राशि और सैक्स - वृष राशि

राशि और सैक्स - वृष राशि
Sign & Sex - Taurus
इस राशि की आकृति बैल के समान है। इस राशि के जातक में ज्येष्ठ (मई-जून) में अधिक वासना रहती है। स्त्रियों में गर्भाधान या प्रसव का यही समय है। इस राशि के जातकों के चेहरे प्रायः कांतिवान होते हैं। रूपरंग विशेष न होने के बावजूद चेहरा मोहक होता है। इस राशि के पुरूषांग बैल के समान होता है। स्त्री अंग आम के पत्ते के समान होता है। इस राशि के स्त्री-पुरूष विशेष सुन्दर नहीं होते हैं, किन्तु इनके जीवन साथी प्रायः सुन्दर मिलते हैं। सन्तानवान् होते हैं। जीवन साथी के प्रति वफादार होते हैं। कामुकता ज्यादा होती है, किन्तु प्रेम स्थायी होता है।यह एक स्थिर राशि है, इस कारण इस राशि के जातक स्थिर भाव से मैथुन करते हैं, बार-बार आसन नहीं बदलते। रात्रिबली राशि होने से रात्री में ही सम्भोग करना इसे अच्छा लगता है। निवास स्थान खेत या मैदान होने के कारण इनको खुले में ज्यादा सुख मिलता है, कमरे की खिड़की आदि अवश्य खुली रखेंगे। तत्त्व पृथ्वी होने से बिस्तर पर कम, जमीन, फर्श पर अथवा नंगी भूमि पर इनको विशेष सुख मिलता है।इस राशि के जातक का उत्तेजना केन्द्र चेहरे या गले में कहीं भी हो सकता है। प्रायः कंधे पर दाँतों का प्रयोग विशेष प्रिय है। इस राशि का पुरूष प्रायः इस क्रिया में अपनी पत्नी के कंधों को मजबूती से पकड़ता है। चुम्बन प्रयोग से जिस स्थान के स्पर्श से जातक आकुल-व्याकुल हो जाये वही उत्तेजना स्थल हो सकता है। प्रायः इस राशि की स्त्रियों के कुचाग्र चूसने पर यह शीघ्र उत्तेजित और स्खलित हो जाती है।राशि ब्राह्मण होने के कारण उसकी क्रिया शांत, हौले-हौले चलती है। मारकाट या युद्ध वाली स्थिति नहीं रहा करती है। मेष राशि के ही समान इस राशि को अपनी दिशा पूर्व की ओर मुख करके इस कार्य को करना चाहिये। इस राशि के जातकों को चतुष्पद जीवन अत्यन्त प्रिय होता है। इनका यह कर्म बड़ा प्यार और धीमी गति से (बैल गति) चलता है। पहले, क्रिया के दौरान और अन्त में आलिंगन-चुम्बन बराबर करते हैं। इस राशि के जातक के नथुने क्रियारत दशा में तेजी के साथ फूलते-पिचकते हैं। साथ ही यह लम्बी-लम्बी सांसें छोड़ते हैं। बैल का यह गुण अवश्य होता है। वह शांति और धैर्य के साथ मैथुन करते हैं। स्तम्भन शक्ति क्षीण होती है। स्तम्भन शक्ति की क्षीणता के कारण पुरूष बार बार मैथुन करने का आदी होता है। इस राशि के जातकों की स्खलन की मात्रा भी रूक-रूककर अधिक होती है।नक्षत्र गुण (कृतिका, रोहिणी व मृगशिरा) चंचलता, किन्तु सुन्दरता के साथ, धैर्य के साथ क्रिया करते हैं। कृतिका के (3 चरण) के कारण इनकी क्रिया में थोड़ी अशुचिता (मेष से कुछ अधिक) होती है। इसके बावजूद यह पवित्रता का ध्यान रखते हैं। इस राशि के पुरूष को अपने पौरूष बड़ा घमण्ड होता है तथा अपने मित्रों के सम्मुख अपना पौरूष खुब बढ़ा-चढ़ाकर बतलाता है। इस राशि की स्त्री भी अपने पति के गुण बढ़ा-चढ़ाकर सहेलियों को बतलाती है।इस राशि के जातक गुप्तेन्द्रिय और मुख का प्रायः सम्बन्ध बना लेते हैं, यह इनकी आकृति का स्वभाव है। यह सहजता के साथ इस क्रिया को करते हैं। सामान्यतः यह परस्पर पूर्ण तृप्त होकर ही विलग होते हैं। भिन्न राशि से मिलन के बावजूद इस राशि का दूसरी राशि का चतुराई के साथ मेल बैठ जाता है।