संता जी यूं बिगड गए

पढते पढते समाचार पत्र को , संता जी यूं बिगड गए ,
करे कोई , भरे कोई, न्याय के दावे अब किधर गए ?
लगता है अब तो क़ानून भी माया पाश में जकड़े गए ,
देखिये, ''राम स्वरुप'' ने चोरी की, ''फलस्वरूप'' पकडे गए ??

डोंगा

इथोपिया में एक ऐसी जनजाति है, जिसमें खूबसूरत और मनपसंद लड़की से शादी करने के लिए भयंकर लड़ाई लड़ना पड़ती है। इस लड़ाई में शामिल होने से पहले युवक को गाय का ताजा खून भी पीना पड़ता है। इस लड़ाई में जो विजेता होता है, वह सबसे खूबसूरत युवती को पाने का हकदार हो जाता है। विवाह की यह विचित्र परंपरा सूरमा जनजाति में प्रचलित है।
 
यह जनजाति इथोपिया के दक्षिणी क्षेत्र में ओमो रिवर वैली में रहती है। गर्लफ्रेंड पाने की ख्वाहिश रखने वाले युवक को दूसरे प्रतिस्पर्धी से भयंकर लड़ाई करनी होती है। इस लड़ाई को 'डोंगा' नाम से जाना जाता है। हर साल फसल आने के बाद यह खूनी लड़ाई आयोजित की जाती है। इसमें युवक धारदार हथियार और लाठियों लैस होकर प्रतिद्वंदी से लड़ते हैं।

गठिया:कारण और निवारण

गठिया:कारण और निवारण के घरेलू उपचार.......
गठिया रोग : सरल उपचार ......
आमवात जिसे गठिया भी कहा जाता है अत्यंत पीडादायक बीमारी है।अपक्व आहार रस याने "आम" वात के साथ संयोग करके गठिया रोग को उत्पन्न करता है।अत: इसे आमवात भी कहा जाता है।
लक्षण- जोडों में दर्द होता है, शरीर मे यूरिक एसीड की मात्रा बढ जाती है। छोटे -बडे जोडों में सूजन का प्रकोप होता रहता है।
यूरिक एसीड के कण(क्रिस्टल्स)घुटनों व अन्य जोडों में जमा हो जाते हैं।जोडों में दर्द के मारे रोगी का बुरा हाल रहता है।गठिया के पीछे यूरिक एसीड की जबर्दस्त भूमिका रहती है। इस रोग की सबसे बडी पहचान ये है कि रात को जोडों का दर्द बढता है और सुबह अकडन मेहसूस होती है। यदि शीघ्र ही उपचार कर नियंत्रण नहीं किया गया तो जोडों को स्थायी नुकसान हो सकता है।
अत: गठिया के ईलाज में हमारा उद्धेश्य शरीर से यूरिक एसीड बाहर निकालने का प्रयास होना चाहिये। यह यूरिक एसीड प्यूरीन के चयापचय के दौरान हमारे शरीर में निर्माण होता है। प्यूरिन तत्व मांस में सर्वाधिक होता है।इसलिये गठिया रोगी के लिये मांसाहार जहर के समान है। वैसे तो हमारे गुर्दे यूरिक एसीड को पेशाब के जरिये बाहर निकालते रहते हैं। लेकिन कई अन्य कारणों की मौजूदगी से गुर्दे यूरिक एसीड की पूरी मात्रा पेशाब के जरिये निकालने में असमर्थ हो जाते हैं। इसलिये इस रोग से मुक्ति के लिये जिन भोजन पदार्थो में पुरीन ज्यादा होता है,उनका उपयोग कतई न करें। याद रहे,मांसाहार शरीर में अन्य कई रोग पैदा करने के लिये भी उत्तरदायी है। वैसे तो पतागोभी,मशरूम,हरे चने,वालोर की फ़ली में भी प्युरिन ज्यादा होता है लेकिन इनसे हमारे शरीर के यूरिक एसीड लेविल पर कोई ज्यादा विपरीत असर नहीं होता है। अत: इनके इस्तेमाल पर रोक नहीं है। जितने भी सोफ़्ट ड्रिन्क्स हैं सभी परोक्छ रूप से शरीर में यूरिक एसीड का स्तर बढाते हैं,इसलिये सावधान रहने की जरूरत है।
१) सबसे जरूरी और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मौसम के मुताबिक ३ से ६ लिटर पानी पीने की आदत डालें। ज्यादा पेशाब होगा और अधिक से अधिक विजातीय पदार्थ और यूरिक एसीड बाहर निकलते रहेंगे।


