सुल्ताना के डूबने के कारणों पर आज भी रहस्य का पर्दा


21 अप्रैल 1865 के दिन कैप्टन जेसी मेसन की कमांड में अमेरिका का स्टीमर जहाज एसएस सुल्ताना न्यू ऑर्लीन्स से विक्सबर्ग के लिए निकला था। जहाज पर सवार 100 लोगों के अलावा, 100 शूकर, 60 खच्चर और 100 पीपे शकर मौजूद थी। जहाज का एक बॉयलर लीक कर रहा था। विक्सबर्ग में बॉयलर बनाने वाले आरजी टेलर ने मेसन से कहा था कि बॉयलर की दो मेटर शीट्स बदली जाएं। बॉयलर को सुधारने में तीन दिन का वक्त लग जाता। इसलिए मेसन ने वक्त बचाने के लिए उस पर सिर्फ पेबंद लगा दिया था। यहां मेसन ने जहाज पर सैनिकों के फुल लोड की मांग की जिसे सैन्य अधिकारियों ने मान लिया।
 
24 अप्रैल को जहाज विक्सबर्ग से आगे सफर पर निकला। जहाज की क्षमता सिर्फ 376 यात्रियों की थी लेकिन इस पर 2100 सैनिक, करीब 200 आम नागरिक और ढेर सारा माल लदा था। जहाज पर उसकी क्षमता से छह गुना ज्यादा लोड था। 26 अप्रैल को सुल्ताना मेंफेसिस पहुंच गया। यहां पर कुछ माल उतारा गया। फिर जहाज ने कोयला खरीदने के लिए मिसिसिपी नदी पार की। नदी में बाढ़ की वजह से बहाव तेज था और पानी का स्तर भी बढ़ा हुआ था। 

रात दो बजे के करीब सुल्ताना ने पैडी हेन और चिक आईलैंड पार कर लिया था। ये मेंफेसिस से आठ मील उत्तर में है। इसके बाद उसका कम से कम एक बॉयलर फटा था। धमाके से उड़े लोहे और लकड़ी के टुकड़ों से मुख्य डेक पर मौजूद बहुत से सैनिक घायल हो गए थे। बॉयलर से निकली भाप से बचने के लिए लोग इस हिस्से से दूर भागने लगे। धमाके से हवा में उछले लोग कुछ जहाज पर कुछ पानी में गिरे। घबराहट में लोग पानी में भी कूदे। जिन्हें तैरना नहीं आता था वे भी कूद गए। इसके बाद जहाज डूबने लगा। 

इसके 90 मिनट बाद बोस्टोनिया सेकंड जहाज मेंफेसिस की तरफ जा रहा था, वह डूबे हुए लोगों को बचाने आ गया। 590 से 760 लोगों के बचाए जाने के अलग-अलग दावे किए जाते हैं। इनमें से भी दो-तीन सौ की जख्मों के कारण मौत हो गई थी। सैकड़ों लोगों के शव कभी नहीं मिले, इनमें कैप्टन मेसन भी थे। बॉयलर फटने की घटना की जांच हुई। सेना और आरजी टेलर एक दूसरे पर अंगुली उठाते रहे लेकिन कारण पता नहीं चला। 1888 में सेंट लुइस के विलियम स्ट्रीटर ने बताया कि उनके एक साथी ने मरते वक्त दिए गए बयान में जहाज डुबाने की जिम्मेदारी ली थी। इस तरह यह राज और ज्यादा गहरा गया था।

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