ख्वाजा की मज़ार पर क्यों पेश किए जाते हैं चादर, फूल और इत्र!

सूफी संतों की दरगाहों की जियारत को आने वाला हर जायरीन श्रद्धा के तौर पर सूफी संत की मजार पर मखमल की चादर और अकीदत के फूल पेश कर मन्नत मांगता है। क्यों पेश किए जाते हैं चादर और फूल, इसके बारे में जानें-

क्या होती है चादर

मखमल, सूती या साटन के हरे, लाल, पीले या नीले रंग के कपड़े की बनी होती है। 7 गज से लेकर 42 गज तक लंबी चादर आम तौर पर मजार शरीफ पर पेश की जाती है। इस चादर पर कुरान की आयात, पंजेतन पाक के नाम और मक्का मदीना व गरीब नवाज के दर के फोटो भी छपे होते हैं।

क्यों पेश की जाती है चादर
आध्यात्मिक महत्व यह है कि सूफी बुजुर्ग की मजार की जियारत करने के लिए आने वाला अकीदतमंद बतौर तोहफा फूल, चादर और शीरनी (मिठाई) लेकर आता है। यह सूफी बुजुर्ग के लिए तोहफा है। इससे सूफी संत खुश होते हैं। जब संत खुश होता है तो जिस मकसद को लेकर अकीदतमंद आता है, वह पूरा होता है। चादर का यह तोहफा कई बार बड़े सूफी बुजुर्ग की दरगाह से छोटे बुजुर्ग की दरगाह भी जाता है। यह तोहफा पाकर छोटे बुजुर्ग भी खुश हो जाते हैं।

फूल और इत्र 

फूल और इत्र सूफी बुजुर्ग के रूह की गिजा कहलाती है। जब मजार शरीफ पर फूल पेश किए जाते हैं, सूफी बुजुर्ग की रूह खुश हो जाती है। अकीदतमंद अगर मजार पर एक पंखुड़ी भी पेश करता है, वो खुश हो जाता है और फूल पेश करने वाले के लिए दुआ करता है।

ऐसे बनती है सेज

मजारों पर कपड़े के अलावा फूलों की चादर भी पेश होती है। इसे सेज कहते हैं। आमतौर पर चमेली व मोगरे के फूलों से यह सेज तैयार होती है। सूफी संत से मांगी मुराद पूरी होने पर भी यह सेज मजार शरीफ पर अकीदतमंद पेश करते हैं।

786 मीटर लंबी चादर

कुछ समय पूर्व ख्वाजा गरीब नवाज की मजार पर जोधपुर के जायरीन ने अब तक की सबसे लंबी 78६ मीटर की चादर पेश की थी। इससे पूर्व 105 मीटर लंबी चादर भी जोधपुर के जायरीन ने ही पेश की थी। 

पाक दल लाता है चादर

हर साल उर्स के मौके पर पाकिस्तान से आने वाले जायरीन के दल की ओर से भी गरीब नवाज की मजार पर खूबसूरत चादर पेश की जाती है। सबसे आगे हुकूमत ए पाकिस्तान की ओर से जायरीन को दी जाने वाली चादर होती है। इसके बाद जायरीन अपनी ओर से चादर पेश करते हैं।

हैदराबाद की दिलकश चादरें

इधर हैदराबाद के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले जायरीन भी काफी दिलकश चादरें लेकर यहां पहुंचते हैं। हैदराबाद के जायरीन रात में जुलूस के रूप में चादर लेकर दरगाह पहुंचते हैं।
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