ग्रह माना गया है। तापमान 770 डिग्री फारेनहाइट है। इसकी परिक्रमा गति सबसे तेज है। इस ग्रह पर पृथ्वी से 8 गुना अधिक धूप पड़ती है। इस राशि का जो खंड सौरमण्डल में है, उसमें ऐसा प्रतीत होता है, मानो एक आकृति वीणावादन कर रही है और दूसरी उसे ध्यान से सुन रही है। उक्त गुणों से ही इस राशि के जातकों का विवाह और दाम्पत्य जीवन और सैक्स का पता लग जाता है। मेष और वृष राशि की भांति इनका विवाह शीघ्र हो जाता है, किन्तु इस राशि के पुरूषों में स्त्रीत्व अधिक और स्त्रियों में पुरूषत्व अधिक होता है। अधिकांश के दाढ़ी-मूंछ होते ही नहीं या वहां पर केवल रोम होते हैं। इस राशि के पुरूष ही प्रायः हिंजड़ा बनता है। पुरूषेन्द्रिय प्रायः अशक्त, लघु, पतली तथा सामान्य लम्बी होती है। स्त्री अंग त्रिकोण के समान होता है, नीचे से संकरा और ऊपर की ओर शनैः-शनैः बढ़ता जाता है। स्तन भी प्रायः त्रिभुजाकार होते हैं। इनका शरीर सामान्यतः सन्तुलित होता है। स्त्री की आंखों में लालिमा अधिक होती है। इस राशि की स्त्रियों में ही पुरूष की अपेक्षा आठ गुना अधिक कामाग्नि होती है। इनका विवाहित जीवन प्रचण्ड कामतुष्टि के साथ साथ हमेशा वाद-विवादमय रहता है। इस राशि का उत्तेजना केन्द्र गले और बांहों में कहीं भी हो सकता है। बांहें सहलाने, दबाने, या पकड़ने से इनको सुख मिलता है और उत्तेजित होते हैं। द्विस्वभाव के कारण एक बात पर टिक नहीं पाते हैं। इस राशि के जातक का मैथुन अत्यन्त चंचल है। मैथुन के दौरान पल-पल स्थिति बदलते रहते हैं। उभयोदय राशि के कारण एक दिशा से नहीं, उपदिशा, उलट पलट मैथुन इनका स्वभाव होता है। दिवा-रात्री बली होने के कारण दिन-रात कभी भी इनको मैथुन से सुख ही मिलता है। शयनकक्ष में बिस्तर जरूरी है। यह कुछ-न-कुछ बिछा जरूर लेते हैं। नंगी पृथ्वी पर मैथुन करना पसन्द नहीं है। इनकी कामवासना मेष-वृषभ से ज्यादा होती है। दक्षिण-पूर्व दिशा में मुख करके सम्भोग करने से अपने सुख को बढ़ा सकते हैं। इस राशि का जातक मौन मिथुन नहीं करता। (आकृति गुण) इसके मैथुन में नाना प्रकार की ध्वनियों, सीत्कारें, थपथपाहट होती है ताकि राशि गुण (शयनकक्ष, गांव) होने से (गांव वाले दूसरे लोग भी सुन लें) प्रभाव पड़ता है। व्यर्थ ध्वनियां बेहद करते हैं, जो सरलता से सुनायी पड़ जाती है। प्रारम्भिक क्रिया के दौरान, अन्त में इनका प्रेमालाप, प्रेम क्रियाएं चलती रहती है। निवास शयनकक्ष, गाँव होने से यह शयनकक्ष में या कहीं भी मैथुन कर सकता है। इनको इस बात की चिन्ता नहीं होती है कि कोई देख रहा है। इसके लिये लोकलाज नहीं के बराबर होती है। यह अपनी प्रेमिका / प्रेमी, पत्नी / पति से बहुत प्यार करते हैं और बड़ी भावुकता के साथ प्यार करते हैं। जल्दी छोड़ते नहीं हैं। मैथुन प्रेमालाप के समय के मध्य आंसू, मुस्कान का मेल बराबर होता है। अभी आंसू बहाया, अगले पल मुस्कराया; इनको सन्तोष नहीं होता। यह विवाह के प्रारम्भिक दिनों में रात-दिन मिलाकर चार-पाँच-सात बार भोग कर डालते हैं। सबके देखते देखते दरवाजा बंद कर क्रिया शुरू कर देंगे। इनको यह अहसास नहीं होता कि परिवार के अन्य सदस्य क्या सोच रहे होंगे। निर्लज्जता इनके मैथुन का गुण है।