२) आलू का रस १०० मिलि भोजन के पूर्व लेना हितकर है।
३) संतरे के रस में १५ मिलि काड लिवर आईल मिलाकर शयन से पूर्व लेने से गठिया में आश्चर्यजनक लाभ होता है।
४) लहसुन,गिलोय,देवदारू,सौंठ,अरंड की जड ये पांचों पदार्थ ५०-५० ग्राम लें।इनको कूट-खांड कर शीशी में भर लें। २ चम्मच की मात्रा में एक गिलास पानी में डालकर ऊबालें ,जब आधा रह जाए तो उतारकर छान लें और ठंडा होने पर पीलें। ऐसा सुबह=शाम करने से गठिया में अवश्य लाभ होगा।
५) लहसुन की कलियां ५० ग्राम लें।सैंधा नमक,जीरा,हींग,पीपल,काली मिर्च व सौंठ २-२ ग्राम लेकर लहसुन की कलियों के साथ भली प्रकार पीस कर मिलालें। यह मिश्रण अरंड के तेल में भून कर शीशी में भर लें। आधा या एक चम्मच दवा पानी के साथ दिन में दो बार लेने से गठिया में आशातीत लाभ होता है।
६) हर सिंगार के ताजे पती ४-५ नग लें। पानी के साथ पीसले या पानी के साथ मिक्सर में चलालें। यह नुस्खा सुबह-शाम लें ३-४ सप्ताह में गठिया और वात रोग नियंत्रित होंगे। जरूर आजमाएं।
आयुर्वेदिक चिकित्सा भी कई मामलों मे फ़लप्रद सिद्ध हो चुकी है।
(७) पंचामृत लोह गुगल,रसोनादि गुगल,रास्नाशल्लकी वटी,तीनों एक-एक गोली सुबह और रात को सोते वक्त दूध के साथ २-३ माह तक लेने से गठिया में बहुत फ़ायदा होता है।
८) उक्त नुस्खे के साथ अश्वगंधारिष्ट ,महारास्नादि काढा और दशमूलारिष्टा २-२ चम्मच मिलाकर दोनों वक्त भोजन के बाद लेना हितकर है।
१०) चिकित्सा वैग्यानिकों का मत है कि गठिया रोग में हरी साग सब्जी का प्रचुरता से इस्तेमाल करना बेहद फ़ायदेमंद रहता है। पत्तेदार सब्जियो का रस भी अति उपयोगी रहता है।
11) भाप से स्नान करने और जेतुन के तैल से मालिश करने से गठिया में अपेक्षित लाभ होता है।
१२) गठिया रोगी को कब्ज होने पर लक्षण उग्र हो जाते हैं। इसके लिये गुन गुने जल का एनिमा देकर पेट साफ़ रखना आवश्यक है।
१३) अरण्डी के तैल से मालिश करने से भी गठिया का दर्द और सूजन कम होती है।
१४) सूखे अदरक (सौंठ) का पावडर १० से ३० ग्राम की मात्रा में नित्य सेवन करना गठिया में परम हितकारी है।
१५) चिकित्सा वैग्यानिकों का मत है कि गठिया रोगी को जिन्क,केल्शियम और विटामिन सी के सप्लीमेंट्स नियमित रूप से लेते रहना लाभकारी है।
१६) गठिया रोगी के लिये अधिक परिश्रम करना या अधिक बैठे रहना दोनों ही नुकसान कारक होते हैं। अधिक परिश्रम से अस्थिबंधनो को क्षति होती है जबकि अधिक गतिहीनता से जोडों में अकडन पैदा होती है।


गठिया का दर्द दूर करने का आसान उपाय-
९) एक लिटर पानी तपेली या भगोनी में आंच पर रखें। इस पर तार वाली जाली रख दें। एक कपडे की चार तह करें और पानी मे गीला करके निचोड लें । ऐसे दो कपडे रखने चाहिये। अब एक कपडे को तपेली से निकलती हुई भाप पर रखें। गरम हो जाने पर यह कपडा दर्द करने वाले जोड पर ३-४ मिनिट रखना चाहिये। इस दौरान तपेली पर रखा दूसरा कपडा गरम हो चुका होगा। एक को हटाकर दूसरा लगाते रहें। यह विधान रोजाना १५-२० मिनिट करते रहने से जोडों का दर्द आहिस्ता आहिस्ता समाप्त हो जाता है। बहुत कारगर उपाय है।