दाम्पत्य जीवन के सुख में बाधा नहीं पड़ने देते हैं। अधिकतर परस्त्रीगामी होते हैं। विवाहित स्त्रियों की ओर इनका विशेष झुकाव होता है। यह कलह और शौर-शराबे से दूर रहते हैं। विलासिता की वस्तुओं के प्रति इनके मन में बड़ा लगाव होता है। बनाव श्रृगांर इनको विशेष प्रिय होता है। मनोरंजन में इनका बड़ा मन लगता है। तांक-झांक करने और निरर्थक सुन्दर स्त्रियों का पीछा करने की इनको आदत होती है। अवैध सम्बन्ध अत्यन्त सावधानी के साथ करते हैं। अपयश से बचते हैं।इस राशि के स्त्री-पुरूषों को नाच गाने में विशेष रूचि रखते हैं। इस गुण का उपयोग यह सम्भोग से पूर्व अथवा दौरान अवश्य करते हैं। ऐसे अवसर पर इनको संगीतमय वातावरण विशेष प्रिय होता है। इस राशि का मैथुन जीवन प्रायः सुखद रहता है। पत्नी इस राशि के पुरूष से संतुष्ट रहती है और स्त्री वृष हो, पुरूष अन्य राशि का हो तो अपना तालमेल बैठा लेती हैं। अनुकूल बना लेना इस राशि का स्वभाव है। लिंग से यह स्त्री राशि है, किन्तु अपने में पूरा पौरूष रखती है।इस राषि की महिलाओं के स्तन बैल के सीगों के समान नुकीले और ऊर्ध्वगामी होते हैं। कमर विशेषतः मोटी होती है। पनीली आंखें इनकी विषेषता है। बनाव श्रृगांर में सबसे अधिक समय लगता है। अशुभ प्रभाव में हो तो विवाहित पुरूष या अपने से कम आयु के युवक के साथ सम्बन्ध इनको रूचिकर लगता है अन्यथा पति के प्रति वफादार होती हैं। इनका काम उग्र होता है। घर गृहस्थी के कामों में कुशल तथा अधिकतर नौकरीपैशा होती हैं। पुरूषों की तरह उपार्जन करना इनका विशेष गुण होता है। अधिकतर स्वभाव उग्र होता है और हाथ उठाने में पहल करती हैं। विशेष चिन्ह् या प्रभाव न हो तो यावज्जीवन पति को सुख देती हैं। अधिकतर पुत्र पैदा करती है। कन्याओं की संख्या कम होती है।अपने परिश्रम और रूचि से इस राशि की महिलाएं घर को स्वर्ग बना देती है। इस राशि की महिलाओं के चरण शुभ माने गये हैं। यह विवाह के बाद ससुराल का कायाकल्प कर देती है। इस राशि के पुरूषों में गजब का धैर्य और सहनशीलता होती है। प्रसव के समय स्त्री और संकट के समय पुरूष अत्यन्त साहस से काम लेते हैं।पुरूषों को गुर्दों का रोग होता है। गुप्त रोग विशेष रूप से होता है। धातु दौर्बल्य, मूत्ररोग प्रमुख होते हैं। महिलाओं को मुहांसों की बीमारी ज्यादातर होती है। माहवारी अक्सर अनियमित होती है। उदर पीड़ा, शूल, गले और नैत्र, नाक के रोग प्रायः होते हैं। इससे इनका सैक्स दुर्बल होता है। इस राशि की महिलायें मैथुन में प्रायः कम रूचि रखती हैं। सहजता से तैयार हो जाती हैं, किन्तु उसमें रस नहीं लेती। सहजता के साथ अपनी दिनचर्या मान लेती हैं। रसिकता भरी बातों में इनको कोई रूचि नहीं होती। इनके प्रेम पत्र कामकाजी ज्यादा होते हैं। प्यार के उद्गार कम लिखा करती हैं। अपने श्रृगांर के प्रति सतर्क रहती हैं। किसी के यहां शोक प्रकट करने जाने के समय भी बन संवर कर जाना नहीं भूलेंगी।अपने सन्तान के प्रति बहुत ममता होती है। प्रौढावस्था में उत्पन्न पुत्र से इस राशि के जातकों को विशेष लगाव होता है। यह इनकी भाग्यशाली सन्तान होती है। अपने उग्र स्वभाव, हठवादिता और कामुकता के बावजूद दोनों का दाम्पत्य जीवन निभ जाता है। इस राशि की महिलाएं बहुत कम तलाक या दूसरी शादी जैसी स्थिति से गुजरती हैं। यह पति का साथ निभा ले जाती है।

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