तत्त्व आकाश है, कल्पनायें ज्यादा करते हैं। जाति वैश्य होने से सैक्स में भी सौदेबाजी करते हैं, पहले यह करो, तब इच्छा पूर्ति होगी- इनकी साधारण आदत होती है। जब भी कोई नयी वस्तु पत्नी / प्रेमिका को देंगे, उतने ही मूल्य का, ज्यादा कीमती होने पर कठोर और देर तक, कम कीमती होने पर कुछ देर, साधारण मैथुन अवश्य करेंगे। उसी दिन अपना मूल्य वसूल लेंगे, छोड़ने वाले नहीं हैं। वेश्यागामी होने पर पूरी कीमत उसके शरीर से वसूल लेंगे।इनकी गति तेज होती हैं। मैथुन भी तेजी से करना कराना पसन्द करते हैं। इस राशि की स्त्रियां जून-जुलाई माह में विशेष रूप से गर्भवती होती है। रंग हरा होने के कारण यह सावन के अंधे की तरह हर जगह हरियाली ही देखते हैं। इस कारण प्रायः इनका प्रेम असफल रहता है। कल्पना खूब कर लेते हैं, हाथ नहीं लगा पाते। निवास शयन कक्ष है। अतएव रसिक बातें खूब करते है और मैथुन चर्चा में बड़ा आनन्द पाते हैं।इस राशि का दाम्पत्य जीवन कहा सुनी से भरा होने के बाद भी निभ जाता है। क्षण में माशा क्षण में तोला। इस राषि की स्त्रियां अत्यन्त भावुक होती है। इस राशि के जातकों के गुप्त सम्बन्ध प्रायः प्रकट हो जाते हैं। इनके प्रेम पत्र अत्यन्त लम्बे और खूब भावुकता पूर्ण होते हैं। प्रेमपत्रों में मैथुन-चर्चा अवश्य लिखते हैं। ‘तुम्हें बहुत-बहुत प्यार’ के स्थान पर ‘चुम्बन’ लिखना और संभोग की बातें करना जरूर रहता है।सन्तान के प्रति इनका व्यवहार बड़ा भावुकता पूर्ण होता है। उनको अनुशासन में नहीं रख पाते और प्रायः लाड़-प्यार में बिगाड़ दिया करते हैं। इनको सन्तान कम होती है। गुप्त रोग कम होते हैं। यह गर्भ के दिन पूरे होने पर भी संभोग करने से नहीं मानते हैं। प्रेम में अपनी भावुकता के कारण घर से भागना, आत्महत्या करना, परिवार की नेक सलाह को ठुकराना इनकी विषेषता है। इस राशि के जातकों का चरित्र प्रायः संदिग्ध दृष्टि से समाज में देखा जाता है।काफी उमर तक यह भोगी होते हैं। इस राशि की स्त्रियों का मासिक धर्म 48/52 के आसपास तक सक्रिय होता है। पुरूष 60/65 तक क्रियाशील रहता है। प्रायः इस राशि की महिला अपने पति को अपना उत्तेजना केन्द्र बतला देती है। आमतौर पर इसका दाम्पत्य जीवन सुखद होता है, पर कामुकता के कारण दूसरा पक्ष यदा-कदा बहुत घबरा जाता है और कलह की गुंजाइश हो जाती है। इस राशि के जातक की सन्तान भी ज्यादा होती है।

राशि और सैक्स - वृष राशि

राशि और सैक्स - वृष राशि
Sign & Sex - Taurus