ट्रॉब्रिएंड आदिवासी,

ट्रॉब्रिएंड आदिवासी


 ट्रॉब्रिएंड। दुनिया में तरह-तरह के समुदाय हैं और उनकी अपनी अलग परंपराएं हैं। खासकर आदिवासी समुदायों की परंपराएं और संस्कृतियां सभ्य समाज के लिए चौंकाने वाली हैं। पापुआ न्यू गिनी का हिस्सा माने जाने वाले ट्रॉब्रिएंड आइलैंड के आदिवासियों का रहन-सहन और उनकी संस्कृति कुछ ऐसी ही है। यहां घर में पुरुषों की जगह महिलाओं का दबदबा होता है। इसके साथ ही यहां शारीरिक संबंध बनाने के लिए शादी करना जरूरी नहीं होता। 
 
इस समुदाय में एक महिला जितने भी लोगों से चाहे संबंध रख सकती है। चाहे वो महिला शादीशुदा हो या ना हो। इतना ही नहीं, इस आइलैंड में रहने वाले आदिवासी अपने झगड़े भी मजेदार ढंग से सुलझाते हैं। यहां क्रिकेट के मैराथन गेम्स खेलकर झगड़े सुलझाए जाते हैं और इन खेलों में महिलाएं भी हिस्सा लेती हैं। 
 
इन आदिवासियों की संस्कृति और उनकी परंपरा को कैमरे में कैद करने पहुंचे फोटोग्राफर एरिक लफार्ज ने बताया कि आदिवासियों की शादी से पहले या बाद में सेक्स को लेकर बहुत सामान्य दृष्टिकोण है। एरिक ने बताया कि यहां लड़कियों को बहुत ही कम उम्र में गर्भ निरोधकों के बारे बता दिया जाता है और कौमार्य का यहां जरा भी महत्व नहीं है। 

