एक ही बार निर्विरोध हुआ है राष्ट्रपति चुनाव

नई दिल्ली। अगले राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों में किसी एक के नाम पर आम सहमति बनाने की हलचल बनी हुई है। सभी दल एक दूसरे से मुलाकात करके अपना चुनिंदा उम्मीदवार बनाने के प्रयास कर रहे हैं। लेकिन आजादी के बाद से सिर्फ एक बार ही ऎसा हुआ है कि कोई व्यक्ति इस सर्वोच्च पद पर निर्विरोध चुना गया। वह थे डा. नीलम संजीव रेड्डी।

1977 के राष्ट्रपति चुनाव में रेड्डी को निर्विरोध चुन लिया गया था। ऎसा नहीं है कि उनके खिलाफ कोई चुनाव में नहीं उतरा था। राष्ट्रपति पद के इस सातवें चुनाव में कुल 37 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र भरे थे। जिनमे से 36 के पर्चे खारिज हो गए और रेड्डी निर्विरोध चुन लिए गए।

चौथे राष्ट्रपति चुनाव में सबसे अधिक उम्मीदवार
राष्ट्रपति के चुनाव में उम्मीदवारों की संख्या को देखा जाए तो सबसे अधिक 15 उम्मीदवार चौथे राष्ट्रपति चुनाव में खड़े हुए थे। इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार डा. जाकिर हुसैन विजयी हुए थे। यह पहला चुनाव था जिसमें विपक्ष ने एकजुट होकर न्यायमूर्ति कोटा सुब्बाराब को संयुक्त प्रत्याशी बनाया था। इस चुनाव में जीत का अंतर अन्य चुनावों की तुलना में सबसे कम था और सर्वाधिक आठ उम्मीदवारों का खाता भी नहीं खुला था1 डा. जाकिर हुसैन अल्पसंख्यक समुदाय से पहले राष्ट्रपति थे। इसी चुनाव में पहली बार कोई महिला राष्ट्रपति चुनाव में उतरी। वह थी मनोहरा होल्कर।


कुछ रोचक तथ्य
अब तक के राष्ट्रपति चुनावों का एक और रोचक तथ्य यह है कि चौधरी हरिराम ने सर्वाधिक पांच बार 1952 से 1969 तक चुनाव लड़ा। उन्हें सबसे ज्यादा 6341 मत 1962 में मिले। वर्ष 1967 में उनके प्रस्तावकों और अनुमोदकों तक ने उन्हें वोट नहीं दिया था।

राष्ट्रपति चुनाव में सबसे अधिक बार उतरने के मामले में दूसरे स्थान पर कृष्ण कुमार चटर्जी हैं। उन्होंने 1957,1967 और 1969 के चुनाव लडे। उन्हें सबसे ज्यादा 125 वोट 1967 में मिले थे। जबकि 1969 में उन्हें एक वोट भी नहीं मिला। लगभग हर तरह के चुनाव में किस्मत आजमाने वाले काका जोगिंदर सिंह उर्फ धरती पकड़ को राष्ट्रपति पद के चुनाव में उतरने का मौका 1992 में मिल सका और वह 1135 वोट लेने में कामयाब रहे। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल इस सर्वोच्च पद को सुशोभित करने वाली पहली महिला हैं। अब तक सिर्फ डा. राजेन्द्र प्रसाद दो बार राष्ट्रपति बने हैं।
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