इस राशि की आकृति बैल के समान है। इस राशि के जातक में ज्येष्ठ (मई-जून) में अधिक वासना रहती है। स्त्रियों में गर्भाधान या प्रसव का यही समय है। इस राशि के जातकों के चेहरे प्रायः कांतिवान होते हैं। रूपरंग विशेष न होने के बावजूद चेहरा मोहक होता है। इस राशि के पुरूषांग बैल के समान होता है। स्त्री अंग आम के पत्ते के समान होता है। इस राशि के स्त्री-पुरूष विशेष सुन्दर नहीं होते हैं, किन्तु इनके जीवन साथी प्रायः सुन्दर मिलते हैं। सन्तानवान् होते हैं। जीवन साथी के प्रति वफादार होते हैं। कामुकता ज्यादा होती है, किन्तु प्रेम स्थायी होता है।यह एक स्थिर राशि है, इस कारण इस राशि के जातक स्थिर भाव से मैथुन करते हैं, बार-बार आसन नहीं बदलते। रात्रिबली राशि होने से रात्री में ही सम्भोग करना इसे अच्छा लगता है। निवास स्थान खेत या मैदान होने के कारण इनको खुले में ज्यादा सुख मिलता है, कमरे की खिड़की आदि अवश्य खुली रखेंगे। तत्त्व पृथ्वी होने से बिस्तर पर कम, जमीन, फर्श पर अथवा नंगी भूमि पर इनको विशेष सुख मिलता है।इस राशि के जातक का उत्तेजना केन्द्र चेहरे या गले में कहीं भी हो सकता है। प्रायः कंधे पर दाँतों का प्रयोग विशेष प्रिय है। इस राशि का पुरूष प्रायः इस क्रिया में अपनी पत्नी के कंधों को मजबूती से पकड़ता है। चुम्बन प्रयोग से जिस स्थान के स्पर्श से जातक आकुल-व्याकुल हो जाये वही उत्तेजना स्थल हो सकता है। प्रायः इस राशि की स्त्रियों के कुचाग्र चूसने पर यह शीघ्र उत्तेजित और स्खलित हो जाती है।राशि ब्राह्मण होने के कारण उसकी क्रिया शांत, हौले-हौले चलती है। मारकाट या युद्ध वाली स्थिति नहीं रहा करती है। मेष राशि के ही समान इस राशि को अपनी दिशा पूर्व की ओर मुख करके इस कार्य को करना चाहिये। इस राशि के जातकों को चतुष्पद जीवन अत्यन्त प्रिय होता है। इनका यह कर्म बड़ा प्यार और धीमी गति से (बैल गति) चलता है। पहले, क्रिया के दौरान और अन्त में आलिंगन-चुम्बन बराबर करते हैं। इस राशि के जातक के नथुने क्रियारत दशा में तेजी के साथ फूलते-पिचकते हैं। साथ ही यह लम्बी-लम्बी सांसें छोड़ते हैं। बैल का यह गुण अवश्य होता है। वह शांति और धैर्य के साथ मैथुन करते हैं। स्तम्भन शक्ति क्षीण होती है। स्तम्भन शक्ति की क्षीणता के कारण पुरूष बार बार मैथुन करने का आदी होता है। इस राशि के जातकों की स्खलन की मात्रा भी रूक-रूककर अधिक होती है।नक्षत्र गुण (कृतिका, रोहिणी व मृगशिरा) चंचलता, किन्तु सुन्दरता के साथ, धैर्य के साथ क्रिया करते हैं। कृतिका के (3 चरण) के कारण इनकी क्रिया में थोड़ी अशुचिता (मेष से कुछ अधिक) होती है। इसके बावजूद यह पवित्रता का ध्यान रखते हैं। इस राशि के पुरूष को अपने पौरूष बड़ा घमण्ड होता है तथा अपने मित्रों के सम्मुख अपना पौरूष खुब बढ़ा-चढ़ाकर बतलाता है। इस राशि की स्त्री भी अपने पति के गुण बढ़ा-चढ़ाकर सहेलियों को बतलाती है।इस राशि के जातक गुप्तेन्द्रिय और मुख का प्रायः सम्बन्ध बना लेते हैं, यह इनकी आकृति का स्वभाव है। यह सहजता के साथ इस क्रिया को करते हैं। सामान्यतः यह परस्पर पूर्ण तृप्त होकर ही विलग होते हैं। भिन्न राशि से मिलन के बावजूद इस राशि का दूसरी राशि का चतुराई के साथ मेल बैठ जाता है।दाम्पत्य जीवन के सुख में बाधा नहीं पड़ने देते हैं। अधिकतर परस्त्रीगामी होते हैं। विवाहित स्त्रियों की ओर इनका विशेष झुकाव होता है। यह कलह और शौर-शराबे से दूर रहते हैं। विलासिता की वस्तुओं के प्रति इनके मन में बड़ा लगाव होता है। बनाव श्रृगांर इनको विशेष प्रिय होता है। मनोरंजन में इनका बड़ा मन लगता है। तांक-झांक करने और निरर्थक सुन्दर स्त्रियों का पीछा करने की इनको आदत होती है। अवैध सम्बन्ध अत्यन्त सावधानी के साथ करते हैं। अपयश से बचते हैं।