सफेद दाग

सफेद दाग :
सफेद दाग को लोगों ने कुष्ट रोग का नाम दिया है, ऐसे नामों से प्रायः लोग घबरा जाते हैं मगर सफेद दाग छूत की बीमारी नहीं है।
संक्रामक रोग नहीं है। केवल त्वचा का रंग बदल जाता है किसी कारण से। अगर सही समय पर इसका इलाज किया जायें, तो समय जरूर लगेगा परंतु यह ठीक हो सकता है।
इसके इलाज के लिये धैर्य की जरूरत होती है। इलाज करते-करते इन दागों के बीच में काले काले धब्बे पड़ते है। इसके लिये घबराइये नहीं। काले निशान फैलते जानने का संकेत सफेद दाग के ठीक होने का है। धीरे-धीरे काले निशान फैलते जायेंगे और सफेदी खत्म होती जायेगी। त्वचा का रंग सामान्य होता जाएगा। सफेद दाग त्वचा पर क्यों होते हैं इसका कोई विशेष कारण साफ-साफ पता नहीं चला है।
मगर फिर भी कुछ कारण ऐसे है जिनकी वजह से सफेद दाग होते हैं व तेजी से फैलते भी हैं जैसे-
*विरोधी भोजन लेने से। दूध व मछली साथ-साथ न लें।
*शरीर का विषैला तत्व (Toxic) बाहर निकलने से न रोकें जैसे- मल, मूत्र, पसीने पर डीयो न लगायें।
*मिठाई, रबडी, दूध व दही का एक साथ सेवन न करें।
*गरिष्ठ भोजन न करें जैसे उडद की दाल, मांस व मछली।
*भोजन में खटाई, तेल मिर्च, गुड का सेवन न करें।
*अधिक नमक का प्रयोग न करें।
*ये रोग कई बार वंशानुगत भी होता है।
*रोज बथुआ की सब्जी खायें, बथुआ उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग को धोयें कच्चे बथुआ का रस दो कप निकाल कर आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें जब सिर्फ तेल रह जाये तब उतार कर शीशी में भर लें। इसे लगातार लगाते रहें । ठीक होगा धैर्य की जरूरत है।
*अखरोट खूब खायें। इसके खाने से शरीर के विषैले तत्वों का नाश होता है। अखरोट का पेड़ अपने आसपास की जमीन को काली कर देती है ये तो त्वचा है। अखरोट खाते रहिये लाभ होगा।
*रिजका (Alfalfa) सौ ग्राम, ककडी का रस मिलाकर पियें दाद ठीक होगा।
*लहसुन के रस में हरड घिसकर लेप करें तथा लहसुन का सेवन भी करते रहने से दाग मिट जाता है।
*छाछ रोजना दो बार पियें सफेद दाग ठीक हो सकता है।
*लहसुन के रस में हरड को घिसकर कर लेप करें साथ साथ सेवन भी करें।
*पानी में भीगी हुई उडद की दाल पीसकर सफेद दाग पर चार माह तक लगाने से दाद ठीक हो जायेगा।
* हल्दी एक औषधि है। इससे त्वचा रोग में फायदा होता है। सौ ग्राम हल्दी, चार सौ ग्राम स्पिरिट (स्प्रिट) लेकर मिलायें और खाली शीशी में भर कर रख दें धूप में दिन में कम से कम तीन बार हिलायें जोर-जोर से। ये टिंचर का काम करेगा दिन में तीन बार शरीर पर लगायें। हल्दी गर्म दूध में डालकर पियें छः महीने कम से कम।
*तुलसी का तेल बनायें, जड़ सहित एक हरा भरा तुलसी का पौधा लायें, धोकर कूटपीस लें रस निकाल लें। आधा लीटर पानी आधा किलो सरसों का तेल डाल कर पकायें हल्की आंच पर सिर्फ तेल बच जाने पर छानकर शीशी में भर लें। ये तेल बन गया अब इसे सफेद दाग पर लगायें।
*नीम की पत्ती, फूल, निंबोली, सुखाकर पीस लें प्रतिदिन फंकी लें।
सफेद दाग के लिये नीम एक वरदान है। कुष्ठ जैसे रोग का इलाज नीम से सर्व सुलभ है। कोई बी सफेद दाग वाला व्यक्ति नीम तले जितना रहेगा उतना ही फायदा होगा नीम खायें, नीम लगायें ,नीम के नीचे सोये ,नीम को बिछाकर सोयें, पत्ते सूखने पर बदल दें। पत्ते,फल निम्बोली,छाल किसी का भी रस लगायें व पियें भी। जरूर फायदा होगा कारण नीम में एक एंटीबायोटिक है।ये अपने आसपास का वातावरण स्वच्छ रखता है। इसकी पत्तियों को जलाकर पीस कर उसकी राख इसी नीम के तेल में मिलाकर घाव पर लेप करते रहें। नीम की पत्ती, निम्बोली ,फूल पीसकर चालीस दिन तक शरबत पियें तो सफेद दाग से मुक्ति मिल जायेगी। नीम की गोंद को नीम के ही रस में पीस कर मिलाकर पियें तो गलने वाला कुष्ठ रोग भी ठीक हो सकता है।

जूतों से आने वाली दुर्गन्ध

जूतों से आने वाली दुर्गन्ध दूर करने के लिए घरेलु नुुस्खा:-
चाय बनाकर चायपत्तियों, सन्तरे के छिलकों को फेंके नहीं
सन्तरे के छिलकों को फेंके नहीं, रात में इन्हें दुर्गन्ध मार रहे जूतों के अंदर रख दें, अगली सुबह इन छिलकों को फेंक दें, जूतों से दुर्गन्ध दूर हो जाएगी। जिनके पाँवों के तालुओं से गंध आती है उसे दूर करने का देशी उपाय भी जान लीजिए...चाय बनाकर चायपत्तियों को छानने के बाद फ़ेंकें नहीं।
दिन भर में जितने बार भी चाय बने, पत्तियों को छानकर एकत्र कर लें, रात सोने से पहले सारी चायपत्ती को बड़े बर्तन में उबालें और जब यह गुनगुना हो जाए तो अपने तालुओं को इस पानी में करीब २० मिनट तक डुबोकर रखें।
ऐसा सप्ताह में सिर्फ एक बार ही करें,
एक महीने में समस्या से हमेशा का छुटकारा मिल जाएगा।
चाय में टैनिक एसिड पाया जाता है ,
जो कि पसीना रोकने में सक्षम होता है और इसमें त्वचा की कोशिकाओं को ड्राय (Dry) करने का गुण होता है साथ ही दुर्गंधकारक सूक्ष्मजीवों को मार भी गिराता है....