इस राशि के स्त्री-पुरूषों को नाच गाने में विशेष रूचि रखते हैं। इस गुण का उपयोग यह सम्भोग से पूर्व अथवा दौरान अवश्य करते हैं। ऐसे अवसर पर इनको संगीतमय वातावरण विशेष प्रिय होता है। इस राशि का मैथुन जीवन प्रायः सुखद रहता है। पत्नी इस राशि के पुरूष से संतुष्ट रहती है और स्त्री वृष हो, पुरूष अन्य राशि का हो तो अपना तालमेल बैठा लेती हैं। अनुकूल बना लेना इस राशि का स्वभाव है। लिंग से यह स्त्री राशि है, किन्तु अपने में पूरा पौरूष रखती है।इस राषि की महिलाओं के स्तन बैल के सीगों के समान नुकीले और ऊर्ध्वगामी होते हैं। कमर विशेषतः मोटी होती है। पनीली आंखें इनकी विषेषता है। बनाव श्रृगांर में सबसे अधिक समय लगता है। अशुभ प्रभाव में हो तो विवाहित पुरूष या अपने से कम आयु के युवक के साथ सम्बन्ध इनको रूचिकर लगता है अन्यथा पति के प्रति वफादार होती हैं। इनका काम उग्र होता है। घर गृहस्थी के कामों में कुशल तथा अधिकतर नौकरीपैशा होती हैं। पुरूषों की तरह उपार्जन करना इनका विशेष गुण होता है। अधिकतर स्वभाव उग्र होता है और हाथ उठाने में पहल करती हैं। विशेष चिन्ह् या प्रभाव न हो तो यावज्जीवन पति को सुख देती हैं। अधिकतर पुत्र पैदा करती है। कन्याओं की संख्या कम होती है।अपने परिश्रम और रूचि से इस राशि की महिलाएं घर को स्वर्ग बना देती है। इस राशि की महिलाओं के चरण शुभ माने गये हैं। यह विवाह के बाद ससुराल का कायाकल्प कर देती है। इस राशि के पुरूषों में गजब का धैर्य और सहनशीलता होती है। प्रसव के समय स्त्री और संकट के समय पुरूष अत्यन्त साहस से काम लेते हैं।पुरूषों को गुर्दों का रोग होता है। गुप्त रोग विशेष रूप से होता है। धातु दौर्बल्य, मूत्ररोग प्रमुख होते हैं। महिलाओं को मुहांसों की बीमारी ज्यादातर होती है। माहवारी अक्सर अनियमित होती है। उदर पीड़ा, शूल, गले और नैत्र, नाक के रोग प्रायः होते हैं। इससे इनका सैक्स दुर्बल होता है। इस राशि की महिलायें मैथुन में प्रायः कम रूचि रखती हैं। सहजता से तैयार हो जाती हैं, किन्तु उसमें रस नहीं लेती। सहजता के साथ अपनी दिनचर्या मान लेती हैं। रसिकता भरी बातों में इनको कोई रूचि नहीं होती। इनके प्रेम पत्र कामकाजी ज्यादा होते हैं। प्यार के उद्गार कम लिखा करती हैं। अपने श्रृगांर के प्रति सतर्क रहती हैं। किसी के यहां शोक प्रकट करने जाने के समय भी बन संवर कर जाना नहीं भूलेंगी।अपने सन्तान के प्रति बहुत ममता होती है। प्रौढावस्था में उत्पन्न पुत्र से इस राशि के जातकों को विशेष लगाव होता है। यह इनकी भाग्यशाली सन्तान होती है। अपने उग्र स्वभाव, हठवादिता और कामुकता के बावजूद दोनों का दाम्पत्य जीवन निभ जाता है। इस राशि की महिलाएं बहुत कम तलाक या दूसरी शादी जैसी स्थिति से गुजरती हैं। यह पति का साथ निभा ले जाती है।